छत्तीसगढ़ में फारेस्ट गार्ड और ड्राइवर के 1628 पदों पर भर्ती में बड़ा घोटाला, हैदराबाद की कंपनी ने बीजेपी सरकार की उम्मीदों पर फेरा पानी, डिजिटल के बजाय उम्मीदवारों का चेहरा देखकर शारीरिक मापदंड, दागियों के खिलाफ FIR और वन मंत्री के इस्तीफे की मांग…. 

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रायपुर: छत्तीसगढ़ में बेरोजगारों के अच्छे दिनों के लिए मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार रोजगार के नए अवसर प्रदान करने में जुटी है। वही दागी नौकरशाह, सरकार की मंशा पर पानी फेरने में जुटे है।  ताजा मामला वन विभाग में फारेस्ट गार्ड और ड्राइवर के 1628 पदों पर वन रक्षकों की भर्ती से जुड़ा है। प्रदेश के कई जिला मुख्यालयों में अभ्यर्थियों के बीच उस समय गहमा-गहमी शुरू हो गई जब शारीरिक मापदंडों के लिए नाप-जोप का कार्य डिजिटल प्रणाली के बजाय कुछ चुनिंदा अधिकारियों ने स्वयं शुरू कर दिया था। बताया जाता है कि ज्यादातर भर्ती केंद्रों में कई अधिकारियों ने अभ्यर्थियों का चेहरा और सिफारिशी आधार पर उनका शारीरिक मापदंड दर्ज किया। जानकारी के मुताबिक इस तरह की भर्ती में पारदर्शिता बरक़रार रखने के लिए राज्य सरकार ने शारीरिक मापदंड परीक्षा डिजिटल प्रणाली पर कराये जाने के स्पष्ट निर्देश दिए थे।

यही नहीं भर्ती के दौरान डिजिटल सिस्टम को कारगर बनाये रखने के लिए हैदराबाद की एक कंपनी को ठेका भी दिया था। लेकिन सरकार के दिशानिर्देशों की अवहेलना करते हुए वन विभाग के मुखिया ने डिजिटल सिस्टम को स्थापित करने में कोई रूचि नहीं दिखाई। अलबत्ता अधिकारियों को वन रक्षकों की भर्ती पुराने ढर्रे पर ही जारी रखने का फरमान सुना दिया गया। नतीजतन, शारीरिक मापदंड परीक्षा में अपनों को उपकृत करने और कुपात्रों की भर्ती को लेकर हंगामा खड़ा हो गया है। राजनांदगांव में पुलिस भर्ती के बाद प्रदेश भर में वन रक्षकों की भर्ती प्रक्रिया पर सवालिया निशान लगना शुरू हो गया है। पीड़ित अभ्यर्थियों ने वन विभाग के मुखिया के खिलाफ FIR दर्ज करने के साथ-साथ वन मंत्री के इस्तीफे की मांग की है।

छत्तीसगढ़ में वन विभाग में नौकरी करने के इच्छुक उम्मीदवारों के लिए फॉरेस्ट गार्ड के पदों पर सीधी भर्ती फिर से शुरू कर दी गई है। आधिकारिक सूचना के अनुसार, पहले इन पदों के लिए 20 मई 2023 से 11 जून 2023 तक आवेदन लिए गए थे, लेकिन कांग्रेस राज में यह भर्ती लटक गई थी। हाल ही में जारी नई सूचना के अनुसार, इस भर्ती के लिए 12 जून से 1 जुलाई 2024 तक ऑनलाइन आवेदन स्वीकार किये गए थे। बताया जाता है कि फॉरेस्ट गार्ड बनने के लिए ढ़ाई लाख से ज्यादा उम्मीदवारों ने अपनी रूचि दिखाई थी। इसके लिए वे तमाम भर्ती केंद्रों में उपस्थित हुए थे। वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, छत्तीसगढ़ ने इस वन रक्षक भर्ती के लिए पारदर्शिता का दावा किया था।

भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए डिजिटल प्रणाली के जरिये उम्मीदवारों के चयन और दक्षता हेतु कई प्रावधान राज्य सरकार द्वारा किये गए थे। लेकिन आखिरी समय ये सभी नियम-कायदे धरे के धरे रह गए। सूत्रों द्वारा बताया जाता है कि कई पात्र उम्मीदवारों को उस समय निराशा हाथ लगी जब शारीरिक मापदंडों के लिए पुराने ढर्रे पर भर्ती प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गई। कई उम्मीदवारों द्वारा इस आपत्ति जताने पर हवाला दिया गया कि दिन छोटे हो गए है, अँधेरा घिर आ रहा है, ठंड ज्यादा है, यही नहीं उम्मीदवारों की भारी भरकम संख्या का भी ब्यौरा देते हुए आपत्तिकर्ताओं को बैरंग लौटा दिया गया। छत्तीसगढ़ वन और जलवायु विभाग में फारेस्ट गॉर्ड और ड्राइवर के कुल 1628 पदों पर भर्ती के लिए इन दिनों गहमा-गहमी मची है। 11 जून 2024 को जारी नोटिफिकेशन में फारेस्ट गॉर्ड के 1484 पद और ड्राइवर के 144 के कुल पद स्वीकृत किये गए है। 

भर्ती प्रक्रिया में ऑनलाइन के बजाय ऑफलाइन सिस्टम विभाग के जिम्मेदार और ईमानदार अफसरों को मुँह चिढ़ा रहा है। जानकारी के मुताबिक भर्ती हेतु तय मापदंडों की धज्जियाँ उड़ाने के लिए वन विभाग के मुखिया ने बगैर सरकार को विश्वास में लिए ऐसा फरमान जारी किया है, जो ना तो अभ्यर्थियों के गले उतर रहा है और ना ही उनके परिजनों के। बताया जाता है कि भर्ती के लिए डिजिटल प्रणाली की मंजूरी राज्य सरकार द्वारा महीनों पहले दे दी गई थी। इसके लिए हैदराबाद की एक कंपनी को डिजिटल सिस्टम स्थापित करने का ठेका भी दिया गया था। भर्ती में शामिल होने वाले अभ्यर्थियों का पूरा डाटा और लेखा-जोखा विभाग के पास मौजूद था, फिर भी उच्चाधिकारीयों ने ठेके की शर्तों का पालन सुनिश्चित करवाने के मामले में नरमी बरती। पीड़ितों का आरोप है कि वन विभाग के मुखिया ने कुपात्रों को उपकृत करने के लिए इस ठेका कंपनी को रोक दिया।

जानकारों के मुताबिक योजनाबद्ध तरीके से आखिरी समय इस कंपनी ने इंफ़्रास्ट्रक्चर को लेकर अपने हाथ खड़े कर लिए थे। इसके बाद वन विभाग के मुखिया ने एक गैर-जरूरी कमेटी गठित कर उसकी सिफारिशों के आधार पर डिजिटल सिस्टम को ऑफलाइन करवा दिया। फ़िलहाल, पीड़ितों की गुहार पारदर्शिता पर उठ रहे सवालों को लेकर है। उनकी मांग है कि वन विभाग के मुखिया के खिलाफ फ़ौरन FIR दर्ज कर मामले की उच्च स्तरीय जांच करवाई जाए। ऐसे अभ्यर्थियों ने वन मंत्री के इस्तीफे की मांग की है। उधर इस भर्ती को लेकर सुर्ख़ियों में आये वन एवं जलवायु विभाग के प्रमुख श्रीनिवास राव से न्यूज़ टुडे छत्तीसगढ़ ने संपर्क साधा, लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल पाई।