रायपुर/भिलाई: रायपुर से सटे भिलाई में बच्चा अदला-बदली मामले में जिला प्रशासन ने डीएनए टेस्ट के निर्देश दिए है। बताया जाता है कि जिला अस्पताल की मदर चाइल्ड यूनिट में बच्चों की अदला-बदली की शिकायत के बाद हरकत में आये प्रशासन ने डीएनए टेस्ट कराने का निर्णय लिया है। कलेक्टर ऋचा प्रकाश चौधरी और बाल कल्याण समिति की बैठक के बाद बुधवार को प्रभारी सीएमएचओ डॉ. सीबीएस बंजारे ने बच्चों के डीएनए टेस्ट कराने के फैसले से शिकायतकर्ताओं को अवगत कराया है। इसके लिए प्रशासन ने बाकायदा तीन सदस्यीय कमेटी गठित की है।
उधर छत्तीसगढ़ में तत्कालीन सुपर सीएम और मुख्यमंत्री के बंगले में निवासरत, राजकाज करने के मामले में सुर्ख़ियों में रही सौम्या-भूपे के कब्जे में दो जुड़वा बच्चों को लेकर पीड़ित अभी भी न्याय के लिए भटक रहे है। इन्होने रायपुर के तत्कालीन कलेक्टर को बाकायदा आवेदन देकर पूर्व मुख्यमंत्री भूपे बघेल की तत्कालीन उपसचिव के कब्जे से जुड़वा बच्चों के डीएनए टेस्ट और उनकी आजादी की मांग की थी। लेकिन तत्कालीन मुख्यमंत्री बघेल के दबाव पर मामला रफा-दफा कर दिया गया था। यही नहीं पीड़ितों का मुँह बंद करने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री की खास ‘हम-दम’ ने उन पर कई जुल्म भी ढाये थे।
जानकारी के मुताबिक दुर्ग में बच्चों की अदला-बदली मामले में जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. हेमंत साहू, आरएमओ डॉ. अखिलेश यादव और पैथोलॉजिस्ट डॉ. जिज्ञासा को कमेटी में शामिल कर पीड़ित पक्षकारों का डीएनए सैंपल लेकर टेस्ट कराया जायेगा।
यह भी बताया जाता है कि यह टेस्ट चूंकि राज्य व केंद्र सरकार के फॉरेंसिक डिपार्टमेंट की सरकारी लैब में ही होता है, इसलिए सैंपल भेजने की तैयारी शुरू कर दी गई है। जानकारी के मुताबिक डीएनए जांच रिपोर्ट आने में 10 से 30 दिन का समय लग सकता है। सूत्र तस्दीक कर रहे है कि दुर्ग सिविल सर्जन की अगुवाई में जांच कमेटी आज सैंपल कलेक्ट कर अपनी प्रक्रिया शुरू करेगी।
डीएनए टेस्ट के लिए गाल के अंदर के स्वाब, खून और बालों के सैंपल से भी लिए जाते हैं, इसलिए चूक से बचने के लिए शरीर के विभिन्न अंगों से सैंपल लिए जाने के लिए निर्देशित किया गया है। इधर रायपुर में एक बार फिर प्रशासन से भूपे बघेल पिता नंदलाल बघेल, पूर्व मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़ एवं उनकी निलंबित उपसचिव सौम्या चौरसिया व उनके पति का डीएनए टेस्ट के लिए सैम्पल लिए जाने की मांग जोरो पर है। यह भी बताया जाता है कि पूर्व मुख्यमंत्री बघेल अपने डीएनए टेस्ट के लिए तैयार है, जबकि सौम्या आनाकानी कर रही है।
बता दे कि तत्कालीन मुख्यमंत्री बघेल की उपसचिव सौम्या के कब्जे में दो जुड़वा बच्चों का लालन-पोषण किया जा रहा है। इन बच्चों के नैर्सर्गिक माता-पिता की आधिकारिक पुष्टि अभी तक नहीं हो पाई है। ये बच्चे पूर्व मुख्यमंत्री बघेल के कार्यकाल में ‘राज पुत्र-पुत्री’ के नाम से जाने-पहचाने जाते थे। प्रशासनिक मामलों के जानकारों के मुताबिक बघेल के सरकारी बंगले सीएम हाउस में तैनात रहते ही सौम्या को दो जुड़वा बच्चे हाथ लगे थे। उनके मुताबिक महिला उपसचिव का कार्यस्थल मंत्रालय में मुख्यमंत्री सचिवालय निर्धारित था। लेकिन उनका ज्यादातर वक़्त सीएम हाउस में ही गुजरता था।
यह भी बताते है कि अधिक उम्र और मोटापे के चलते तत्कालीन उपसचिव निसंतान थी। लेकिन रातों-रात उनकी ‘सुनी गोद’ भर गई थी। इस आश्चर्यजनक मामले में बघेल ने भी उस समय सुर्ख़ियां बटोरी थी, जब मुख्यमंत्री सचिवालय में घटित इस अनहोनी की जांच करने के बजाय उन्होंने निसंतान दंपत्तियों कों ‘माँ’ बनाने का उपक्रम शुरू किया था। बताते है कि गैर-क़ानूनी रूप से ‘किराए की कोख (सरोगेसी)’ के लिए बघेल ने बड़ा योगदान दिया था। यही नहीं सरोगेसी में सहायक साबित हुए किरदारों को पिछले दरवाजे से घर बैठे सरकारी नौकरी मुहैया कराने की भी जानकारी सामने आई है।
यह भी बताया जाता है कि जुड़वा बच्चों को पाने के लिए सौम्या चौरसिया और भूपे बघेल पिता नंदलाल बघेल ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी।पीड़ितों को उम्मीद है कि नियम प्रक्रियाओं के तहत इन जुड़वा बच्चों और उन पर अपना अधिकार जताने वाले सभी पक्षों का डीएनए टेस्ट कराने में रायपुर जिला प्रशासन भी रूचि दिखाएगा। फ़िलहाल, न्याय की दिशा में दुर्ग कलेक्टर की सक्रियता की तर्ज पर रायपुर कलेक्टर से भी पीड़ितों ने न्याय की गुहार लगाई जा रही है।