रायपुर: भिलाई स्टील प्लांट से लोहा, कबाड़ और अन्य कीमती सामानों की चोरी और अफरा-तफरी करने वालों पर ट्रैफिक पुलिस की गाज गिरी है। एक विभागीय कार्यवाही में तस्करों समेत ऐसे चुनिंदा ट्रांसपोर्टरों पर लगाम कसी जा रही है, जो रोजाना लाखों के माल पर हाथ साफ कर रहे है। इसके साथ ही पुलिस महकमे में खलबली मच गई है। बताया जाता है कि भिलाई में वर्षों से जमे-जकड़े उन पुलिस अधिकारियों में गहमा-गहमी है, जिनके संरक्षण में यह कारोबार सुनियोजित रूप से संचालित होता था।
कतिपय ट्रांसपोर्टरों पर शिकंजा कसते ही पुलिस महकमे में खलबली मची हुई है। विभागीय अधिकारियों-कर्मियों का एक धड़ा बिट्टू गिरोह के खिलाफ वैधानिक कार्यवाही में जुटा है, तो दूसरा उसके कारोबार को बचाने की जद्दोजहद में। नतीजतन, पुलिस महकमे में इस कार्यवाही को लेकर हड़कंप है। जानकारी के मुताबिक दुर्ग-भिलाई में ट्रांसपोर्टरों के गैर-क़ानूनी कृत्यों से ना केवल भिलाई स्टील प्लांट से चोरी-छिपे लोहे समेत अन्य सामग्री की धड़ल्ले से तस्करी होती है, अपितु देखते ही देखते यह माल दूर दराज के इलाकों में खपा दिया जाता है।
सूत्र तस्दीक कर रहे है कि ट्रांसपोर्टर और उनके कतिपय खाकी वर्दीधारी सहयोगी भी पखवाड़े भर से हैरान-परेशान है। दरअसल, बिट्टू गिरोह की कमाई अब दिनों-दिन घटती जा रही है। बताते है कि ट्रैफिक पुलिस का एक दस्ता इस गिरोह के गैर-क़ानूनी धंधों पर चोट मार रहा है। कभी ओवर-लोडिंग तो कभी वाहनों में लादे गए गैर-क़ानूनी माल की जांच को लेकर ट्रैफिक पुलिस के सक्रिय होते ही महकमे में भी हलचल तेज हो गई है। बिट्टू गिरोह के प्रति नरमी बरते जाने को लेकर ट्रैफिक पुलिस का एक धड़ा जोर-शोर से जुटा हुआ है।
बताते है कि वाहनों और उस पर लादे गए माल की जांच और वैधानिक कार्यवाही से उन अधिकारियों का अहित हो रहा है, जो यहाँ वर्षों से जमे-जकड़े है। इसके चलते उन अधिकारियों की कमाई पर विपरीत असर पड़ा है, जो अब तक लाभांवित हो रहे थे। इस कार्यवाही को लेकर ट्रैफिक महकमे में तलवार खींच गई है, महकमा दो भागों में बंट गया है। यही नहीं बिट्टू को पूर्व भूपे सरकार की तर्ज पर संरक्षण देने को लेकर भी नवागांतुक और पूर्व पदस्थ पुलिस अधिकारियों के बीच काफी मतभेद नजर आ रहे है।
बताते है कि ट्रैफिक पुलिस का एक दस्ता गैर-क़ानूनी गतिविधियों में जुटे बिट्टू गिरोह के बचाव में उतर आया है। जबकि दूसरा धड़ा इसकी बगैर परवाह किये अपनी कार्यवाही में जुटा है। मामले को लेकर अब राजनीति भी शुरू हो गई है। गैर-क़ानूनी गतिविधियों में लिप्त ऐसे कई ट्रांसपोर्टर और उनके वाइट कॉलर भागीदारों ने पुलिस कार्यवाही को लेकर अपना मोर्चा खोल दिया है।
