रायपुर: छत्तीसगढ़ के 2200 करोड़ के शराब घोटाले में पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा को हर माह डेढ़ करोड़ रुपये बतौर रिश्वत बैठे-बिठाये मिलते थे। राज्य की शराब नीति बदल कर पूर्व आबकारी मंत्री लखमा ने घोटालों की राह तय कर दी थी। इसके एवज में एकमुश्त उन्हें प्रतिमाह 1.50 करोड़ हासिल होते थे। ED ने पुख्ता सबूतों के साथ अपनी चार्जशीट दाखिल की है। उसने शराब घोटाले के तह तक अपनी विवेचना को जारी रखा है। ED के तथ्यों से भविष्य की जांच के संकेत भी मिल रहे है। दरअसल, आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने अपने बयानों में ED को साफ़ कर दिया है कि पूर्व तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपे बघेल के निर्देशों के तहत ही उन्होंने आबकारी नीति में संशोधन किया था। वे तत्कालीन मुख्यमंत्री बघेल के फैसलों को ही लागू करते थे।
उधर एक अन्य महत्वपूर्ण आरोपी तत्कालीन आबकारी सचिव एपी त्रिपाठी ने भी पूर्व मुख्यमंत्री के दिशा निर्देशों के तहत ही घोटालों की स्वीकारोक्ति की है। सूत्र तस्दीक करते है कि इन दो गवाहों के अलावा एक अन्य गवाह के बयानों और साक्ष्यों के बाद पूर्व मुख्यमंत्री बघेल की मुसीबतें बढ़ सकती है। जानकारी के मुताबिक रायपुर में ईडी की विशेष अदालत में पूर्व आबकारी मंत्री एवं कोंटा के कांग्रेस विधायक कवासी लखमा के खिलाफ एजेंसी ने 3773 पेज की चार्जशीट पेश की है। इसमें कुल 21 लोगों को आरोपी बनाया गया है।
इस फेहरिस्त में पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा, कारोबारी अनवर ढेबर, रिटायर आईएएस अनिल टूटेजा, त्रिलोक सिंह ढिल्लन, छत्तीसगढ़ डिस्टलर, वेलकम डिस्टलर, टॉप सिक्यूरिटी, ओम सांई ब्रेवरेज, दिशिता वेंचर, नेस्ट जेन पॉवर, भाटिया वाइन मर्चेंट और सिध्दार्थ सिंघानिया सहित अन्य आरोपियों के नाम शामिल है। कवासी लखमा पूरे मामलों की जानकारी नहीं होने के बाद भी शराब खरीदी-बिक्री के अवैध और अनधिकृत संचालन को रोकने किसी तरह के प्रयास नहीं किए जाने के आरोप हैं। साथ ही नीति परिवर्तन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के आरोप है। जिसके कारण राज्य में एफएल-10ए लाइसेंस की शुरुआत हुई।




सरकार के एफएल-10ए लाइसेंस ने लाइसेंस धारकों को विदेशी शराब क्षेत्र में कमाई करने की अनुमति दी। स्पेशल कोर्ट में पेश 86 पेज की समरी में घोटाले के तथ्यों के साथ प्रकरण का ब्यौरा सौंपा गया है। इसमें बताया गया है कि कवासी लखमा की आबकारी नीति बदलने में अहम भूमिका रही है। शराब घोटाले की उन्हें पूरी जानकारी थी, क्योंकि इस घोटाले से अर्जित अवैध वसूली से 1.50 करोड़ रुपए प्रतिमाह उन्हें प्राप्त आरोप पत्र में कहा गया है कि कवासी लखमा दस्तावेजों में हस्ताक्षर करने के एवज में 50 लाख रुपए तक की अतिरिक्त राशि वसूल करते थे।
यह राशि सिंडीकेट से जुड़े हुए लोगों द्वारा विभिन्न माध्यमों पहुंचाई जाती थी। मामले की अगली सुनवाई 22 मार्च को होगी। पूर्व मंत्री लखमा को 21 जनवरी को जेल दाखिल कराया गया था। ईडी ने शराब घोटाले की पूछताछ के लिए कवासी लखमा को 15 जनवरी को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया था। इसके बाद 21 जनवरी तक एजेंसी द्वारा रिमांड पर लिया था। इसकी अवधि पूरी होने पर फिर कोर्ट में पेश कर उन्हें जेल दाखिल कराया गया था।