भोपाल: छत्तीसगढ़ में शराब घोटाले के बावजूद अवैध शराब की उपलब्धतता और खपत जोरो पर है। इसने प्रदेश के आबकारी अमले के सामने बड़ी चुनौती पेश कर दी है। राज्य के विभिन्न जिलों में अवैध शराब की खेप पकड़ी जा रही है। भारी भरकम शराब की जब्ती के बावजूद तस्करों के हौसले इतने बुलंद बताये जाते है कि वे प्रभावशील आबकारी अधिकारियों को जेब में रखने का दावा तक करने में नहीं चूक रहे है।

अवैध शराब की जब्ती के हालिया मामलों पर गौर फरमाए तो पड़ोसी राज्यों खास कर मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और ओडिशा में निर्मित शराब की छत्तीसगढ़ में बिक्री और खपत का आंकड़ा लगातार बढ़ते जा रहा है। सूत्र तस्दीक करते है कि शराब वितरण की सरकारी व्यवस्था की तर्ज पर तस्करों का भी सुनियोजित नेटवर्क प्रदेश के कई जिलों में अपनी जड़े जमा चूका है। पुलिस और आबकारी विभाग के कई ‘प्रभावशील शख्स’ इस नेटवर्क के संरक्षक और मार्गदर्शक का विशेष हिस्सा बताये जाते है।

प्रदेश में नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव में बग़ैर ड्यूटी पेड और पड़ोसी राज्यों की शराब की जब्ती ने नए रिकॉर्ड कायम किये है। जानकारों की माने तो नए वित्तीय वर्ष में भी तस्करी को इसी तर्ज पर बढ़ावा मिला तो आबकारी महकमे का संभावित राजस्व ना केवल घट सकता है, बल्कि सरकारी तिजोरी पर भी चोट लगने के आसार है। छत्तीसगढ़ में सरकारी शराब की आपूर्ति के दौरान 13 करोड़ की 50 ट्रक एक्सपायरी बीयर को अवैध रूप से खपाने का मामला सामने आया है। जानकारी के मुताबिक बीयर की इतनी बड़ी खेप गैर-क़ानूनी रूप से रायपुर से मध्यप्रदेश भेजी गई थी। इस मामले को लेकर अब दोषी अधिकारियों पर FIR दर्ज करने की तैयारी है। मध्यप्रदेश सरकार ने मामले को गंभीरता से लेते हुए उच्च स्तरीय जांच के निर्देश दिए थे।

जानकारी के मुताबिक आबकारी मुख्यालय रायपुर से छह महीने पहले बीयर की बड़ी खेप बगैर किसी ठोस कारणों के मध्यप्रदेश वापस भेजी गई थी। दावा किया गया था कि 13 करोड़ 22 लाख की बीयर की एक्सपायरी डेट ख़त्म होने के बाद आपूर्ति की गई थी। छत्तीसगढ़ से मध्यप्रदेश भेजी गई इस बीयर की खेप रातों-रात तस्करों द्वारा रास्ते में ही खपा दी गई थी। इस मामले में आबकारी मुख्यालय रायपुर में पदस्थ चुनिंदा जिम्मेदार अधिकारियों की कार्यप्रणाली को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं। मामले की उच्च स्तरीय जांच में ऐसे अफसरों की कार्यप्रणाली संदिग्ध आंकी गई है, बीयर की गैर-वाजिब तस्करी में उनकी हिस्सेदारी भी सामने आई है।

सूत्र तस्दीक करते है कि सुनियोजित साजिश के तहत आबकारी विभाग के चुनिंदा अफसरों ने मिलीभगत कर बड़े पैमाने पर बीयर की खेप खुले बाजार में ठिकाने लगा दी है। यह बीयर रायसेन स्थित सोम डिस्लरी में निर्मित की गई थी। बताते है कि हंटर कंपनी की इस बीयर को रायपुर मुख्यालय में पदस्थ अफसरों ने बगैर किसी ठोस जांच पड़ताल के ‘एक्सपायरी डेट’ के अंतर्गत पाया था। जानकार तस्दीक करते है कि मध्यप्रदेश के रायसेन स्थित सोम कंपनी की हंटर बीयर 50 ट्रकों में भरकर छत्तीसगढ़ भेजी गई थी।

