दिल्ली/रायपुर: छत्तीसगढ़ में वन विभाग की योजनाएं चुनिंदा अधिकारियों कों माला-माल बना रही है। जबकि वनों का विस्तार होने के बजाय उसका रकबा लगातार घटते जा रहा है। वही दूसरी ओर जल-जंगल और जमीन से जुड़ी एक बड़ी आबादी को कैम्पा फंड के दुरुपयोग के चलते भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। प्रदेश में कैम्पा फंड के जरिये अरबों रुपये खर्च कर दिए गए है, बावजूद इसके जल-जंगल और जमीन पर कोई रचनात्मक कार्य अब तक दर्ज नहीं किए जा सके है। इसके लिए कैम्पा फंड की एक बड़ी राशि पर हाथ साफ करने का मामला सामने आया है।
जंगल राज में भ्रष्टाचार के लिए मौजूदा फॉरेस्ट चीफ की कार्यप्रणाली के साथ-साथ विभागीय सचिव को भी जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। न्यूज़ टुडे छत्तीसगढ़ ने उन इलाकों का जायजा लिया है, जहाँ कैंपा फंड की रकम से विकास का दावा किया गया था। इन इलाकों में यह योजना कतिपय अधिकारियों के लिए लाभदायक साबित हुई है, हैरान करने वाली बात यह है कि मौके पर जंगलों में सिर्फ कागजी घोड़े ही दौड़ाए गए है। न्यूज़ टुडे छत्तीसगढ़ ने उन इलाकों का जायजा लिया है, जहाँ कैंपा फंड की रकम से विकास का दावा किया गया था। इन इलाकों में यह योजना कतिपय अधिकारियों के लिए लाभदायक साबित हुई है, हैरान करने वाली बात यह है कि मौके पर जंगलों में सिर्फ कागजी घोड़े ही दौड़ाए गए है।
जानकारी के मुताबिक कैम्पा फंड से संचालित कई योजनाओं के ऑफलाइन होने के चलते नगद भुगतान का मामला सीधे तौर पर भ्रष्टाचार से जुड़ा बताया जाता है। वन विभाग अंतर्गत वन मंडलाधिकारियों एवं वन परिक्षेत्र अधिकारियों द्वारा केन्द्र शासन के निर्देशों के विपरीत कैम्पा (CAMPA) मद में नगद राशि का भुगतान को बंद करने की सालों पुरानी मांग रद्दी की टोकरी में डाल दी गई है। जबकि भारत सरकार, वित्त एवं कंपनी मामलों के मंत्रालय द्वारा शासकीय लेन-देन के ट्रेकिंग तथा मानिटरिंग प्रक्रिया हेतु वर्ष 2017 से PFMS सिस्टम अनिवार्य किया गया है। बावजूद इसके प्रदेश में नगद भुगतान जारी है।
प्रशासनिक मामलों के जानकारों के मुताबिक ऑनलाइन डिजिटल भुगतान प्रक्रिया में समस्त शासकीय लेन-देन डिजिटल माध्यम से सीधे बैंक खातों से अंतरित किया जाता है। लेकिन छत्तीसगढ़ के वन विभाग में इस प्रक्रिया का पालन अभी तक सुनिश्चित नहीं किया गया है। नतीजतन, सरकारी लेन-देन में बड़े पैमाने पर अनियमितता के मामले सामने आ रहे है। एक शिकायत में इस तरह के भ्रष्टाचार के लिए मौजूदा फॉरेस्ट चीफ को जिम्मेदार ठहराया गया है। बताया जाता है कि राज्य सरकार के सभी विभागों में भुगतान E- कुबेर प्रणाली से सीधे रिजर्व बैंक के माध्यम से संपादित किया जाता है।
