पद्मश्री डॉ सुरेंद्र दुबे को चक्रधर समारोह में आने से रोका ,कहा आप नहीं आ सकते आप पर बीजेपी की छाप है | 

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उपेंद्र डनसेना 

रायगढ़ | छत्तीसगढ़ के प्रतिष्ठित और बड़े समारोह में से एक चक्रधर समारोह में जो कुछ हुआ वह बेहद शर्मनाक था  |  एक पद्म सम्मान प्राप्त हस्ती के साथ ऐसा कुछ भी हो सकता है, वह भी राज्य के बड़े सरकारी आयोजन में किसी ने सोचा नहीं था |  मामला कवि पद्मश्री डॉ. सुरेन्द्र दुबे के अपमान से जुड़ा है | बतादें कि डॉ. दुबे चक्रधार समारोह में आयोजित कवि सम्मेलन में आमंत्रित प्रमुख कवि थे |  लेकिन बाद में चयन समिति ने नाम काट दिया है |  जबकि समारोह के आमंत्रण कार्ड में बकायदा नाम छप चुका था |  जिला प्रशासन की ओर इस मामले में कहा गया, कि इसमें निर्णय चनय समिति को लेना होता है |  चनय समिति जिनका नाम दिया उन्हें बुलाया गया |

 इस तरह अपमान किये जाने से पद्मश्री सुरेंद्र दुबे ने अपनी गहरी नाराज़गी जताते हुए कलाकारों का अपमान बताया है । उन्होंने कहा, कि देश के अनेक मंचों में उन्होंने काव्यपाठ किया है, चक्रधर समारोह वे भी अपनी प्रस्तुति दे चुके हैं | देश-विदेश में उन्हें भरपूर प्यार और सम्मान मिला है |  छत्तीसगढ़ में भी उन्हें खूब प्यार-दुलार और सम्मान मिला है |  लेकिन ऐसा क्या हुआ कि उन्हें आमंत्रित करने के बाद, उनका नाम काट दिया गया  |  कार्ड में नाम छपने के बाद, प्रचार-प्रसार के बाद उन्हें आने रोक दिया गया | ? क्या वे चक्रधर समारोह में काव्यपाठ करने योग्य नहीं है  |  यह न सिर्फ़ व्यक्तिगत तौर पर उनका अपमान है, बल्कि यह पूरी काव्यजगत् और छत्तीसगढ़ियों का अपमान है | 


 बीजेपी  नेता आलोक सिंह कहा कि डॉ. दुबे का नाम भाजपाई बताकर काटा गया है |  डॉ. दुबे को आमंत्रित करने से पहले आयोजित समिति को सोचना चाहिए था |  यह छत्तीसगढ़िया कवि का अपमान है  |  इसके लिए राज्य सरकार और चक्रधर समारोह आयोजन समिति को माफी मांगनी चाहिए |  डॉ. दुबे प्रदेश के सम्मानित कवि हैं और उनके साथ ऐसा बर्ताव करना बेहद निंदनीय है |  

 इससे पहले कार्यक्रम के लिए छपे आमंत्रण पत्र को लेकर विवादों में थे |  खबरों के प्रकाशन के बाद आखिरकार जिला प्रशासन ने इस संवेदनशील मामले में संज्ञान लेते हुए आमंत्रण पत्र के स्वरूप को बदला और नए आमंत्रण पत्र बनवाकर बांटे गए ।  कहने को तो यह राष्ट्रीय स्तर का सांस्कृतिक महोत्सव है चूंकि रायगढ़ के राजा स्व. चक्रधर की याद में मनाया जाना वाला यह महोत्सव अपने आप में एक सांस्कृति धरोहर के रूप में अपनी अलग पहचान बना चुका है और ऐसे में प्रशासन की जिम्मेदारी बनती है कि समारोह की गरिमा बनाए रखने के लिए हर छोटी-बडी गलती पर तत्काल सुधार होना चाहिए |