उपेन्द्र डनसेना ।
रायगढ़। 35वां चक्रधर समारोह इस वर्ष 02 सितंबर गणेश चतुर्थी के दिन से शुरू हो रहा है। इस कार्यक्रम के लिए छपे आमंत्रण पत्र में विवाद की स्थिति और खबरों के प्रकाशन के बाद आखिरकार जिला प्रशासन ने इस संवेदनशील मामले में संज्ञान लेते हुए आमंत्रण पत्र के स्वरूप को बदल दिया है और नए आमंत्रण पत्र बनवाकर बांटे गए हैं। कहने को तो यह राष्ट्रीय स्तर का सांस्कृतिक महोत्सव है चूंकि रायगढ़ के राजा स्व. चक्रधर की याद में मनाया जाना वाला यह महोत्सव अपने आप में एक सांस्कृति धरोहर के रूप में अपनी अलग पहचान बना चुका है और ऐसे में प्रशासन की जिम्मेदारी बनती है कि समारोह की गरिमा बनाए रखने के लिए हर छोटी-बडी गलती पर तत्काल सुधार होना चाहिए ।
लेकिन अखबारों की सुर्खियां बनने के बाद प्रशासनिक अधिकारियों ने विवादित आमंत्रण पत्र को न केवल बदला बल्कि आयोजन के एक दिन पहले आनन-फानन में इसे बांटकर अपनी गर्दन बचाने की कोशिश की है। जानकारों की मानें तो दरअसल इस तरह की गलती होनें का मुख्य कारण यह है कि चक्रधर समारोह के आयोजन के प्रारंभिक अवसरों से लेकर अब तक समारोह के आयोजन से पूर्व जिला प्रशासन और मीडिया के बीच पहली बैठक और चर्चा के बाद ही समारोह का प्रारूप तय किया जाता रहा है। यही परिपाटी शुरू से चलती आ रही है ।
जिसके कारण बैठक में मीडिया से जुडे पत्रकारों के सुझाव और बदलाव को रेखांकित करने के बाद इस गरिमामय कार्यक्रम का आयोजन होता रहा है। किंतु पिछले कुछ वर्षो से प्रारंभिक दौर में मीडिया से चर्चा नही हो पाने के कारण इस तरह की गलतियां सामने आते देखी जा रही है। बहरहाल आमंत्रण पत्र में त्रुटि उजागर होनें और इस आशय की खबरें प्रकाशित होनें के बाद जिला प्रशासन ने पूरी संवेदनशीलता से इस गलती को समझा और आमंत्रण पत्र के प्रारूप को बदलते हुए नए आमंत्रण पत्र का वितरण शुरू किया है। जिसके लिए वह साधुवाद के पात्र हैं।

