Chhattisgarh Liquor Scam: छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में लिप्त आबकारी अधिकारियों की जाएंगी नौकरी, अब तक 71 के खिलाफ FIR दर्ज, नए तथ्यों के साथ नए आरोपियों की शिनाख्ती जोरो पर, जांच-पड़ताल में सक्रिय EOW…

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रायपुर: छत्तीसगढ़ के 2200 करोड़ के शराब घोटाले में लिप्त सरकारी अधिकारियों कों राज्य सरकार जल्द नौकरी से बाहर का रास्ता दिखाया जा सकती है। भ्रष्टाचार में लिप्त ऐसे अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनहीनता और सिविल सेवा आचरण संहिता के उल्लंघन के दायरे में समयपूर्व सेवानिवृत्ति देने के आसार है। बताया जाता है कि शीर्ष बीजेपी नेतृत्व ने राज्य सरकार को विभिन्न विभागों में अंजाम दिए गए भ्रष्टाचार के मामलों में कड़ाई बरतने का फरमान सुनाया है। इसमें साफ किया गया है कि घोटालेबाज अफसरों के खिलाफ सिविल सर्विस कोड ऑफ़ कंडक्ट के प्रावधानों के तहत वैधानिक कार्यवाही कर ना केवल उन्हें नौकरी से बाहर का रास्ता दिखाया जावें, बल्कि उनके स्थान पर नए अधिकारियों की भर्ती का खांका खींचने में देरी ना की जाए।

राज्य में दिल्ली की तर्ज पर बड़ा शराब घोटाला उजागर होने के बाद पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने सरकारी कार्यवाहियों पर अपनी निगाहे पैनी कर ली है। सूत्र तस्दीक करते है कि जल्द ही छत्तीसगढ़ पार्टी प्रभारी प्रदेश का दौरा कर सरकार के कामकाज की प्रगति का जायजा लेंगे। इसके पूर्व भ्रष्टाचार और घोटालों से जुड़े कई महत्वपूर्ण प्रकरणों का बीजेपी नेतृत्व ने संज्ञान भी लिया है। सूत्र तस्दीक करते है कि शराब घोटाले में कड़ी कार्यवाही करने का फरमान सुनाया गया है। इसके बाद मामले की छानबीन में जुटी EOW की टीम ने नए आरोपियों की तलाश भी शुरू कर दी है। 

सूत्रों के मुताबिक ACB-EOW में दर्ज FIR में 71 आरोपियों का नाम सामने आने के बाद उन पर कार्यवाही शुरू कर दी गई है। ACB-EOW ने FIR में दर्ज नामों के अलावा आरोपी क्रमांक 69 में अन्य आबकारी अधिकारीगण और क्रमांक 70 में दर्ज आरोपी विकास अग्रवाल के साथीगणों की खोजबीन शुरू कर दी है। सूत्रों के मुताबिक अब तक 71 के अलावा बतौर आरोपी कई नए चेहरे भी चौंकाने वाले हो सकते है। EOW की विवेचना जोर-शोर से जारी बताई जा रही है। सूत्र तस्दीक करते है कि FIR में पूर्व मुख्यमंत्री करप्शन बघेल का नाम सीधेतौर पर दर्ज नहीं है। लेकिन कई सरकारी अधिकारियों और डिस्लरी मालिकों ने साफ किया है कि घोटाले की असली जड़ पूर्व मुख्यमंत्री बघेल के सरकारी बंगले में भी फल-फूल रही थी।

पूर्व मुख्यमंत्री के दिशा-निर्देशों और संरक्षण के चलते ही कारोबारी अनवर ढेबर आबकारी अधिकारियों की जिम्मेदारी तय किया करते थे। घोटाले के लाभार्थियों में उनका भी नाम शामिल बताया जाता है। हालांकि ED के अलावा EOW ने भी अभी तक आधिकारिक रूप से साफ नहीं किया है कि पूर्व मुख्यमंत्री करप्शन बघेल के खिलाफ सीधेतौर पर कोई साक्ष्य पाए गए है या नहीं ? एजेंसियों की कार्यवाही अभी भी विवेचना मोड़ में बताई जाती है। उधर शराब घोटाले में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 और 12, 420, 467, 468, 471 और 120 बी के तहत एफआईआर दर्ज कर विवेचना में लिया गया है। इस मामले में 70 नामजद आरोपियों में सर्वाधिक संख्या आबकारी विभाग के अधिकारियों की बताई जा रही है। घोटाले में लिप्त अफसर सबकुछ जानते बुझते हुए भी गैर-क़ानूनी कृत्यों को कर्तव्यनिष्ठा और सरकारी सेवा मान कर अंजाम दे रहे थे।

