बिलासपुर: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण मामले में पार्षद की 24 घंटे के भीतर जेल से रिहाई का आदेश दिया है। मामला दुर्ग जिले के नव-नियुक्त पार्षद की गिरफ्तारी और बेल से जुड़ा है। दरअसल, लगभग 8 साल पुराने प्रकरण में इसी मार्च महीने कार्यवाही करते हुए स्थानीय पुलिस ने पार्षद को गिरफ्तार कर जेल दाखिल करा दिया था। यह पार्षद मामला संज्ञान में आने के बाद जमानत लेने भिलाई के थाने में पहुंचा था। भाजपा पार्षद को पुलिस ने किसी पुराने मामले में लंबित गिरफ्तारी का हवाला देकर कार्यवाही की थी। हाईकोर्ट ने पार्षद की याचिका पर धारा 482 के तहत सुनवाई करते हुए जमानत देकर उसे 24 घंटे में जेल से छोड़े जाने का आदेश दिया है।

जानकारी के मुताबिक एक मामले में 21 मार्च 2023 को धारा 420 व 34 के अंतर्गत एन धनराजू व अरविन्द भाई के खिलाफ वैशाली नगर थाना, भिलाई में FIR दर्ज कराई थी। इसे एक आरोपी एन धनराजू ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। प्रकरण में भाजपा पार्षद संतोष उर्फ जालंधर सिंह को भी आरोपी बनाया गया था। सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने 29 जनवरी 2025 को डीजीपी और दुर्ग एसपी से शपथ पत्र मांगा कि इस प्रकरण की अब तक जांच पूरी क्यों नहीं की गई ?

गिरफ्तारी के कारणों से जुड़े दुर्ग एसपी के व्यक्तिगत शपथपत्र से असंतुष्ट होकर कोर्ट ने उसे नामंजूर कर दिया था। मामले की गंभीरता को देखते हुए कोर्ट ने एसपी के बाद सीधे डीजीपी से शपथपत्र मांग लिया था। 21 फरवरी 2025 को DGP की ओर से शपथपत्र प्रस्तुत कर कोर्ट को बताया गया कि जिन पुलिस अफसरों ने विवेचना में देर की, उन पर कार्रवाई की जा रही है। कोर्ट ने पुलिस को 6 सप्ताह में जांच खत्म कर आदेश देते हुए याचिका को निराकृत कर दिया। इसके साथ ही पार्षद जालंधर सिंह की भी हाईकोर्ट ने अग्रिम जमानत स्वीकृत कर दी।

प्रकरण के संबंध में बताया जाता है कि बीजेपी पार्षद संतोष उर्फ जालंधर सिंह 3 मार्च को बेल बांड के आधार पर जमानत के लिए वैशाली नगर थाने पहुंचे थे। यहाँ प्रभारी थानेदार अमित अंदानी ने एक पुराने प्रकरण का हवाला देते हुए तत्काल गिरफ्तार कर जेल दाखिल करा दिया था। पार्षद ने हाईकोर्ट में क्रिमिनल पिटीशन दायर कर गिरफ्तारी को चुनौती दी थी। सुनवाई के दौरान एडवोकेट बीपी सिंह ने अदालत में दलील देते हुए कहा कि 2017 में हुए मामले में अब 8 साल बाद आरोपित किया गया है। उन्होंने बताया कि यह आरोप भी वह अधिकारी लगा रहा है, जिसने पहले ही जांच में गड़बड़ी की थी, और डीजीपी ने उसे दंडित भी किया था।
विभिन्न मामलों का उल्लेख करते हुए याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि अवैधानिक तरीके से आरोप लगाकर जेल भेजने पर आरोपी की रिहाई-जमानत पाने का अधिकार है। उधर अभियोजन ने भी गिरफ्तारी को लेकर अपने तर्कों से अदालत को अवगत कराया था। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रविन्द्र कुमार अग्रवाल की डीबी ने सुनवाई के बाद संतोष सिंह उर्फ जालंधर को 24 घंटे के भीतर रिहा करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने इस आदेश की प्रति डीजीपी और डीजे दुर्ग को भेजने का निर्देश दिया है ताकि संबंधित मजिस्ट्रेट प्रेषित आदेश का शीघ्र पालन कराया जा सके। मामले की अगली सुनवाई 24 मार्च को निर्धारित की है।