रायपुर: छत्तीसगढ़ सरकार ने 5 IFS अधिकारियों की PCCF पद पर पदोन्नति को हरी झंडी दे दी है। मुख्यमंत्री साय मंत्रीमंडल ने छत्तीसगढ़ कैडर के भारतीय वन सेवा के 30 वर्ष की अर्हकारी सेवा पूर्ण कर चुके 1992 से 1994 बैच तक के अफसरों को पदोन्नति का अवसर प्रदान किया है। ये अफसर लंबे समय से अपनी नई पदस्थापना और पदोन्नति की बांट जोह रहे थे। कैबिनेट की हालिया बैठक में अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक के पद पर पदस्थ अधिकारियों को गैर कार्यात्मक (Non-functional) आधार पर यथास्थान (In situ) प्रधान मुख्य वन संरक्षक के समकक्ष स्केल प्रदाय करने हेतु आवश्यक पद सृजन का निर्णय लिया गया है। इसके साथ ही वन एवं जलवायु विभाग के ‘प्रमुख पद’ से श्रीनिवास राव की छुट्टी के आसार भी जाहिर किये जा रहे है।
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माना जा रहा है कि कई विवादों और भ्रष्टाचार के मामलों से घिरे राव की कार्यप्रणाली से मुक्ति पाने के लिए राज्य सरकार के समक्ष वरिष्ठ IFS अधिकारियों के 5 नए विकल्प सामने आ गए है। ये सभी अधिकारी बेहतर कार्यप्रणाली और योजनाओं के सकारात्मक परिणाम देने के मामले में अव्वल बताये जाते है। इन अफसरों की पदोन्नति से मंत्रालय से लेकर वन एवं जलवायु मुख्यालय ‘आरण्य भवन’ में गहमागहमी मच गई है।
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मौजूदा विभाग प्रमुख के नए विकल्पों को लेकर वन एवं जलवायु विभाग की कार्यप्रणाली में आमूल-चूल परिवर्तन के आसार भी जाहिर किये जा रहे है। जानकारी के मुताबिक जिन वरिष्ठ आईएफएस अधिकारियों को पदोन्नति का तोहफा मिला है, उनमे 1992 बैच के कौशलेन्द्र कुमार, 1993 बैच के आलोक कटियार, 1994 बैच के सुनील मिश्रा, 1994 बैच के अरुण पांडेय और इसी बैच के आईएफएस प्रेम कुमार का नाम शामिल है।
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उधर मौजूदा विभाग प्रमुख श्रीनिवास राव की कार्यप्रणाली सुर्ख़ियों में है। प्रदेश में वन एवं जलवायु को लेकर हाहाकार मचा है। जानकारी के मुताबिक बीते 5 वर्षों में राज्य में जहाँ वनों का घनत्व घटा है, वही बड़े पैमाने पर जंगलों के साथ-साथ वन्य जीवों के खात्मे की घटनाएं सामने आई है। वनों के नष्ट होने का विपरीत असर प्रदेश की जलवायु में सहज अनुभव किया जा सकता है।
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इन वर्षों में प्रदेश के पर्यावरण को भी सुरक्षित रखने की जवाबदारी निभाने के मामले में वन एवं जलवायु विभाग फिसड्डी साबित हुआ है। सूत्र तस्दीक करते है कि मौजूदा विभाग प्रमुख की कार्यप्रणाली के चलते कैंपा फंड समेत अन्य योजनाओं के क्रियान्वयन की बड़ी राशि का दुरुपयोग किया गया था।
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विभागीय योजनाओं के संचालन और वन्य ग्रामों के विकास की एक बड़ी मद सिर्फ कागजों में खर्च की गई थी। वन एवं जलवायु विभाग के विकास के आंकड़े तस्दीक करते है कि मोटी रकम खर्च किये जाने के बावजूद प्रदेश में वनों के विकास, वन्य प्राणियों के शिकार और उनके पलायन की योजनाए अपेक्षित परिणाम प्रदर्शित नहीं कर पाई है। इससे जुड़ी ढेरों शिकायतें केंद्र और राज्य सरकार की विभिन्न एजेंसियों के समक्ष लंबित बताई जाती है। जानकारी के मुताबिक राज्य की तत्कालीन भूपे सरकार के कार्यकाल में 31 जुलाई 2023 को 1990 बैच के आईएफएस व्ही श्रीनिवास राव को प्रधान मुख्य वन संरक्षक छत्तीसगढ़ (PCCF) के पद पर पदस्थ किया गया था।
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9 आईएफएस अधिकारियों की वरिष्ठता को नजरअंदाज करते हुए तत्कालीन वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने श्रीनिवास राव को काफी जूनियर होने के बावजूद PCCF की कुर्सी सौंप दी थी। बताते है कि जोड़-तोड़ में माहिर राव ने इस पद पर काबिज होते ही वन एवं जलवायु विभाग की ज्यादातर आर्थिक गतिविधियों को ना केवल भ्रष्टाचार की भेट चढ़ा दिया था, बल्कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के कतिपय नेताओं के लिए ‘कमाऊपूत’ साबित हुए थे।
फ़िलहाल, प्रदेश में वन एवं जलवायु विभाग के सूचकांक में सुधार के लिए अधिकारियों के नए विकल्पों के उपलब्ध होने से विवादित कार्यप्रणाली के लिए चर्चित कैम्पा राव की रवानगी तय मानी जा रही है।