बताया जाता है कि विवेचना के दौरान ऐसे कई दागी अफसर भी सामने आये है, जिनका नाम FIR में अब तक सामने नहीं आया था। आबकारी अमले में कई नामी-गिरामी वरिष्ठ अधिकारियों ने बगैर किसी ना-नुकुर और इंकार के शराब की तस्करी और अन्य गैर-क़ानूनी कार्यों को क़ानूनी रूप से अमली जामा पहनाया था। ED और EOW की जांच में ऐसे अधिकारियों की कार्यप्रणाली अपराध के दायरे में आंकी गई है। माना जा रहा है कि कई दागी अफसरों को समय पूर्व सरकारी सेवा से विदाई दिए जाने के आसार बढ़ गए है। इनकी कार्यप्रणाली का आंकलन भी शुरू कर दिया गया है।

बताते है कि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति के तहत सख्त वैधानिक कार्यवाही के निर्देश दिए है। सूत्र यह भी तस्दीक करते है कि कई आबकारी अधिकारियों की ‘CR’ (गोपनीय चरित्रावली) में शराब घोटाले का काला चिट्ठा भी दर्ज किया जायेगा। इसमें बीते 5 सालों की कार्यप्रणाली पर फोकस किया गया है। जल्द ही शराब घोटाले लिप्त आबकारी अधिकारियों के खिलाफ मुक़दमा चलाने और गिरफ्तारी की वैधानिक अनुमति के प्रकरण को भी हरी झंडी दिखाए जाने के आसार है।

