छत्तीसगढ़ में घोटालेबाजों और ED के आरोपियों का नया कंट्रोल रूम बना ये अस्पताल, ढांड से पहले सौम्या, टुटेजा, ढेबर, त्रिपाठी उठा चुके लुफ्त, अब कोल माफिया सूर्यकान्त तिवारी की दस्तक, अस्पताल में निवेश का ब्लैक मनी कनेक्शन….

0
21

रायपुर: छत्तीसगढ़ में ED के आरोपियों समेत कई घोटालेबाजों के लिए एक निजी अस्पताल निवेश के साथ-साथ आराम फरमाने और कोर्ट-कचहरी के कार्यों के लिए नई शरण स्थलीय साबित हो रहा है। यहाँ कई मामलों के आरोपी लुफ्त उठा चुके है, हाल ही में पूर्व चीफ सेक्रेटरी विवेक ढांड भी इलाज के लिए यहाँ दाखिल हुए थे। ढांड के यहाँ से खिसकते ही अब बारी 700 करोड़ के कोल खनन परिवहन घोटाले के आरोपी सूर्यकांत तिवारी की बताई जाती है। उसकी मौज-मस्ती के लिए रूम नंबर XX4 सुसज्जित किया जा रहा है।

सूत्र तस्दीक करते है कि शनिवार-रविवार को उन्हें यहाँ दाखिल कराया जायेगा। इसके बाद इलाज के नाम पर अदालत के दिशानिर्देशों के ठीक विपरीत सुख-सुविधाएँ मुहैया कराई जाएगी। यह भी बताया जाता है कि ED के आरोपियों पर निगाह रखने के लिए इस अस्पताल में कोई ठोस प्रबंध नहीं किए गए है। विचाराधीन बंदियों को CCTV के दायरे से भी बचाने के पुख्ता प्रबंध उपलब्ध कराए गए है। यही नहीं आरोपियों के अलावा उनके परिजनों की सुविधा के लिए अस्पताल में फ़ोन-मोबाइल समेत कम्प्यूटर भी उपलब्ध कराया गया है।

अदालत के दिशानिर्देशों के विपरीत इलाज के नाम पर यहाँ संचालित गतिविधयां संदेहस्पद बताई जाती है। यह भी बताया जा रहा है कि आरोपी अनिल टुटेजा, कारोबारी अनवर ढेबर, सौम्या चौरसिया, अरुण पति त्रिपाठी समेत कई प्रभावशील बंदियों का अस्पताल में दाखिला हो चूका है। पूर्व चीफ सेक्रेटरी विवेक ढांड इस अस्पताल में हफ्तेभर तक भर्ती रहने के बाद हाल ही में डिस्चार्ज हुए है।जानकारी के मुताबिक कारोबारी अनवर ढेबर के प्रकरण में मेकाहारा अस्पताल के एक डॉक्टर द्वारा फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट जारी करने की घटना के बाद आरोपी डॉक्टर के निलंबन से गतिरोध कायम है।

बताया जाता है कि आरोपी चिकित्सक के निलंबन के बाद मेकाहारा अस्पताल के डॉक्टरों ने ED के आरोपियों के इलाज को लेकर बेरुखी जाहिर की है। उन्होंने अपने हाथ खड़े कर दिए है, हालात को देखते हुए ED के लगभग तमाम आरोपियों ने अदालत में इसी अस्पताल में इलाज कराने की इच्छा जाहिर की थी।

यहाँ उनकी लगातार आवाजाही से अब यह अस्पताल ED के आरोपियों के लिए सुरक्षित ठिकाना बन गया है। बताते है कि ED के तमाम आरोपियों ने किसी अन्य सरकारी-गैर सरकारी अस्पताल के बजाये सिर्फ इसी निजी अस्पताल में ही इलाज करवाने में दिलचस्पी दिखाई है। इसके लिए वे बाकायदा क़ानूनी प्रक्रिया पूर्ण कर यहाँ दाखिल हो रहे है।

उधर अस्पताल में सुरक्षा में कमी, लापरवाही और ED के आरोपियों की समुचित देखभाल में कमी जैसे नज़ारे आम है। इसके चलते मौके का फायदा उठाने के मामलों में ED के आरोपियों की हिमाकत चर्चा का विषय बनी हुई है। सूत्र तस्दीक करते है कि इस अस्पताल का विगत 5 वर्षो से तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपे और उनकी सरकार से करीब का नाता रहा है। अस्पताल निर्माण से लेकर इससे सम्बद्ध होटल और अन्य व्यावसायिक गतिविधियों में इसके निर्माता निर्देशकों की ED के आरोपियों के साथ पुरानी व्यावसायिक दोस्ती और संयुक्त कारोबार सुर्ख़ियों में है।

यह भी बताया जा रहा है कि मेडिकल कारोबार और उससे जुड़े अन्य प्रतिष्ठानों में भ्रष्टाचार में शामिल ऐसे कुछ चुनिंदा राजनेताओं और कारोबारियों का निवेश सुर्ख़ियों में है, जिनकी धर पकड़ में इन दिनों ED जुटी हुई है। पूर्व चीफ सेक्रेटरी विवेक ढांड के अलावा पूर्व मुख्यमंत्री के दर्जनों करीबी इस संयुक्त कारोबार में बराबर के हिस्सेदार बताये जाते है। चर्चा आम है कि रायपुर के पंडरी स्थित अस्पताल के अलावा विधानसभा रोड कचना में निर्माणाधीन 7 स्टार होटल एवं व्यावसायिक काम्प्लेक्स और रियल एस्टेट कारोबार में घोटालेबाजों द्वारा मोटा निवेश किया गया है।

एक शिकायत के मुताबिक विगत 5 वर्षों में रियल एस्टेट और मेडिकल कारोबार (अस्पताल निर्माण) में जिन संस्थानों में बड़े पैमाने पर ब्लैक मनी निवेश किया गया है, उस फेहरिश्त में पंडरी स्थित एक मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल का नाम भी शुमार है। फ़िलहाल, ED के आरोपियों के लिए सुरक्षित कंट्रोल रूम में तब्दील इस अस्पताल में अदालत के दिशानिर्देश सुनिश्चित किये जाने की आवश्यकता बताई जा रही है।