दिल्ली/रायपुर: छत्तीसगढ़ में चिप्स घोटाला सुर्ख़ियों में है, करीब 2 साल बाद इसकी गूंज फिर सुनाई देने लगी है। बताया जाता है कि लंबी जांच-पड़ताल जल्द नई ECIR-FIR में तब्दील हो सकती है। प्रवर्तन निर्देशालय ने पूर्व मुख्यमंत्री बघेल के कार्यकाल में चिप्स (छत्तीसगढ़ इन्फोटेक प्रमोशन सोसाइटी) के दफ्तर में छापेमारी कर छानबीन की थी। ‘CHiPS’ राज्य में आईटी विकास और ई-गवर्नेंस परियोजनाओं के कार्यान्वयन के लिए नोडल एजेंसी है। यहाँ प्रदेश में डिजिटल- इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम स्थापित करने के लिए केंद्र सरकार सालाना करोड़ों का बजट आवंटित करती है।

केंद्र सरकार की भारत नेट परियोजना का प्रदेश में क्रियान्वयन सुनिश्चित करने का दारोमदार ‘चिप्स’ पर ही है। लेकिन महकमे के ही वरिष्ठ अधिकारियों ने योजनाओं की एक ओर जहाँ लागत बढ़ा दी, वही कागजों में भुगतान कर सरकारी धन को पानी की तर्ज पर बहाया था। बावजूद इसके एक बड़ी आबादी को प्रदेश में ना तो बेहतर संचार सुविधाएँ मिल पाई और ना ही योजना का क्रियान्वयन सुनिश्चित हो पाया था।

नतीजतन, करोड़ों की योजनाएं भ्रष्टाचार की भेट चढ़ गई। अलबत्ता, प्रदेश के कई महत्वपूर्ण विभागों में ऑनलाइन सिस्टम को ऑफलाइन कर कई बड़े घोटालों को अंजाम दिया गया। इन आपराधिक मामलों में चिप्स के अफसरों की महत्वपूर्ण भूमिका बताई जाती है। सूत्र तस्दीक करते है कि लगभग 2 साल से आलमारी में कैद चिप्स घोटाले की फाइल खुल गई है। इसमें कई बड़े अफसरों का काला-चिटठा सामने आया है। यह भी तथ्य सामने आया है कि कोल खनन परिवहन घोटाले में 25 टन अवैध वसूली के लिए ऑनलाइन सिस्टम को ऑफलाइन करने के मामले में इलेक्ट्रानिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के तत्कालीन सचिव सुब्रत साहू की भी महत्वपूर्ण भूमिका थी।

एजेंसियों की जांच में यह अब तक स्पष्ट नहीं हो पाया है कि चिप्स नियंत्रित ऑनलाइन सिस्टम को ऑफलाइन करने का फरमान आखिर किसने दिया था ? आखिर क्यों विभागीय प्रमुख और मुख्यमंत्री के तत्कालीन सचिव सुब्रत साहू ने समय रहते भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के कदम नहीं उठाये थे ? माना जा रहा है कि जल्द इस पर से भी पर्दा हट सकता है।प्रदेश में सरकारी उपक्रम ‘चिप्स’ (छत्तीसगढ़ इन्फोटेक प्रमोशन सोसाइटी) में लगभग 2 वर्ष पूर्व ED की छापेमारी में जब्त दस्तावेजों की जांच-पड़ताल शुरू हो गई है। सूत्र तस्दीक करते है कि दस्तावेजों की जल्द जांच-पड़ताल ख़त्म होते ही ED एक नई ECIR दर्ज कर सकती है। इसमें ACS समेत लगभग आधा दर्जन अधिकारी बड़े घोटालों के लपेटे में बताये जाते है।

