दिल्ली/रायपुर। सुप्रीम कोर्ट के कक्ष नंबर-12 में आइटम नंबर-15 विधायक देवेंद्र यादव VS छत्तीसगढ़ शासन के प्रकरण में सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष की दलीलों की गूंज अब लोगों को सुनाई देने लगी है। अदालत ने अभियोजन पक्ष के तर्कों को लेकर हैरानी जताई है। इस मामले की सुनवाई के दौरान अदालत में उपस्थित कानून के महत्वपूर्ण जानकारों के मुताबिक छत्तीसगढ़ सरकार के तमाम तर्क जिरह के दौरान उस समय फिसड्डी साबित हुए जब बचाव पक्ष ने अदालत ने पेश किये गए दस्तावेजों पर अपनी निगाहे डालते हुए साफ किया कि छत्तीसगढ़ सरकार के अभियोजन पक्ष ने बचाव पक्ष के आरोपों को लेकर कोई काउंटर एफिडेविट तक जमा नहीं किया है। जानकारी के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट में विधायक देवेंद्र यादव की जमानत की राह आसान करने के लिए अभियोजन की ओर से कोई काउंटर एफिडेविट प्रस्तुत नहीं किया गया था।
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बताते है कि मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट में उपस्थित कानून के कुछ जानकारों ने भी इस पर हैरानी जताई थी। राज्य सरकार के पास सिस्टम, वकीलों और कानून के जानकारों की अच्छी खासी फौज होने के बावजूद NO COUNTER AFFIDAIVT HAS BEEN FILED BY RESPONDENT का मामला गंभीर बताया जाता है। जानकारों के मुताबिक रिपोर्ट यही दर्शा रही है, नतीजतन, पहले ही झटके में अदालत ने विधायक देवेंद्र यादव की जमानत स्वीकृत प्रदान कर दी। उधर यादव की जमानत के बाद कांग्रेस उत्साह में है। उसके कई नेता बीजेपी पर विधायक यादव को बेवजह जेल दाखिल कराने का मुद्दा उछाल रहे है। जबकि बीजेपी के कई वरिष्ठ नेताओं ने इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया जाहिर करने से इंकार कर दिया है। हालांकि नाम ना सार्वजनिक करने की शर्त पर कुछ नेताओं ने कहा है कि कानून अपना कार्य कर रहा है, काउंटर एफिडेविट क्यों नहीं फाइल किया गया ? इसका उत्तर सम्बंधित अधिकारी और उनका विभाग ही दे सकता है।
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सुप्रीम कोर्ट का अक्सर रुख करने वाले अदालती और अन्य पक्ष के जानकार भी तस्दीक करते है कि काउंटर एफिडेविट जमा नहीं करने के चलते अभियोजन पक्ष की दलीले कमजोर साबित हुई और उसके अरमानों पर पानी फिर गया। उनके मुताबिक आखिर क्यों हलफनामा पेश करने में अभियोजन ना कामयाब रहा ? इसकी असल वजह भी अभियोजन पक्ष ने स्पष्ट नहीं की और ना ही इस बारे में कोई ठोस तर्क अदालत के समक्ष रखे गए थे।
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वे बताते है कि दोनों पक्षों की दलीले सुनने के बाद अदालत ने विधायक देवेंद्र यादव की जमानत स्वीकृति प्रदान करने में देरी नहीं की थी। अब अदालत के निर्देशों के तहत आज शुक्रवार देर शाम तक विधायक यादव की रिहाई सुनिश्चित मानी जा रही है। उनके जमानत संबंधी दस्तावेज स्थानीय कोर्ट में जमा कराये गए है। इसके साथ ही राजनैतिक गलियारों से लेकर प्रशासनिक हलकों तक में चर्चा सरगर्म है कि किसी एक प्रभावशील बीजेपी नेता की कृपा बरसने से विधायक देवेंद्र यादव जेल से बाहर आ रहे है।
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यही नहीं सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान आखिर क्यों महत्वपूर्ण दस्तावेज को काउंटर एफिडेविट के तहत प्रस्तुत नहीं किया गया था ? इसे लेकर भी माथापच्ची का दौर जारी है। कानून के जानकारों के मुताबिक कोर्ट में बचाव पक्ष ने छत्तीसगढ़ सरकार की तमाम दलीलों का सिलसिलेवार जवाब दिया था। इसके साथ ही उसने अभियोजन पक्ष के तकनिकी पहलू काउंटर एफिडेविट फाइल ना किये जाने को लेकर गंभीर आपत्ति भी दर्ज कराइ थी।
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बलौदाबाजार अग्निकांड में बीजेपी सरकार की गंभीरता को लेकर भी राजनैतिक गलियारों में अब सवाल जवाब का दौर शुरू हो गया है। इस हिंसक प्रदर्शन को नियंत्रित नहीं करने के आरोपों को लेकर प्रथम दृष्टया दोषी पाए गए इलाके के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक सदानंद कुमार की भी राज्य सरकार ने कुछ माह पूर्व बहाली कर दी थी। जानकारों के मुताबिक विधायक देवेंद्र यादव की जमानत से पूर्व तत्कालीन पुलिस अधीक्षक की बहाली के प्रकरण से भी माना जा रहा है कि राज्य की बीजेपी सरकार अब बलौदाबाजार अग्निकांड मामले से अपना पीछा छुड़ाने में जोर-शोर से जुटी है।
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हालांकि इस हिंसक घटना में आरोपी बनाये गए कई अन्य प्रदर्शनकारियों की बिलासपुर हाईकोर्ट ने पूर्व में ही जमानत स्वीकृत की थी। कानून के जानकारों के मुताबिक इस दौरान सुप्रीम कोर्ट के स्टेट VS नारायण मिरी दृष्टांत के मद्देनजर बिलासपुर हाईकोर्ट ने 14 आरोपियों को जमानत दे दी थी। राज्य के बलौदाबाजार जिले में 10 जून 2024 को एक घटना में प्रदर्शनकारियों ने जिला कलेक्टर, एसपी कार्यालय और उससे सटे अदालत परिसर में जमकर तोड़फोड़ और आगजनी की थी।
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पुलिस ने इस प्रकरण में सैकड़ों लोगों को आरोपी बनाया था। इनमे घटना कारित होने के पीछे कांग्रेस के विधायक देवेंद्र यादव को भी नामजद आरोपी बनाया गया था। बताते है कि एक पंथ विशेष द्वारा आयोजित प्रदर्शन पूरी तरह बेकाबू होने के बाद हिंसक भी हो गया था। भीड़ ने पुलिसकर्मियों पर पथराव किया, बैरिकेडिंग तोड़ दी और कलेक्ट्रेट और एसपी ऑफिस में आग लगा दी थी। इस प्रदर्शन में कई वाहन फूंक दिए गए थे, कई पुलिसकर्मी भी घायल हुए थे।
जानकारी के मुताबिक 18 अगस्त 2024 को भिलाई स्थित निवास से विधायक देवेंद्र यादव को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। पिछले छह माह से जेल में बंद विधायक देवेंद्र यादव को सुप्रीम कोर्ट से अब बड़ी राहत मिली है। आज उनकी रिहाई के आसार भी जताये जा रहे है। फ़िलहाल, यादव की रिहाई को लेकर जहाँ प्रदेश में विभिन्न मंचों पर क़ानूनी पहलुओं को लेकर चिंतन-मनन जारी है, वही उनकी रिहाई के राजनैतिक मायने भी तलाशे जा रहे है।