छत्तीसगढ़ में शुगर फैक्ट्री का ‘निजीकरण’, फायदे में चलने वाली फैक्ट्री घाटे में, सूरजपुर की बेशकीमती केरता शुगर मिल का निजी हाथों को सौंपने की तैयारी, सुर्ख़ियों में सौदा….

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सूरजपुर: छत्तीसगढ़ में गन्ना किसानों के लिए बुरी खबर आ रही है। प्रदेश की गिनी-चुनी शुगर मिल में शुमार केरता शुगर फैक्ट्री का जल्द निजीकरण हो सकता है। इसकी तैयारी जोर-शोर से जारी बताई जाती है। सूत्र तस्दीक करते है कि सूरजपुर जिले में संचालित मां महामाया शुगर फैक्ट्री के निजीकरण की राह तय हो चुकी है। इसी तर्ज पर कवर्धा-राजनांदगांव स्थित शुगर फैक्ट्री भी निजीकरण की भेट चढ़ जाएगी। प्रदेश के गन्ना किसान हैरत में है, क्योंकि ये मिल एक दौर में फायदेमंद साबित हो रही थी। लेकिन पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में तमाम शुगर मिल की कमर टूट गई।

हालत यह है कि इन मिलों में कार्यरत हज़ारों कर्मचारियों को वेतन-भत्ते के लाले पड़े है। कई बकायादार शुगर मिल के अफसरों के चक्कर काट रहे है। इनके संचालक मंडल, घाटे का हवाला देकर शुगर फैक्ट्री के निजीकरण की दुहाई दे रहे है। वर्ष 2007 में महामाया शुगर फैक्ट्री के निर्माण में सौ करोड़ से अधिक का व्यय किया गया था। वर्त्तमान में इस शुगर मिल ने 68 करोड़ से ज्यादा का गन्ना खरीदा था। बताते है कि ख़राब मैनेजमेंट के चलते अब तक 10 करोड़ का ही भुगतान सुनिश्चित हो पाया है, सैकड़ों किसानों और कारोबारियों का पैसे की कमी के कारण भुगतान महीनों से अटका है।

जानकारों के मुताबिक शुगर मिल से पीडीएस की दुकानों में शक्कर की सप्लाई होती हैं, इसका लगभग 56 करोड़ का भुगतान ‘सरकार’ पर लंबित है। भुगतान रुकने से इस शुगर मिल की कमर टूट गई है। सूरजपुर जिले के प्रतापपुर इलाके में संचालित केरता स्थित मां महामाया सहकारी शुगर फैक्ट्री के निजीकरण की तैयारी जोर-शोर से शुरू कर दी गई है। सूत्रों के मुताबिक कारखाना प्रबंधन ने इसके लिए एक प्रस्ताव तैयार किया है। इसमें तर्क दिया जा रहा है कि शुगर मिल घाटे में चल रही है, नतीजतन, कारखाने को निजीकरण या फिर पीपीटी मॉडल में संचालित किये जाने पर फैसला लिया जाना है।

सूत्र तस्दीक करते है कि इस संबंध छत्तीसगढ़ शासन और कारखाना संचालक मंडल के बीच पत्र व्यवहार जारी है। मां महामाया शक्कर कारखाना, केरता के कई अधिकारी नाम ना जाहिर करने की शर्त पर इसकी तस्दीक कर रहे है। उनके मुताबिक पिछले दिनों मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में शुगर फैक्ट्रियों की माली हालत को लेकर एक बैठक भी हुई थी, जिसमें घाटे में चल रही शुगर मिलों के निजीकरण या फिर पीपीटी मॉडल में संचालित करने के लिए विचार-विमर्श किया गया था। सूत्र तस्दीक करते है कि सबकुछ ठीक-ठाक रहा तो केरता के अलावा बालोद स्थित शुगर मिल में भी जल्द यही प्रक्रिया दोहराई जाएगी।

बताया जाता है कि तमाम मिलों की मौजूदा स्थिति और संचालन को लेकर ब्यौरा तैयार किया गया है। जानकारी के मुताबिक अकेले सूरजपुर शुगर मिल में तीन जिले के 8 ब्लॉक के 15 हजार से अधिक गन्ना किसान पंजीकृत है, वे यहाँ नियमित रूप से गन्ना बेचते हैं, इस पर आश्रित डेढ़ हजार से ज्यादा लोगों के लिए गन्ना की पैदावार स्थानीय रोजगार सृजन कर रही है। बताते है कि शुगर मिल की उत्पादन क्षमता से सालाना सौ करोड़ से अधिक की शक्कर का उत्पादन हो रहा है। इसकी आपूर्ति पीडीएस की दुकानों में की जाती है।