अनपढ़ धन कुबेर को 72 करोड़ तो पढ़े लिखे चंट-चालक पूर्व मुख्यमंत्री भूपे को कितना ? बेचैनी भरी रात गुजरने के बाद आज मुंह खोलेंगे लखमा….       

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रायपुर: छत्तीसगढ़ के एक अनपढ़ मंत्री को बतौर कमीशन 72 करोड़ प्राप्त होने के अदालत में पेश ED के साक्ष्यों से पूर्व मुख्यमंत्री बघेल की अब जवाबदेहि सुनिश्चित हो रही है। माना जा रहा है कि जल्द पूर्व मुख्यमंत्री भी कवासी की राह पर जेल की दहलीज पर खड़े दिखाई दे सकते है। ED की हिरासत में कवासी लखमा की पहली रात बेचैनी भरी गुजरी है। हालांकि एजेंसियों ने लखमा को उनका मनपसंद नाश्ता और भोजन परोसना शुरू कर दिया है। ED की मेहमान नवाजी से लखमा गदगद बताये जाते है। बीती रात भरपूर नींद लेने के बाद आज सुबह से एक बार फिर लखमा से पूछताछ शुरू हो गई है। उन्हें, दो दर्जन से अधिक उन सवालों का जवाब देना है, जो उनकी गिरफ्तारी के पूर्व पूछे गए थे। सूत्रों के मुताबिक इन सवालों के जवाब को लेकर आबकारी मंत्री पहले बगले झांक रहे थे, लेकिन अब उनके सामने मुँह खोलने की नौबत आ गई है। काला चिट्ठा सामने रखकर एजेंसियां उन से पूछताछ में जुटी है। जब उन्हें मुँह बंद रखने का बतौर कमीशन 72 करोड़ तो तत्कालीन मुख्यमंत्री की हिस्सेदारी कितनी ? इस सवाल का जवाब भी जनता के सामने जल्द आने के आसार बढ़ गए है।

यही नहीं एक अनपढ़ को केबिनेट मंत्री बना कर आबकारी विभाग जैसा महकमे को लूटने वालों पर एजेंसियों की नजर गौरतलब बताई जाती है। इधर लखमा से पूछताछ में ED व्यस्त नजर आ रही है तो सुकमा-बीजापुर में लखमा की गिरफ्तारी को लेकर स्थानीय कांग्रेसी मैदान में है। पार्टी ने सुकमा बंद का ऐलान किया है। पूर्व मुख्यमंत्री बघेल भी भले दूर से ही सही यहाँ आवागमन ठप करने और बंद को कामयाब बनाने में मशगूल बताये जाते है। 

पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा की गिरफ्तारी के बाद पूर्व मुख्यमंत्री बघेल के उन क्रियाकलापों पर एजेंसियों की नजरे इनायत बताई जाती है, जिसके चलते प्रदेश में एक बड़े शराब घोटाले को अंजाम दिया गया था। ईडी का दावा है कि लखमा के मंत्री रहते नई ऐसी आबकारी नीति-2017 में बदलाव किया गया था, जिससे सरकारी तिजोरी लूट ली गई और कुर्सी में आसीन प्रभावशील लोगों को सीधा लाभ पहुंचा था। इसमें लखमा का नाम अव्वल नंबर पर है।

हालांकि उनके आगे तत्कालीन मुख्यमंत्री बघेल की कार्यप्रणाली पर भी एजेंसियों ने सवाल खड़ा कर दिया है। जानकारी के मुताबिक कैबिनेट मंत्री के हस्ताक्षर से आबकारी विभाग में नई नीति, सिस्टम बदला और सुनियोजित सिंडीकेट बन गया था। अदालत में ईडी की ओर से पेश किए गए दस्तावेजों के मुताबिक- तत्कालीन आबकारी सचिव अरुण पति त्रिपाठी ही पूरा सिस्टम चला रहे थे। भूपे सरकार ने प्रतिनियुक्ति पर आये इंडियन टेलीकॉम सर्विस के अधिकारी अरुण पति त्रिपाठी को पहले आबकारी सचिव बनाया, फिर उन्हें छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉर्पोरेशन (सीएसएमसीएल) का प्रबंध संचालक बना कर सभी अधिकार सौंप दिए। इसके लिए आईएएस निरंजन दास को आबकारी आयुक्त की जिम्मेदारी सौंप कर सिंडिकेट को नया रूप दिया गया।

