GBS Crisis: पुणे में बढ़ा जीबीएस का खतरा, एक मरीज की अस्पताल में मौत, जाने क्या होता है इसका लक्षण…

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पुणे: GBS Crisis: गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) से पीड़ित 36 वर्षीय व्यक्ति की पुणे के नागरिक अस्पताल में मौत हो गई। अधिकारियों ने आज बताया कि इस व्यक्ति की मौत के साथ ही राज्य में जीबीएस से मरने वालों की संख्या तीन हो गई है। कैब ड्राइवर के रूप में काम करने वाले इस मरीज को 21 जनवरी को पिंपरी चिंचवाड़ के यशवंतराव चव्हाण मेमोरियल अस्पताल (वाईसीएमएच) में भर्ती कराया गया था।

पिंपरी चिंचवाड़ नगर निगम के मुताबिक, वाईसीएमएच में एक विशेषज्ञ समिति ने मामले में गंभीरता से जांच की है। समिति ने पाया कि मौत का कारण निमोनिया के कारण श्वसन तंत्र का कमजोर होना था। इस वजह से सांस लेने में गंभीर कठिनाई हुई। समिति ने उल्लेख किया कि 22 जनवरी को उस पर तंत्रिका चालन परीक्षण किया गया था, जिसमें मरीज के जीबीएस संक्रमित होने का भी पता चला था।

स्वास्थ्य अधिकारियों के मुताबिक, राज्य में जीबीएस के संदिग्ध मामलों की संख्या बढ़कर 130 हो गई है। इससे पहले बुधवार को पुणे में 56 वर्षीय एक महिला की जीबीएस से मौत होने की बात कही गई थी। वहीं, सोलापुर के एक 40 वर्षीय व्यक्ति की 26 जनवरी को जीबीएस की वजह से मौत हुई थी।

गिलियन बैरे सिंड्रोम एक ऐसी स्थिति है जिसमें आपके ही शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली तंत्रिकाओं पर अटैक कर देती है। इस वजह से मरीजों को कमजोरी, सुन्न होने या फिर लकवा मारने जैसे दिक्कतें हो सकती हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञ जीबीएस की समस्या को मेडिकल इमरजेंसी के तौर पर देखते हैं, जिसमें रोगी को तुरंत उपचार की आवश्यकता होती है।

इलाज न मिलने पर जान जाने का भी खतरा हो सकता है। क्लीवलैंड क्लिनिक की रिपोर्ट पर नजर डालें तो पता चलता है कि दुनियाभर में हर साल लगभग एक लाख लोगों को ये समस्या होती है, हालांकि ये दिक्कत क्यों होती है इसका सटीक कारण अभी तक ज्ञात नहीं है। अगर समय पर रोग का इलाज हो जाए तो इससे आसानी से ठीक हो सकते हैं।

गुलियन-बैरे सिंड्रोम के क्या लक्षण होते हैं?

  • मेडिकल रिपोर्ट्स के मुताबिक ये बीमारी आपके पेरीफेरल नर्वस को अटैक करती है। ये तंत्रिकाएं मांसपेशियों की गति, शरीर में दर्द के संकेत, तापमान और शरीर को छूने पर होने वाली संवेदनाओं का एहसास कराती हैं। इन तंत्रिकाओं को होने वाली क्षति के कारण आपको कई तरह की दिक्कतें हो सकती हैं।
  • हाथ और पैर की उंगलियों, टखनों या कलाई में सुई चुभने जैसा एहसास।
  • पैरों में कमजोरी जो शरीर के ऊपरी हिस्से तक फैल सकती है।
  • चलने या सीढ़ियां में असमर्थ होना।
  • बोलने, चबाने या निगलने में परेशानी होना।
  • पेशाब पर नियंत्रण न रह जाना या हृदय गति का बहुत बढ़ जाना।

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