ईडी की जांच लोकायुक्त पुलिस मैसूरु की ओर से दर्ज एक एफआईआर के आधार पर शुरू हुई. ये एफआईआर भारतीय दंड संहिता (IPC) 1860 और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के अलग-अलग धाराओं के तहत दर्ज की गई थी. आरोप है कि सिद्धारमैया ने अपने राजनीतिक प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए अपनी पत्नी बीएम पार्वती के नाम पर मुआवजे के रूप में 14 प्लॉट हासिल किए. ये मुआवजा तीन एकड़ 16 गुंटा भूमि के बदले दिया गया था जिसे MUDA ने मात्र 3,24,700 रुपये में अधिग्रहित किया था. जानकारी के अनुसार इन 14 प्लॉट्स की वर्तमान कीमत लगभग 56 करोड़ रुपये बताई जा रही है.
समाचार एजेंसी ANI की रिपोर्ट के मुताबिक, जांच के दौरान ये भी पता चला कि बीएम पार्वती को आवंटित 14 प्लॉट्स के अलावा कई बाकी प्लॉट्स भी MUDA की ओर से अनियमित रूप से रियल एस्टेट व्यवसायियों को मुआवजे के रूप में दिए गए. इन व्यवसायियों ने इन प्लॉट्स को भारी फायदे में बेचकर नकदी इकट्ठी की और इसे वैध स्रोतों से पैदा आय के रूप में दिखाया. ईडी ने कहा कि कई प्लॉट प्रभावशाली व्यक्तियों और व्यवसायियों के बेनामी नामों पर आवंटित किए गए.
जांच में ये भी सामने आया कि तत्कालीन MUDA आयुक्त डीबी नटेश की भूमिका इस अनियमितता में अहम रही. आरोप है कि इन अधिकारियों ने संपत्तियों, नकदी और बाकी संसाधनों के रूप में अवैध लाभ हासिल किया. ईडी ने बताया कि इन अवैध धनराशियों का इस्तेमाल सहकारी समितियों के माध्यम से संपत्तियां और लक्जरी वाहनों की खरीद के लिए किया गया. इन संपत्तियों को पूर्व MUDA आयुक्त जीटी दिनेश कुमार के रिश्तेदारों के नाम पर दर्ज किया गया.
प्रवर्तन निदेशालय ने ये भी संकेत दिया है कि इस मामले में और भी कई खुलासे हो सकते हैं. फिलहाल जब्त की गई संपत्तियों और अवैध धनराशियों के स्रोत की जांच की जा रही है. एजेंसी का कहना है कि सभी दोषियों को कानून के दायरे में लाकर इस मनी लॉन्ड्रिंग मामले की तह तक पहुंचा जाएगा.