इस फेहरिस्त में चिप्स के तत्कालीन प्रमुख सचिव, सीईओ आईएएस समीर विश्नोई, निलंबित उपसचिव सौम्या चौरसिया और पूर्व मुख्यमंत्री बघेल के दामाद का नाम प्रमुखता से शामिल बताया जा रहा है। चिप्स में छापेमारी के करीब 2 साल बाद जब्त फाइलों में घोटालों की एक से बढ़कर एक दास्तान सामने आई है।केंद्र सरकार की महती योजनाओं में से एक ‘भारत नेट’ परियोजना छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार की भेट चढ़ गई है। घोटाले में तत्कालीन मुख्यमंत्री बघेल के सचिव 1992 बैच के ACS सुब्रत साहू ‘चिप्स’ घोटाले के सूत्रधारों में से एक है।

उनकी कार्यप्रणाली कटघरे में बताई जाती है। पूर्ववर्ती भूपे सरकार में सुब्रत साहू ने अपने हाथों में सीएम के एसीएस के साथ ही कई महत्वपूर्ण विभागों की बागडोर संभाली थी। इसमें गृह एवं जेल विभाग तथा ऊर्जा विभाग, इलेक्ट्रानिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी, वाणिज्य एवं उद्योग जैसे कई बड़े बजट वाले विभाग शामिल थे। चिप्स घोटाले की जांच-पड़ताल में इलेक्ट्रानिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के तत्कालीन सचिव की भूमिका सामने आने से नौकरशाही में गहमा-गहमी है। सूत्र तस्दीक करते है कि चिप्स के दफ्तर में ED की छापेमारी के दौरान 100 करोड़ से ज्यादा के अवैध लेन-देन के दस्तावेज जब्त किये गए थे।

यही नहीं जेल में बंद आईएएस समीर विश्नोई के बैंक खातों में भी बड़ी रकम का लेन-देन पाया गया था। दस्तावेजों की प्राथमिक पड़ताल में ऐसे चेक प्राप्त हुए थे, जिस पर तत्कालीन CEO समीर विश्नोई के हस्ताक्षर थे, लेकिन चेक जारी करने के लिए किसी प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया था। छापेमारी के दौरान प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने कई बार चिप्स के दफ्तर की तलाशी ली थी। सूत्र यह भी तस्दीक करते है कि तत्कालीन मुख्यमंत्री के सचिव के निर्देश पर फर्जी तौर पर आवंटित ठेकों और सामग्री का अनुचित भुगतान सुनिश्चित किया जाता था। सुब्रत साहू के अलावा जेल में बंद निलंबित उपसचिव सौम्या चौरसिया भी कई अयोग्य फर्मों के अलावा पूर्व मुख्यमंत्री बघेल के दामाद कों उपकृत करने के लिए सीधे तौर पर समीर विश्नोई को निर्देशित किया करती थी।

बताते है कि पूर्व मुख्यमंत्री के दामाद ने भी सरकारी तिजोरी पर हाथ साफ करने के लिए ‘चिप्स’ के प्रमुख कर्ताधर्ता के रूप में हाथ-पैर मारे थे। ‘चिप्स’ मुख्यालय और उसकी योजनाए पूर्व मुख्यमंत्री बघेल के कई नाते-रिश्तेदारों के अलावा उनके कार्यालय में पदस्थ प्रभावशील अधिकारियों की अवैध कमाई का अड्डा बन गई थी। प्रदेश में संवेदनशील नक्सल प्रभावित इलाकों में भारत नेट ठप रहा, योजनाओं की लागत दोहरी से ज्यादा बढ़ गई। लेकिन इस इलाके की बढ़ी आबादी और पुलिस एवं केंद्रीय सुरक्षा बलों को समय पर योजनाओं का कोई लाभ नहीं मिल पाया था। पीड़ित तस्दीक करते है कि अरबों खर्च होने के बावजूद इलेक्ट्रानिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के तत्कालीन सचिव सुब्रत साहू हाथ पर हाथ धरे बैठे रहे।

