नई दिल्ली/रायपुर: छत्तीसगढ़ के 2200 करोड़ के शराब घोटाले में पूर्व मुख्यमंत्री के साथ प्रदेश के पूर्व चीफ सेक्रेटरी की गिरफ्तारी सुनिश्चित मानी जा रही है। इस सिलसिले में ED अब सक्रिय नजर आ रही है। उसने उन त्रुटियों को सुधार लिया है, जिसके चलते अदालत में संदेहियों के अलावा आरोपियों के बच निकलने के रास्ते नजर आ रहे थे। सूत्र तस्दीक करते है कि कई दिनों से दिल्ली में डटे छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री के गिरफ्तारी से बचने के तमाम जोड़-तोड़ धरे के धरे रह गए है। उन्हें अब ना तो सत्ताधारी दल से कोई सहयोग मिल पा रहा है और ना ही पार्टी के भीतर घोटालों के आरोपों को लेकर संरक्षण की कोई उम्मीद नजर आ रही है। उन्हें हालात से निपटने के लिए हिम्मत ना हारने की सलाह देकर कई वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं ने चलता कर दिया है। लिहाजा पूर्व मुख्यमंत्री अब रायपुर की उड़ान भरने की तैयारी में है।

उधर राजनैतिक गलियारों से आ रही खबरों के मुताबिक दिल्ली में हफ्ते भर से देश के सर्वाधिक महंगे वकीलों की शरण में पहुंचे पूर्व मुख्यमंत्री को बचाने के तमाम प्रयास उस समय सिमट गए, जब ED ने पूर्व में पेश कई तथ्यों में त्रुटि और भूल-सुधार कर नया हलफनामा सुप्रीम कोर्ट में दाखिल कर दिया। बताते है कि इस मामले ने पूर्व मुख्यमंत्री और उनके क़ानूनी सलाहकारों के अरमानों पर पानी फेर दिया है। शुक्रवार को हुई मामले की सुनवाई में ईडी का हलफनामा गौरतलब बताया जाता है। बताते है कि इसके बाद कानून के कई जानकारों ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपे और उनके घोटालेबाज हिस्सेदार राज्य के पूर्व मुख्य सचिव विवेक ढांड को अग्रिम जमानत स्वीकार करने के क़ानूनी हथकंडों को लेकर अपने हाथ खड़े कर दिए है।
अदालती सूत्रों के मुताबिक राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री भूपे की राजधानी दिल्ली में क़ानूनी दौड़ निरर्थक साबित हुई है।

उनकी गिरफ्तारी पर अड़ंगा लगाने के बचाव पक्ष के प्रयासों पर उस समय पानी फिर गया, जब जेल में बंद एक आरोपी की याचिका में सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल ईडी के एक हलफनामे में अभियोजन पक्ष की दलीलों में शामिल कुछ आधार-बिंदुओं को लेकर गतिरोध की स्थिति निर्मित देखी गई। मौके की नजाकत को देखते हुए ईडी की ओर से पेश वकील ने अगली पेशी तक सुनवाई टालने की गुहार अदालत से लगाई। इसके बाद मामले की अगली सुनवाई 5 फरवरी तक टाल दी गई है। जानकारी के मुताबिक अदालत में स्वयं ईडी के वकील द्वारा उठाए गए सवालों पर कहा गया कि ईडी में कुछ तो गड़बड़ है। शराब घोटाले के मामले में सुप्रीम कोर्ट के सामने उस समय अजीबों-गरीब स्थिति निर्मित हुई जब ईडी की ओर से पेश हुए एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने एजेंसी की कार्यप्रणाली पर ही सवाल उठा दिए।

उन्होंने कहा कि ईडी में कुछ गड़बड़ चल रही है, बिना मेरी स्वीकृति के मेरे पेश होने से पहले ही हलफनामा दायर कर दिया गया है, ये आधा-अधूरा है। एएसजी राजू ने कहा- मुझे कल ही पता चला कि ईडी द्वारा दायर हलफनामे में गड़बड़ है, जांच एजेंसी ने उन्हें हलफनामे के तथ्यों से अवगत तक नहीं कराया। इसी दौरान आरोपी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मीनाक्षी अरोड़ा ने कहा- लगता है कि ईडी के वकील का यह बयान उनके मुवक्किल को और अधिक समय तक जेल में रखने की रणनीति का हिस्सा है। कैसे संभव है कि ईडी बिना अपने वकील से पूछे हलफनामा दे दे। मीनाक्षी अरोड़ा ने जिरह करते हुए कहा कि माय लॉर्ड, यह हलफनामा इनके एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड द्वारा दायर किया गया है।

अदालत में आरोपी के वकील के तर्कों से असहमत होते हुए ED की ओर से पेश एएसजी राजू ने कहा कि, एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड को दोषी नहीं ठहराया जा सकता, यह हलफनामा ईडी की ओर से आया था। मैंने व्यक्तिगत रूप से ईडी निदेशक को फोन कर कहा है कि वे इस मामले में एक विभागीय जांच शुरू करें और संबंधित अधिकारी को अदालत में उपस्थित होने को कहें। उन्होंने अदालत से गुहार लगाई, कृपया इस मामले को मंगलवार तक के लिए टाल दें। सुनवाई के दौरान जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने इस तर्क पर आश्चर्य जताते हुए कहा- यह एक गंभीर मामला है। जस्टिस ओक ने कहा- हलफनामा बिना आपके वकील की मदद के कैसे दाखिल हो सकता है? इसे आपकी टीम के ही किसी वकील ने दायर किया होगा।

सूत्र तस्दीक करते है कि मुख्य आरोपियों के बचाव और जांच प्रभावित करने के लिए 2005 बैच के छत्तीसगढ़ कैडर के आईपीएस शेख आरिफ और एक शराब कारोबारी केडिया ने मुंबई में एजेंसी से जुड़े एक प्रभावशील बैचमेट अधिकारी से मेल-मुलाकात की थी। इसके बाद जांच के कई बिंदुओं में बदलाव भी देखा गया था। क़ानूनी दांवपेचों के चलते आरोपियों की जमानत और रिहाई सुनिश्चित करने के ऐसे प्रयास बघेल के मुख्यमंत्री रहते जोरो पर बताये जाते थे। हालांकि अब ऐसे प्रयासों को खुद बा खुद एजेंसियों ने ख़ारिज कर दिया है। सूत्र यह भी तस्दीक करते है कि अब एजेंसियों ने पेशेवर तरीके से काम-काज कर तमाम त्रुटियां दूर कर दी है। इसके चलते शराब घोटाले का असली मास्टरमाइंड और मुख्य लाभार्थी जल्द हवालात के पीछे नजर आ सकते है। फ़िलहाल मामले की अगली सुनवाई पर प्रभावशील राजनेताओं से लेकर कानून के जानकारों की निगाहें टिकी हुई है।