रायपुर: आप तो ड्यूटी ज्वाइन करो, ED को हम देख लेंगे, चंद वाक्यों का तुगलकी फरमान सुनाने के बाद मोबाइल फ़ोन डिसकनेक्ट ? इसके साथ ही रायपुर सेंट्रल जेल में नव नियुक्त सुपरिटेंडेंट की ज्वाइनिंग को लेकर गहमा-गहमी तेज हो गई है। इस बीच बताया जाता है कि जेल विभाग की हालिया ट्रांसफर सूची से विभाग में विवादों का साया मंडराने लगा है। जानकारी के मुताबिक तरों-ताजा ट्रांसफर से प्रभावित रायपुर सेंट्रल जेल के नव नियुक्त सुपरिटेंडेंट योगेश क्षत्री 10 दिनों की मेडिकल लीव पर चले गए है, उनके छुट्टी में जाने के चलते रायपुर सेंट्रल जेल में सुपरिटेंडेंट की ज्वाइनिंग को लेकर अटकलों का बाजार गर्म हो गया है।

पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में ED समेत अन्य जांच एजेंसियों की वैधानिक कार्यवाही को शून्य करने की कवायत में जुटे तत्कालीन सुपरिटेंडेंट को लगभग 2 साल के भीतर दोबारा रायपुर सेंट्रल जेल की कमान सौपने से राजनैतिक और प्रशासनिक गलियारा गरमाया हुआ है। भूपे कार्यकाल के दौरान जांच एजेंसियों की कार्यवाही में रोड़ा अटकाने के साथ-साथ आईटी-ईडी और सीबीआई के कथित आरोपियों को जेल में VIP सुविधाएँ मुहैया कराने को लेकर तत्कालीन जेल सुपरिटेंडेंट योगेश क्षत्री वैधानिक कार्यवाही के दायरे में बताये जाते है।

उनके पद और प्रभाव के दुरुपयोग के प्रकरण को केंद्रीय जांच एजेंसियों द्वारा विशेष अदालत के संज्ञान में लाया गया था। बताया जाता है कि अदालत के कड़े रुख के चलते तत्कालीन कांग्रेस की भूपे सरकार ने गंभीर आरोपों से घिरे योगेश क्षत्री को निलंबित करने के बजाय अंबिकापुर स्थानांतरित कर दिया था। लेकिन राज्य में बीजेपी के सत्ता में आने के बाद जेल विभाग की ओर से जारी पहली स्थानांतरण सूची में दागी सुपरिटेंडेंट को एक बार फिर रायपुर सेंट्रल जेल की कमान सौंपने से सरकार की मंशा पर सवालिया निशान खड़ा हो गया है।

ED को हम देख लेंगे, जैसे फरमान विभाग में चर्चा का विषय बने हुए है, सरकारी नियमों के विपरीत जोर-जबरदस्ती रिलीव-ज्वाइनिंग कराने में जोर देने वाले विभागीय अधिकारी की कार्यप्रणाली को लेकर महकमा पसोपेश में बताया जाता है। यह भी बताया जाता है कि हालिया ट्रांसफर सूची जेल अधिकारियों पर गाज की तर्ज पर गिरी है। जानकारों के मुताबिक कायदे-कानूनों को दरकिनार कर स्थानांतरण करने से कई अधिकारी न्यायलय की शरण लेना ही मुनासिब समझा है। जबकि तबादले से प्रभावित कुछ चुनिंदा अधिकारियों ने लंबी छुट्टी पर जाने के लिए अपने आवेदन विभाग को सौंप दिए है।

ऐसे अधिकारियों में योगेश क्षत्री का नाम भी शामिल बताया जाता है। उनकी कार्यप्रणाली से जेल विभाग की विश्वनीयता भी दांव पर है। यह भी जानकारी सामने आई है कि कई अधिकारियों द्वारा ट्रांसफर सूची को चुनौती देने की तैयारियों के मद्देनजर रिलीव-ज्वाइनिंग को सुनिश्चित करने के लिए कई प्रशासनिक हथकंडे अपनाये जा रहे है। सूत्रों के मुताबिक रायपुर सेंट्रल जेल के नव नियुक्त सुपरिटेंडेंट को भी मेडिकल लीव कैंसिल कर फ़ौरन ड्यूटी पर उपस्थित होने का फरमान सुनाया गया है। इस बीच प्रभावित अधिकारी पसोपेश में बताये जाते है।

बताया जाता है कि 10 दिनों की मेडिकल लीव लेने फिर स्वयं को अचानक स्वास्थ्य घोषित कर फिटनेस सर्टिफिकेट जारी करने का खेल जोखिम भरा हो सकता है, जेल अधिकारियों की काली करतूतों पर जांच एजेंसियों की पैनी निगाहे बताई जाती है। लिहाजा कई अफसर फूंक-फूंक कर कदम रख रहे है। नई स्थानांतरण सूची को देख कर जेल की हवा खा रहे ED के आरोपियों के हौसले भी बुलंद बताये जाते है।

आईटी-ईडी और सीबीआई के कुख्यात आरोपियों को उपकृत करने का भूपे राज से जारी सिलसिला अब तक नहीं थम पाया है। जेल में बंद घोटालेबाजों कों VIP सुविधाएँ आज भी जारी बताई जाती है, प्रभावशील आरोपियों की पौ-बारह है, जबकि आम बंदियों को जेल एक्ट के शिकंजे में कस दिया गया है।

रायपुर सेंट्रल जेल में बंद पूर्व मुख्यमंत्री बघेल के संगी-साथियों की फेहरिस्त लंबी बताई जाती है। जेल विभाग ने कड़ी मशक्कत के बाद कई कुख्यात आरोपियों को दूरस्थ जिलों में स्थानांतरित भी किया था। इसके सुखद परिणाम भी सामने आये थे। लेकिन बताया जाता है कि क़ानूनी दांवपेचों का फायदा उठाते हुए ज्यादातर आरोपियों ने रायपुर सेंट्रल जेल को एक बार फिर अपना ठिकाना बना लिया है।

इस बार तो भूपे गिरोह अपने खास जेल सुपरिटेंडेंट की दोबारा रायपुर पुनर्वापसी करवाने में कामयाब बताया जाता है। न्यूज़ टुडे छत्तीसगढ़ ने जेल विभाग के मंत्री से लेकर उच्चाधिकारियों तक चर्चित मामलों में प्रतिक्रिया लेनी चाही। लेकिन आधिकारिक स्रोतों ने हालिया ट्रांसफर सूची को लेकर कोई भी प्रतिक्रिया देने से इंकार कर दिया।

फ़िलहाल, प्रदेश में बीजेपी सरकार के कार्यकाल में दागी जेल अधिकारीयों के खिलाफ कार्यवाही ठप्प रखने और कुख्यात आरोपियों की जेल में तीमारदारी का सिलसिला थामे नहीं थम रहा है। रायपुर सेंट्रल जेल में नव नियुक्त सुपरिटेंडेंट का स्थानांतरण प्रकरण इसी कवायत से जोड़ कर देखा जा रहा है।