यह भी बताया जा रहा है कि कारोबारी अनवर ढेबर, तत्कालीन संयुक्त सचिव अनिल टुटेजा और रिटायर्ड आईएएस व पूर्व मुख्य सचिव विवेक ढांढ इस सिंडीकेट के अहम कड़ी थे। अदालत में ED की ओर से पेश दस्तावेजी प्रमाणों में दावा किया गया है कि पहले सरकार सीधे फैक्ट्री या कंपनी से विदेशी शराब खरीदती थी। जबकि वेबरेज कॉर्पोरेशन से दुकानों में शराब की सप्लाई होती थी, लेकिन लखमा के निर्देश के बाद एफएल-10 लाइसेंस सिस्टम को बदला गया।

इसके बाद एफएल-10ए का नया लाइसेंस कारोबारी अनवर ढेबर के तीन करीबियों की कंपनी नेक्सजेन पॉवर इंजीटेक, श्री ओम सांई बेवरेज प्रा.लि. और दिशिता वेंचर्स प्रा. लि. को जारी किया गया था। ये कंपनियां शराब बनाने वाली कंपनियों से अपना 10% कमीशन जोड़कर सरकार को शराब की सप्लाई करती थीं। इस सिंडीकेट के कारनामों से छत्तीसगढ़ सरकार की तिजोरी पर 2000 करोड़ से ज्यादा के राजस्व का नुकसान हुआ था। अदालत में यह भी बताया गया कि इस खेल में सिंडीकेट को 60 फीसदी तक कमीशन जाता था। ED के दावों के बाद पूर्व मुख्यमंत्री बघेल पर जांच की आंच आने लगी है।    

छत्तीसगढ़ में पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा की गिरफ्तारी के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपे बघेल पर एजेंसियों का शिकंजा कसने लगा है। प्रदेश में सर्वाधिक राजस्व अर्जित करने और कैश हैंडलिंग से जुड़े आबकारी अमले की कमान आखिर क्यों एक अशिक्षित-अनपढ़ व्यक्ति के हाथों में सौंपी गई थी ? इसका जवाब खुद पूर्व आबकारी मंत्री लखमा ने यह कहकर चौका दिया है कि वे अनपढ़ है, पढ़ना-लिखना नहीं आता, सचिव ए.पी. त्रिपाठी जिस कागज पर साइन करने कहते थे, वे कर दिया करते थे। लखमा ने अपने इस बयान को उस समय भी दोहराया जब ED के हत्थे चढ़ने के बाद उन्हें अदालत में पेश किया गया था।

हालांकि गिरफ्तारी के बाद लखमा का ये बयान अदालत में उस समय हवा-हवाई हो गया जब ED ने घोटाले का काला चिट्ठा बतौर सबूत सामने रख दिया। इसमें साफ़ किया गया है कि करीब 2200 करोड़ की बंदरबाट में पूर्व आबकारी मंत्री को 72 करोड़ मिले थे। इस रकम से रायपुर, सुकमा-बीजापुर और धमतरी समेत कई इलाकों में जमीन-जायजाद खरीदी गई। भवन बनाए गए और कुछ कंपनियों में जगन्नाथ राजू साहू के माध्यम से निवेश भी किया गया। 

जानकारी के मुताबिक ED ने अदालत में कई ऐसे दावे किये है, जिससे माना जा रहा है कि सिर्फ भ्रष्टाचार के लिए पूर्व मुख्यमंत्री बघेल ने आबकारी नीति बनाकर आम जनता को शराब पिलाने का पुख्ता प्रबंध किया था। ईडी का दावा है कि जिन दस्तावेजों में तत्कालीन आबकारी मंत्री लखमा के हस्ताक्षर है, उसमे साथ ही तत्कालीन मुख्यमंत्री के भी दस्तखत दर्ज हैं। अब ऐसे दस्तावेजों के सामने आने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री बघेल की सहभागिता और भूमिका भी जांच के दायरे में बताई जाती है। ऐसे गंभीर साक्ष्यों के अदालत में पेश करने के बाद घोटाले के असली रहनुमा की भी गिरफ्तारी के आसार बढ़ गए है। अनपढ़ को आबकारी जैसे महकमे की कमान सौंपे जाने की असलियत का पर्दाफाश होने से पूर्व मुख्यमंत्री बघेल की जवाबदेही तलाशी जा रही है। माना जा रहा है कि अब पूर्व मुख्यमंत्री पर भी एजेंसियों का शिकंजा कस सकता है।