रायपुर: छत्तीसगढ़ में होली के मौके पर बिजली, पानी, स्वास्थ्य समेत नागरिकों की जान-माल की सुरक्षा बनाये रखने पर राज्य की विष्णुदेव साय सरकार काफी जोर दे रही है। जिला मुख्यालयों में पुलिस और प्रशासन एक साथ कदम ताल कर कानून व्यवस्था बनाये रखने के लिए प्रयासरत नजर आ रहा है, तो दूसरी ओर उस कुप्रथा पर भी विराम लगने की घड़ी आ गई है, जिसके तहत होली पर ‘स्थानीय प्रेस क्लबों और विभिन्न पत्रकार संगठनों को’ ‘मुफ्त दारू’ परोसा जाता था। इस परिपाटी पर कई वरिष्ठ पत्रकारों ने एतराज जताते हुए रोक लगाने की मांग की है।

छत्तीसगढ़ में शराब घोटाले के चलते आम शराबियों की तर्ज पर चौथे स्तंभ को भी होली के मौके पर ‘लड़खड़ाने’ का भरपूर मौका पूर्ववर्ती भूपे सरकार प्रदान कर रही थी। इस दौर में पत्रकारिता और पत्रकारों कों साधने के लिए पूर्ववर्ती भूपे सरकार ने सार्वजनिक शराबखोरी की नई परंपरा की नींव रख दी थी। इसके लिए नेता नगरी से भी सहयोग लिया जाता था। लेकिन इस बार ऐसी कू-परम्पराओं पर रोक लगा दी गई है।

दरअसल, आबकारी अमले ने इस बार ‘मुफ्त दारू’ उपलब्ध कराने की कवायत से अपने हाथ पीछे खींच लिए है। यही नहीं पूर्ववर्ती भूपे सरकार ने पत्रकारिता के कई ठिकानों को शराब से सराबोर कर दिया था। इस इस परिपाटी ने विभिन्न प्रेस क्लबों और पत्रकार संगठनों में अपनी जड़े जमा कर मुफ्त शराबखोरी की कवयतों ने एक अलग परंपरा कायम कर दी थी। माना जा रहा है कि शराबखोरी के सार्वजनिक चलन पर इस बार विराम लगाया दिया गया है।

कई वरिष्ठ पत्रकारों ने साय सरकार के संज्ञान में यह तथ्य भी सामने लाया है कि पत्रकारिता संस्थान, प्रेस-मीडिया क्लब और उनके संगठनों के दफ्तरों की गरिमा बनाई रखी जानी चाहिए। यहाँ स्वास्थ्य मनोरंजन की व्यवस्था जायज है, लेकिन मुफ्त शराबखोरी का प्रचलन कई समस्याओं को जन्म देता है। इन पत्रकारों ने साय सरकार की तारीफ करते हुए कहा की रायपुर प्रेस क्लब के विकास के लिए मौजूदा बजट लाखों की रकम आवंटित करने से यहाँ सुविधाओं में बढ़ोत्तरी होगी।

आबकारी अमले के कई जिम्मेदार अफसरों ने मुफ्त शराब का बंदोबस्त करने के मामले को दो टूक ख़ारिज कर दिया है। इसके चलते चौथे स्तंभ के सभागारों में जमकर माथा-पच्ची हो रही है। जानकार तस्दीक करते है कि होली के नाम पर नेता नगरी और आबकारी विभाग द्वारा सरकार प्रदत्त मुफ्त दारू की भेट का कई पत्रकारों ने विरोध किया था। कुछ संगठनों ने तो इस मुद्दे पर पूर्ववर्ती सरकार के कर्णधारों को जमकर खरीखोटी भी सुनाई थी। लेकिन उनकी मांगों को दरकिनार कर तत्कालीन भूपे सरकार ने चौथे स्तंभ को भी शराबखोरी की लत लगाने का उपक्रम जारी रखा था।

वरिष्ठ पत्रकारों के मुताबिक शराब के शौंकीन पूर्व मुख्यमंत्री ने चौथे स्तंभ को नशे में लड़खड़ाने ही नहीं बल्कि शराबखोरी की लत लगाने का पूरा बंदोबस्त कर रखा था। लेकिन अब नए दौर में ऐसी कुप्रथा पर विराम लगने की संभावना जताई जा रही है। सूत्रों के मुताबिक स्थानीय प्रशासन और आबकारी अमले ने साफ़ कर दिया है कि होली पर खबरनवीजों के क्लबों और संगठनों को इस बार ‘नो मुफ्त दारू’ ? इसका लुफ्त उठाने के लिए जरूरतमंदों को अब अपनी जेब ढीली करनी पड़ेगी। प्रेस मीडिया के सार्वजनिक स्थलों पर बगैर लाइसेंस शराब की आपूर्ति और खपत की परंपरा को लेकर गहमा-गहमी है।

राजधानी रायपुर समेत प्रदेश के कई जिलों में राजनैतिक कार्यकर्ताओं, समर्थकों और कामगारों की तर्ज पर कई प्रेस क्लबों और पत्रकार संगठनों की होली रंगीन बनाने के ‘सरकारी प्रयास’ सुर्ख़ियों में रहते है। ऐसे संस्थानों में होली उत्सव सिर्फ सार्वजनिक शराबखोरी का साधन बन गया है। कई पीड़ित तस्दीक करते है कि मुफ्त शराबखोरी के प्रचलन से प्रदेश के चौथे स्तंभ पर विपरीत प्रभाव पड़ा है। ये स्तंभ कई घंटों तक लड़खड़ाते रहते है। इसके चलते प्रजातान्त्रिक गतिविधियों और जनता की आवाज बुलंद करने की गति भी कभी अचानक जाम तो कभी धीमी पड़ जाती है।

उधर बीजेपी सूत्र भी दावा करते है कि साय सरकार के कड़े निर्देशों के बाद शराब की आपूर्ति और वितरण को लेकर आबकारी अमले द्वारा सतर्कता एवं पारदर्शिता बरती जा रही है। दफ्तरों में नंबर- दो का हिसाब-किताब का दौर समाप्त हो गया है। अब बोतल की आवाजाही पुख्तातौर पर दर्ज कर शराब की बिक्री का ब्यौरा सरकारी अभिलेखों में दर्ज कर वरिष्ठ अधिकारियों के संज्ञान में लाया जा रहा है। इस फार्मूले से शराब की अफरा-तफरी और तिकड़म पर पाबंदी लग गई है, इसका सीधा असर ‘मुफ्त शराब’ वितरण व्यवस्था पर ही पड़ा है।

अब इस योजना के तहत लाभांवित होने वाले हितग्राहियों को अपनी जेब ढीली करनी पड़ेगी। इस बार होली के मौके पर मुफ्त शराब का लुफ्त उठाने वालों के अरमानों पर पानी फिर गया है। यह देखना गौरतलब होगा कि होली पर मुफ्त सरकारी शराब मुहैया कराने के चलन पर वाकई विराम लग गया है, या फिर नई तिकड़म के साथ इस योजना को हरी झंडी मिलती है?