जानकारी के मुताबिक FIR में जिन 70 आरोपियों के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज किया गया है, उनमे 01. अनिल टुटेजा, तत्कालीन संयुक्त सचिव (वाणिज्य एवं उद्योग विभाग छत्तीसगढ़ शासन), 02. अनवर ढेबर, 03. अरुणपति त्रिपाठी (प्रबंध संचालक छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कार्पोरेशन लिमीटेड), 04. मेसर्स रतनप्रिया मिडिया प्राईवेट लिमीटेड, 05. कवासी लखमा (तत्कालीन आबकारी मंत्री), 06. निरंजनदास (आई.ए.एस. तत्कालीन आबकारी आयुक्त), 07. जनार्दन कौरव (तत्कालीन सहायक जिला आबकारी अधिकारी), 08. अनिमेष नेताम (तत्कालीन उपायुक्त आबकारी), 09. विजय सेन शर्मा (तत्कालीन उपायुक्त आबकारी), 10. अरविंद कुमार पटले (तत्कालीन सहायक आयुक्त आबकारी), 11. प्रमोद कुमार नेताम (तत्कालीन सहायक कमिशनर आबकारी), 12. रामकृष्ण मिश्रा (तत्कालीन सहायक आयुक्त आबकारी), 13. विकास कुमार गोस्वामी (तत्कालीन सहायक आयुक्त आबकारी), 14. इकबाल खान (तत्कालीन जिला आबकारी अधिकारी), 15. नीतिन खंडुजा (तत्कालीन सहायक जिला आबकारी अधिकारी), 16. नवीन प्रताप सिंग तोमर (तत्कालीन सहायक आयुक्त आबकारी), 17. मंजु कसेर (तत्कालीन जिला आबकारी अधिकारी), 18. सौरभ बख्शी (तत्कालीन सहायक आयुक्त), 19. दिनकर वासनिक (तत्कालीन सहायक आयुक्त आबकारी), 20. आशीष वास्तव (तत्कालीन अतिरिक्त आयुक्त आबकारी), 21. अशोक कुमार सिंह (तत्कालीन जिला आबकारी अधिकारी), 22. मोहित कुमार जायसवाल (जिला आबकारी अधिकारी), 23. नीतू नोतानी (उपायुक्त), 24. रविश तिवारी (तत्कालीन सहायक आयुक्त आबकारी), 25. गरीबपाल दर्दी (आबकारी अधिकारी), 26. नोहर सिंह ठाकुर (आबकारी अधिकारी), 27. सोनल नेताम (सहायक आयुक्त आबकारी विभाग), 28. अरविंद सिंह, 29. अनुराग द्विवेदी (मेसर्स अनुराग ट्रेडर्स), 30. अमित सिंह (मेसर्स अदीप एग्रोटेक प्राईवेट लिमिटेड), 31. नवनीत गुप्ता, 32. पिंकी सिंह (प्रोप्राईटर अदिप एम्पायर्स), 33 विकास अग्रवाल उर्फ सुब्बू, 34. त्रिलोक सिंह, ढिल्लन (मेसर्स ढिल्लन सिटी मॉल प्राईवेट लिमीटेड), 35. यश टुटेजा (निवासी कटोरा तालाब रायपुर), 36. नितेश पुरोहित, गिरीराज होटल, रायपुर, 37. यश पुरोहित, गिरीराज होटल, रायपुर, 38. अभिषेक सिंह, डायरेक्टर मेसर्स नेक्सजेन पॉवर इंजीटेक प्राईवेट लिमीटेड, 39. मनीष मिश्रा, मेसर्स नेक्सजेन पॉवर इंजीटेक प्राईवेट लिमीटेड, 40. संजय कुमार मिश्रा, सी.ए. मेसर्स नेक्सजेन पॉवर इंजिटेक प्राइवेट लिमीटेड, 41. अतुल कुमार सिंह श्री ओम साईं, बेवरेजेस प्राईवेट लिमीटेड, 42. मुकेश मनचंदा, श्री ओम साई बेवरेजेस प्राईवेट लिमीटेड, 43. विजय भाटिया, भिलाई, 44. अशीष सौरभ केडिया, मेसर्स दिशिता वेंचर्स प्राइवेट लिमीटेड, 45. मेसर्स छ.ग. डिस्टलरीस प्राइवेट लिमिटेड, 46. मेसर्स भाटिया वाईन एवं मर्चेंटस प्राइवेट लिमिटेड, 47. मेसर्स वेलकम डिस्टलरी, 48. सिद्धार्थ सिंघानिया, मेसर्स सुमीत फैसलिटीस लिमीटेड एवं टॉप सिक्योरिटीस फैसलिटीस मैनेजमेंट, 49. बच्चा राज लोहिया मेसर्स इगल हंटर सॉल्युशन लिमिटेड एवं पार्टनर, 50. मेसर्स अलर्ट कमाण्डों प्राइवेट लिमिटेड एवं पार्टनर, 51. अमित मित्तल, मेसर्स ए टू जेड प्राईवेट लिमिटेड, 52. उदयराव मेसर्स ए टू जेड प्राईवेट लिमीटेड का मैनेजर, 53 मेसर्स प्राईम वन वर्कफोर्स, 54. लक्ष्मीनारायण बंसल उर्फ पप्पू बंसल निवासी भिलाई, 55. विधु गुप्ता, प्रीज्म होलोग्राफी एवं सिक्योरिटीस प्राइवेट लिमिटेड , 56. दीपक दुआरी, 57. दिपेन चावडा, 58. मेसर्स प्राईम डेव्हलपर्स, 59. मेसर्स ए ढेबर बिल्डकॉन, 60. मेसर्स ए. जे. एस. एग्रोट्रेड प्राइवेट लिमिटेड, 61. सफायर इस्पात के मालिक उमेर ढेबर एवं जुनैद ढेबर, 62. अख्तर ढेबर, 64. अशोक सिंह, 65. सुमीत मलो, 66. रवि बजाज, 67. विवेक ढांढ, निवासी जी. ई. रोड रायपुर, 68. अज्ञात कांग्रेस के पदाधिकारीगण, 69. अन्य आबकारी अधिकारीगण और 70. विकास अग्रवाल के साथीगण के अज्ञात नाम भी शामिल बताये जाते हैं।

उधर यह भी बताया जाता है कि शराब घोटाले की विवेचना में पाए गए नए तथ्यों के आधार पर भी पृथक से FIR दर्ज करने के लिए चिंतन-मनन का दौर जारी है, आने वाले दिनों EOW चौकाने वाली कार्यवाही कर सकता है।