रायपुर: छत्तीसगढ़ में धर्मार्थ के नाम पर लाभ कमाने के लिए संचालित NHMMI अस्पताल की कारगुजारियां एक बार फिर सुर्ख़ियों में है। यहाँ आयुष्मान कार्ड के बेजा इस्तेमाल को लेकर कई मरीज शिकवा-शिकायते कर रहे है। उनकी मांग है कि जनहित से जुड़े आयुष्मान कार्ड का यहाँ जारी बेजा इस्तेमाल के प्रकरणों की उच्च स्तरीय जांच कर वैधानिक कार्यवाही की जाये। पीड़ितों ने IMA और मुख्यमंत्री को पत्र लिख कर इलाज के नाम पर मोटा धंधा करने के विभिन्न प्रकरणों से अवगत कराया है। शिकायत में कहा गया है कि यह अस्पताल आयुष्मान कार्ड के लिए निर्धारित प्रावधानों और अहर्ता को पूरी नहीं करता। बावजूद इसके इस अस्पताल को कायदे-कानूनों के विपरीत आयुष्मान कार्ड इलाज की अनुमति प्रदान कर दी गई है।
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पीड़ितों के मुताबिक इलाज का अधिक भुगतान प्राप्त करने के चक्कर में अस्पताल प्रबंधन आयुष्मान कार्डधारकों के इलाज के लिए सुनियोजित बिल प्रदान कर रहा है। मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की गई है। उधर इलाज के नाम पर मरीजों और उनके परिजनों के साथ लूटपाट करने के प्रकरण में जांच कमेटी की रिपोर्ट रायपुर कलेक्टर कार्यालय में महीनों से धूल खा रही है। जानकारी के मुताबिक भारती देवी खेमानी की इलाज में लापरवाही से मौत के बाद भी परिजनों को लाखों का बिल थमाने और एयर एम्बुलेंस सुविधा के नाम पर लूट के प्रकरण में NHMMI अस्पताल दोषसिद्ध साबित हुआ है। जांच रिपोर्ट में इस अस्पताल को एक माह का नोटिस देकर उसका लाइसेंस निरस्त करने की महत्वपूर्ण सिफारिश भी की गई है।
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सूत्र तस्दीक करते है कि जांच रिपोर्ट में अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ मेडिकल एक्ट और IPC की धाराओं के तहत वैधानिक कार्यवाही की सिफारिश के बाद हरकत में आये लाभार्थी उद्योगपतियों ने इस रिपोर्ट को सरकारी दफ्तर की फाइलों में कैद कर दिया है। उनके दबाव-प्रभाव के चलते आज भी मरीजों का दम निकल रहा है। पीड़ितों ने सवाल किया है कि जांच कमेटी की रिपोर्ट सामने आने के बाद कार्यवाही में नरमी क्यों ? जबकि यह आम मरीजों की जान-माल से जुड़ा प्रकरण है। पीड़ितों और शिकायतकर्ताओं के मुताबिक प्रभावशील MMI प्रबंधन के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य होने के बावजूद जिला प्रशासन ने अब तक कोई कार्यवाही नहीं की है। पीड़ितों ने धर्मार्थ के नाम पर इलाज का धंधा करने में लिप्त अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ सरकार से भी गंभीर रुख अपनाने की मांग की है।
पीड़ितों ने गुहार लगाई है कि प्रदेश में इलाज के नाम पर मरीजों के साथ लूटपाट जोरो पर है। कही बैंक लोन तो कही बड़ा निवेश कर मेडिकल उद्योगपतियों ने भव्य अस्पताल तो खोल लिए है, यहाँ महँगी मशीने भी उपलब्ध करा दी है। लेकिन इसकी किश्त जमा करने और निवेश के तहत लाभ कमाने की जिम्मेदारी मरीजों और उनके परिजनों के कंधों पर डाल दी गई है। इन अस्पतालों में एक बार दाखिल होने के बाद या तो मरीज कर्जदार बनकर लौटता है, या फिर जान-माल से भी हाथ धो बैठता है। ऐसे मामलों पर पीड़ितों ने कड़ाई से रोक की मांग की है। उनके मुताबिक MMI धर्मार्थ ट्रस्ट की तर्ज पर प्रदेश में अन्य कई अस्पताल संचालित हो रहे है, लेकिन इन अस्पतालों में मरीजों को रियायती दरों के बजाय बाजार भाव पर इलाज कराना होता है।
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शिकायत के मुताबिक MMI अस्पताल को धर्मार्थ के नाम पर आयकर और दूसरी छूट प्राप्त होती है। छत्तीसगढ़ सरकार ने भी धर्मार्थ ट्रस्ट के चलते इस अस्पताल को जनहित के नाम पर कई सुविधाएं उपलब्ध कराई है। सस्ती दरों पर जमीन आबंटन से लेकर करों में छूट भी दी है। लेकिन जनता को इसका अपेक्षित लाभ नहीं मिल पा रहा है। बताया जाता है कि MMI ट्रस्टियों ने इस धर्मार्थ अस्पताल का संचालन प्रतिमाह मोटी कीमत पर NH नामक उस व्यावसायिक संस्थान को सौंप दिया है, जहाँ महँगी बाजार दरों पर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। यहाँ धर्मार्थ ट्रस्ट नाम का इस्तेमाल सिर्फ मरीजों की आँखों में धूल झोंकने के लिए किया जाता है। छत्तीसगढ़ में जटिल और सामान्य बिमारियों के इलाज में उगाही और लापरवाही के कई मामले सामने आये है। प्रदेश में मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल का कारोबार अब उद्योग धंधों की शक्ल ले चूका है।
केंद्र और राज्य सरकार की मुफ्त इलाज संबंधी कई जनहितैषी योजनाओं को भी यहाँ लाभ का जरिया बना लिया गया है। हालांकि विभिन्न योजनाओं के बेजा इस्तेमाल को लेकर राज्य सरकार ने ऐसे कुछ एक अस्पतालों पर शिकंजा भी कसा है। लेकिन ज्यादातर मामलों में कार्यवाही अधर में बताई जाती है। बताया जाता है कि स्वास्थ्य योजनाओं के बेजा भुगतान को लेकर राज्य सरकार ने कई अस्पतालों के खिलाफ पुलिस में प्रकरण भी दर्ज कराया है। बावजूद इसके मरीजों की जान-माल पर हाथ साफ करने वाले अस्पतालों की संख्या में कोई कमी नहीं आई है। यह कारोबार इतना फल-फूल रहा है कि गांव-कस्बों में भी कुकुरमुत्ते की तरह रोजाना नए अस्पताल खुल रहे है। NHMMI प्रकरण को भी ऐसे ही अस्पतालों से जोड़ कर देखा जा रहा है। बहरहाल, शिकायतकर्ताओं ने जिला प्रशासन से इस अस्पताल के खिलाफ जल्द वैधानिक कदम उठाने की मांग की है।