दरअसल, केंद्र एवं राज्य शासन दोनों के ही द्वारा नगद लेन-देन को हतोत्साहित करने के लिए सीधे बैंक खातों में राशि अंतरण करने हेतु ऑनलाइन भुगतान प्रणाली लागू है। लेकिन वन विभाग इससे अछूता बताया जाता है। सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर वर्ष 2004 से भारत सरकार पर्यावरण एवं वन मंत्रालय CAMPA अधिनियम लागू किया गया था। इसका मूल उद्देश्य ही क्षतिपूर्ति वनीकरण निधि का प्रबंधन एवं योजना है। जबकि भारत सरकार के दिशा निर्देशों के विपरीत प्रदेश में वन मंडलाधिकारियों एवं चन परिक्षेत्राधिकारियों व्दारा कैम्पा निधि के अंतर्गत प्राप्त आवंटन का नगद भुगतान किया जा रहा है।
इस मामले में विभागीय सचिव की भी कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लग रहे है। प्रशासनिक मामलों के जानकार इस भ्रष्टाचार को लेकर आश्चर्य जाहिर कर रहे है। उनके मुताबिक यह मामला विभागीय सचिव की गैर-जिम्मेदार पूर्ण कार्यप्रणाली से भी सम्बद्ध है, प्रकरण में अपराध दर्ज कर उनके खिलाफ भी वैधानिक कार्यवाही की जानी चाहिए। बताया जाता है कि सरकारी रकम पर हाथ साफ करने के लिए सुनियोजित रूप से आर्थिक अपराधों को अंजाम दिया जा रहा है। कतिपय अधिकारियों द्वारा विभागीय निधि से व्यय हेतु कुबेर प्रणाली से सीधे श्रमिकों एवं वेंडरों की बैंक खातों में राशि अंतरित करने के बजाय नगद भुगतान जारी रखा गया है।
CAMPA FUND की राशि का श्रमिकों को नगद भुगतान का मामला आर्थिक अपराध के दायरे में बताया जाता है। जानकारों के मुताबिक आपूर्तिकर्ताओं/वेंडरों को चेक डिजिटल के माध्यम से भुगतान/ एक ही आहरण अधिकारी द्वारा विभागीय निधि एवं CAMPA निधि से भुगतान हेतु दो अलग-अलग प्रक्रिया का अनुसरण किये जाने से भुगतान प्रक्रिया में दोहरा मापदंड अपनाया जाना एक बड़े भ्रष्टाचार की ओर संकेत कर रहा है। केंद्र और राज्य सरकार ने शासकीय कामकाज एवं लेन-देन में पारदर्शिता एवं भुगतान की ट्रेकिंग हेतु खास डिजिटल प्रणाली लागू की है। लेकिन राज्य में मौजूदा फॉरेस्ट चीफ की मनमानी के चलते इस प्रक्रिया को दरकिनार कर दिया गया है।
बताते है कि वन मडलाधिकारियों एवं वन परिक्षेत्र अधिकारियों व्वारा न सिर्फ केन्द्र शासन के दिशा निर्देशो एवं CAMPA ACT का उल्लंघन किया जा रहा है, अपितु नगद भुगतान की अपारवशी प्रक्रिया के माध्यम से CAMPA निधि का बड़े पैमाने पर दुरूपयोग भी किया जा रहा है। भारत सरकार को भेजी गई एक शिकायत में कहा गया है कि प्रदेश में CAMPA निधि के भुगतान को वन मंडलाधिकारियों एवं वन परिक्षेत्र अधिकारियों द्वारा बैंक की ग्राम से दूरी का बहाना बताकर जिले के कलेक्टर से नियम विरुद्ध नगद भुगतान हेतु एक बार अनुमति लेकर अनेकों बार (साल दर साल) लगातार नगद राशि का भुगतान किया जा रहा है।
जबकि निर्माण कार्यों की जांच हेतु कोई तकनीकी अधिकारी पदस्थ नहीं है, ज्यादातर इलाकों में फर्जी माप दर्ज किये जा रहे हैं। इसके अलावा निर्माण सामग्री की आपूर्ति 75% से भी कम की जा रही है। मूल रूप से 30 फीसदी निर्माण सामग्री भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ाई जा रही है। शिकायतकर्ता ने राज्य सरकार से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। उधर न्यूज़ टुडे छत्तीसगढ़ ने शिकायत को लेकर फॉरेस्ट चीफ एवं विभागीय सचिव से संपर्क किया, लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल पाई।