इसमें 55 हजार 90 पेटी बीयर एक्सपायर होने की जानकारी रायपुर से प्राप्त हुई थी। उनके मुताबिक इस खेप को सितंबर 2024 में रायपुर से वापस रायसेन भेजे जाने की सूचना प्राप्त हुई थी। लेकिन तस्करी में लिप्त अफसरों ने छत्तीसगढ़ से मध्यप्रदेश बीयर वापस लाने के लिए स्थानीय आबकारी आयुक्त से मिलने वाली अनुमति को प्राप्त नहीं किया था। अंदेशा है कि तस्करी के लिए यह प्रक्रिया नहीं अपनाई गई थी।

जानकारी के मुताबिक ‘आबकारी एक्ट’ में निर्यात की गई बीयर की खेप की वापसी का कोई प्रावधान नहीं है। ऐसे में छत्तीसगढ़ शासन की ओर से किस नियमों के तहत बीयर की पुनर्वापसी का दावा किया गया था, इसकी भी पड़ताल जारी है। यह भी बताया जा रहा है कि पूरा खेल सिर्फ कागजों में खेला गया था। इसमें रायपुर में पदस्थ आबकारी विभाग के कुछ जिम्मेदार अधिकारियों की महत्वपूर्ण भूमिका थी। जांच में ऐसे अफसरों की नामी-गिरामी तस्करों के साथ सांठ-गांठ के सबूत भी हाथ लगे है। आबकारी विभाग ने नष्टीकरण की गई बियर की कीमत 4 करोड़ 20 लाख रुपए बताई है। जबकि जानकार इसकी कीमत 13 करोड़ 22 लाख रुपए से अधिक आंक रहे है। उनके मुताबिक तस्करी के इस रैकेट में कई अफसर शामिल है।

जानकारी के मुताबिक जांच-पड़ताल में इस तथ्य को भी खोजा जा रहा है कि मध्यप्रदेश से छत्तीसगढ़ निर्यात की गई बीयर की खेप सोम डिस्टलरी में किसकी अनुमति से ली गई थी ? या फिर इसकी आवाजाही में तस्करों की कोई भूमिका थी ? 50 ट्रकों का भाड़ा किसने दिया ? यही नहीं जांच अधिकारी इस तथ्य का भी पता लगा रहे है कि बीयर ढोने वाले वाहन कहाँ से लाये गए थे ? इसका दस्तावेज किस मार्फ़त प्राप्त किया गया था। सूत्रों के मुताबिक छत्तीसगढ़ से भेजी गई बीयर की भारी भरकम खेप का बिना अनुमति के डिस्टलरी के अंदर प्रवेश का ब्यौरा दर्ज किया गया है। जबकि भौतिक सत्यापन में सिर्फ कागजों में ही आपूर्ति पाई गई है। मामले के खुलासे के बाद डिस्लरी की ओर से भी कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी जा रही है।

न्यूज़ टुडे नेटवर्क ने दो राज्यों के बीच तस्करी के इस रैकेट की हकीकत जानने के लिए सोम डिस्लरी कंपनी के प्रमुख जगदीश अरोरा से भी संपर्क किया, लेकिन मोबाइल स्विच ऑफ पाया गया। जबकि शराब की खरीदी बिक्री में विशेष दिलचस्पी रखने वाले अफसरों ने भी इस प्रकरण को सुनते ही कन्नी काट ली। छत्तीसगढ़ के आबकारी और स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल विभानसभा के बजट सत्र में व्यस्त बताये गए। सूत्र तस्दीक करते है कि मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ की शराब दुकानों के अलावा कई बार, रेस्ट्रोरेंट और ढाबों में बीयर खपाई गई थी। मामले का खुलासा होने के बाद रायसेन के जिला आबकारी अधिकारी ने 21 जनवरी 2025 को छत्तीसगढ़ से भेजी गई उक्त बीयर को नष्ट करने की जानकारी उच्चाधिकारियों को दी थी।

बताते है कि जांच में छत्तीसगढ़ में पदस्थ जिम्मेदार अधिकारियों की भूमिका को लेकर अवैध तस्करी जैसे गंभीर तथ्य सामने आये है। इस प्रकरण में प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए रायसेन के आबकारी आयुक्त अभिजीत अग्रवाल का कहना है कि बिना अनुमति के छत्तीसगढ़ से बीयर वापस लाने पर जिला प्रभारी अधिकारी को नोटिस दिया गया था। उनका स्पष्टीकरण मिला है, मामले की जांच की जा रही है। फ़िलहाल, छत्तीसगढ़-मध्यप्रदेश के बीच बीयर तस्करी के इस मामले को लेकर प्रशासनिक हलचल तेज है। जांच रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है, जबकि वरिष्ठ अधिकारी FIR दर्ज करने की तैयारी में बताये जाते है।