छत्तीसगढ़ में फॉरेस्ट गार्ड भर्ती घोटाले और कैम्पा फंड में गड़बड़ी की शिकायत पर केंद्र ने मांगी रिपोर्ट, PCCF की संपत्ति की जांच और घोटालों की ढेरो शिकायतें राज्य सरकार की डस्टबिन में….

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दिल्ली/रायपुर। छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति कितने कारगर तरीके से क्रियान्वित की जा रही है, इसका नमूना प्रदेश के वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग में बानगी की तरह नजर आ रहा है। राज्य की बीजेपी सरकार के पारदर्शिता पूर्ण दिशा निर्देशों की अवहेलना करते हुए वन एवं जलवायु विभाग में 1628 फॉरेस्ट गार्ड और ड्राइवरों की भर्ती प्रक्रिया पूरी कराई गई थी। इस दौरान डिजिटल सिस्टम का उपयोग करने के बजाय सालों पुरानी मैनुअल पद्धति से उम्मीदवारों की क्षमता-दक्षता का आकलन किया गया था। जबकि राज्य सरकार ने भर्ती केंद्रों में डिजिटल प्रणाली के उपयोग के लिए 10 करोड़ से ज्यादा के टेंडर जारी किये थे। इसकी सेवा शर्तों में भर्ती की प्रक्रिया और डिजिटल सिस्टम की स्थापना के लिए जोर दिया गया था।

यही नहीं ज्यादातर भर्ती केंद्रों में सुबह से लेकर शाम 5 बजे तक ही भर्ती प्रक्रिया सीमित रखने के बजाय देर रात्रि तक जारी की गई थी। बताते है कि सरकारी दिशानिर्देशों के विपरीत उम्मीदवारों के चयन में बड़े घोटाले का रूप ले लिया है। प्रदेश के कई इलाकों में चयन प्रक्रिया में ही धांधली उजागर हुई है। वन एवं जलवायु विभाग के मुखिया, PCCF वी. श्रीनिवास राव को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर FIR दर्ज करने की मांग ने जोर पकड़ लिया है। छत्तीसगढ़ में वन एवं जलवायु विभाग में वनरक्षकों की भर्ती में गड़बड़ी उजागर होने के बाद केन्द्र सरकार ने राज्य सरकार को चिट्ठी भेज कर मामले की जांच -पड़ताल कर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। 

इस पूरे मामले में पूर्व गृहमंत्री ननकीराम कंवर ने हेड ऑफ फॉरेस्ट फोर्स वी.श्रीनिवास राव को निशाने लेते हुए उनके फ़ौरन निलंबन की मांग की है। कंवर ने PCCF राव के खिलाफ केन्द्रीय वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग में शिकायत भी की थी। उन्होंने अपनी शिकायत में कैम्पा के कार्यों में भारी भ्रष्टाचार की ओर भी राज्य सरकार का ध्यान दिलाया है। न्यूज़ टुडे छत्तीसगढ़ से चर्चा के दौरान पूर्व गृहमंत्री ननकीराम कंवर ने कहा कि PCCF राव को निलंबित किये बगैर जांच में पारदर्शिता संभव नहीं है। इस पूरे प्रकरण की FIR दर्ज कर फौरी कार्यवाही की जानी चाहिए। 

गौरतलब है कि न्यूज़ टुडे छत्तीसगढ़ ने वन एवं जलवायु विभाग में फॉरेस्ट भर्ती घोटाले को सबसे पहले उजागर किया था। नवंबर 2024 से दिसंबर के बीच प्रदेश के विभिन्न भर्ती केंद्रों में डिजीटल सिस्टम के बजाय विभागीय अफसरों ने पारम्परिक मैनुअल तरीके से शारीरिक परीक्षा संपन्न की थी। वन एवं जलवायु विभाग के विभिन्न वनमंडलों में सवा चार लाख से अधिक अभ्यर्थियों का शारीरिक परीक्षण किया गया था। इसमें हज़ारों की तादात में ऐसे अभ्यर्थी भी शामिल थे, जिन्होंने आधी रात दक्षता परीक्षा पूर्ण की थी। बालोद, सरगुजा, महासमुंद, जशपुर, कांकेर, रायगढ़, कोरिया, बीजापुर, कवर्धा, राजनांदगांव, कोण्डागांव, जगदलपुर, रायपुर, धमतरी, बिलासपुर, और कोरबा में हज़ारों उम्मीदवारों ने राज्य सरकार के नियमों को दरकिनार कर चयन प्रक्रिया अपनाने पर आपत्ति दर्ज की थी।