जानकारी के मुताबिक भिलाई-दुर्ग में प्रवेश करते ही ट्रैफिक पुलिस का एक दस्ता उस मासिक पास की बिक्री के लिए सक्रिय हो जाता है, जिनका वाहन बिट्टू गिरोह से सम्बद्ध नहीं है। बताते है कि कई ट्रांसपोर्टर प्रवेश पास के नाम पर इस अवैध वसूली से दो-चार हो रहे है। उनके मुताबिक प्रतिस्पर्धा के चलते माल भाड़ा एक तो कम मिल रहा है, वही ट्रैफिक पुलिस की अवैध वसूली से उनका दम भी निकल रहा है। एक शिकायत में ऐसे पीड़ित कारोबारियों ने दलील दी है कि वे कई बार इसकी शिकायत वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों से कर चुके है। लेकिन उन्हें राहत नहीं मिल पाई।
उनके मुताबिक प्रवेश पास से इंकार करने पर उनके वाहनों को ओवर-लोडिंग कह कर भिलाई के नेहरू नगर कार्यालय में बंद कर दिया जाता है, न्यायलय भेजने की धमकी दी जाती है। पीड़ित ट्रांसपोर्टरों ने मामला वरिष्ठ अधिकारियों के संज्ञान में लाते हुए जांच की मांग की है। उधर इस मामले को लेकर राजनीति भी तेज है। दुर्ग-भिलाई में वर्षों से पदस्थ ट्रैफिक पुलिसकर्मियों और नव पदस्थ कर्मियों के बीच भी तनाव की स्थिति देखी जा रही है।
कई ट्रांसपोर्टर्स यह भी तस्दीक कर रहे है कि बिट्टू गिरोह पर शिकंजा कसने से राजनीति उफान पर है। उनके मुताबिक वैधानिक कार्यवाही में सक्रिय एक ASP के खिलाफ स्थानीय DSP ने मोर्चा खोला है। इसके तहत उन अधिकारियों की झूठी शिकायतें की जा रही है जो वैधानिक कार्यवाही पर जोर दे रहे है। वे बताते है कि नगरीय निकाय चुनाव को देखते हुए बीजेपी को बदनाम करने के लिए क़ानूनी कार्यवाही करने वाले अधिकारियों को शिकंजे में लिया गया है। इसमें कांग्रेस समर्थित कतिपय पुलिस अधिकारियों की महत्वपूर्ण भूमिका है। उनका आरोप है कि पुलिस परिवार समेत अन्य राजनैतिक दलों को मोटा चंदा देकर ट्रैफिक पुलिस की कार्यवाही को कमजोर करने की पुरजोर कोशिश की जा रही है। मामले को राजनैतिक रंग देकर ट्रैफिक पुलिस में पदस्थ ईमानदार अफसरों का मनोबल तोड़ा जा रहा है, ऐसे ट्रांसपोर्टरों ने वरिष्ठ अधिकारियों से अवैध गतिविधियों में लिप्त वाहनों के खिलाफ अभियान छेड़ने की मांग करते हुए मामले की उच्च स्तरीय जांच करने की भी मांग की है।उन्होंने चिंता जाहिर करते हुए यह भी कहा कि शिकायतों को लेकर पुलिस कर्मियों पर सख्त कार्यवाही करने में तत्पर वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक इस प्रकरण को लेकर मौन है।
जानकारों के मुताबिक पूर्ववर्ती भूपे सरकार के कार्यकाल में बिट्टू गिरोह को संरक्षण देने वाले अधिकारियों की छंटनी नहीं होने से महकमे में गतिरोध देखा जा रहा है, प्रभावशील बिट्टू और उसके गिरोह स्थानीय पुलिस और बीजेपी सरकार पर दबाव बना कर अपना अवैधानिक कारोबार यथावत जारी रखने में जुटे है। इसके लिए विभिन्न संगठनों और राजनैतिक दलों के जरिये ट्रैफिक पुलिस को घेरने की कोशिशे भी की जा रही है। न्यूज़ टुडे छत्तीसगढ़ ने इस मामले को लेकर दुर्ग एसएसपी से प्रतिक्रिया लेनी चाही, लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो पाया।