उनके द्वारा ना तो योजनाओं की प्रगति की समीक्षा की गई थी और ना ही भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए कोई कदम उठाया गया था। जानकारी के मुताबिक प्रदेश में चिप्स के द्वारा डिजिटल मॉनिटरिंग सिस्टम और आधुनिक संचार व्यवस्था मुहैया कराने की दिशा में कार्य किया जाता है। लेकिन भूपे राज में इस महकमे में नियम विरुद्ध करोड़ों के ज्यादातर ठेके, सिर्फ कागजों में संपन्न किये गए थे। इसमें खानापूर्ति के लिए गुणवत्ताविहीन ऑप्टिकल फाइबर लाइन बिछाने, ऑनलाइन सिस्टम को ऑफलाइन करने, डिजिटल डाटा से छेड़छाड़ समेत कई कार्यो में घपलेबाजी और बगैर समुचित कार्य के भारी भरकम भुगतान जैसी अनियमितता उजागर हुई है। छापेमारी में जब्त दस्तावेजों की पड़ताल अंतिम दौर में बताई जा रही है। जानकारी के मुताबिक IAS समीर विश्नोई के अलावा सौम्या और सुब्रत साहू के खिलाफ चिप्स घोटाले में भी शामिल होने के कई सबूत हाथ लगे है।
18 अक्टूबर 2022 को चिप्स मुख्यालय में ED की तलाशी के दौरान जो दस्तावेज मिले थे, उनमें चेक जारी होने से पहले वरिष्ठ अधिकारियों से कोई अप्रूवल नहीं लिया गया था। यहाँ तक की करोड़ों के भुगतान वाले देयकों (चेक) को रजीस्टर में भी दर्ज नहीं किया गया था। बताते है कि इस पूरे प्रकरण में ACS सुब्रत साहू से भी जल्द पूछताछ हो सकती है। बताते है कि कोल खनन परिवहन घोटाले में ऑनलाइन सिस्टम को ऑफलाइन कर अवैध वसूली करने के मामले में इलेक्ट्रानिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के तत्कालीन सचिव सुब्रत साहू ने भी आंखे बंद कर रखी थी। घोटाला संज्ञान में आने के बावजूद बतौर विभाग प्रमुख उनके द्वारा अपने शासकीय कर्तव्यों का निर्वहन नहीं किया गया था। एजेंसियों के पास मौजूद कई ऐसे दस्तावेज अभी विवेचना के दायरे में बताये जाते है, जिनका सीधा संबंध सुब्रत साहू और सौम्या से जुड़ा बताया गया है।

सूत्रों के मुताबिक समीर विश्नोई के एचडीएफसी बैंक के खातों में एजेंसियों को बड़ी रकम के लेनदेन का ब्यौरा मिला है। इस आय के स्रोत बार-बार पूछने के बाद भी समीर विश्नोई इस रकम का संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए थे। समीर विश्नोई और पूर्व मुख्यमंत्री की निलंबित उपसचिव सौम्या चौरसिया पिछले 2 साल से भी अधिक वक़्त से जेल की हवा खा रहे है। जबकि अब इस गिरोह पर नए मामले पंजीबद्ध होने के आसार नजर आ रहे है।

सूत्र यह भी बताते है कि चिप्स घोटाले की फाइल तैयार होते ही एजेंसियों की एक अन्य नई बड़ी कार्यवाही सामने आ सकती है। प्रदेश की नौकरशाही में ACS सुब्रत साहू का नाम ‘धन कुबेरों’ में गिना जाता है, उनकी प्रदेश के अंदर-बाहर चल-अचल संपत्ति का आंकड़ा भी आसमान की ओर रफ़्तार भरते बताया जाता है। भूपे राज के बीते 5 सालों में धन-दौलत अर्जित करने वाले आईएएस अफसरों में सुब्रत की कार्यप्रणाली सुर्ख़ियों में रही है। फ़िलहाल, चिप्स घोटाले की जांच में प्रगति को लेकर ED की ओर से अभी कोई आधिकारिक जानकारी सामने नहीं आई है।
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