पीड़ितों ने धांधली के आरोप भी लगाए थे। 16 नवंबर को जब बीजापुर, दंतेवाड़ा, और रायगढ़ में फिजिकल टेस्ट के लिए उम्मीदवार प्रस्तुत हुए तो ठेका एजेंसी के द्वारा इन केन्द्रों में मशीनें उपलब्ध नहीं कराई गई थी। कई डीएफओ. ने इस सिलसिले में मुख्यालय को सूचित भी किया था। लेकिन घोटाले में लिप्त PCCF ने अपने निहित स्वार्थों के चलते एक कमेटी गठित कर राज्य सरकार के दिशा निर्देशों की अवहेलना को जायज करार देते हुए नई सिफारिश अपने पक्ष में प्राप्त की थी। कंवर ने कहा कि केन्द्र की सरकार भ्रष्टाचार के मामलों को लेकर काफी गंभीर है, और इस मामले में कार्रवाई के लिए राज्य सरकार को निर्देशित किया गया है।

उन्होंने बताया कि कैम्पा में बजट का दुरुपयोग करते हुए उनके द्वारा करीबी रिश्तेदारोंऔर चहेतों को मनमर्जी तरीके से कई सौ करोड़ के ठेके दिए गए थे। इन कार्यों में धांधली हुई, निर्माण और सामग्रियों की आपूर्ति बाजार दर से अधिक दर पर की गई, स्तरहीन कार्य कराए गए हैं। उन्होंने यह भी बताया कि अधिकतर दूरस्थ स्थानों पर कार्य के नाम पर कैंपा फंड का आबंटन कर सरकारी तिजोरी पर हाथ साफ़ किया गया। उन्होंने दावा किया कि भौतिक सत्यापन में ज्यादातर इलाकों में कार्य नहीं होना पाया गया। कई इलाकों में खानापूर्ति के लिए स्तरहीन कार्य कर भुगतान प्राप्त कर लिया गया। वन एवं जलवायु विभाग में बड़े पैमाने पर सरकारी धन के दुरुपयोग को लेकर शिकायतों का अम्बार है।

सूत्र तस्दीक करते है कि राज्य सरकार के पास वन एवं जलवायु विभाग के PCCF के खिलाफ कई मामलों की जांच रिपोर्ट उपलब्ध है। इस रिपोर्ट में उन्हें दोषी भी ठहराया गया है, लेकिन कार्रवाई लंबित रही है। फॉरेस्ट गार्ड भर्ती घोटाले की जांच रिपोर्ट हो या फिर आरा घोटाले की, दोनों ही मामलों में आरोपी अधिकारियों पर वैधानिक को लेकर राज्य सरकार का रुख काफी नरम बताया जा रहा है। वन विभाग के जानकारों के मुताबिक पूर्ववर्ती भूपे सरकार की तर्ज पर दागी PCCF मौजूदा बीजेपी सरकार के कार्यकाल में भी दुधारू गाय साबित हो रहे है। पूर्व मंत्री कंवर के शिकायती पत्र को संज्ञान में लेते हुए केन्द्रीय वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग ने प्रदेश के वन विभाग के प्रमुख सचिव को इस मामले में जांच कार्रवाई के लिए निर्देशित किया है। फ़िलहाल, दागी कार्यप्रणाली को लेकर विवादों से घिरे PCCF के खिलाफ राज्य सरकार क्या कदम उठाती है, यह देखना गौरतलब होगा ?