औरैया: उत्तरप्रदेश के औरैया में एक कलयुगी परिवार में हैवानियत का मामला सामने आया है। एक शिकायत के बाद पुलिस ने दुष्कर्म के मामले की जांच शुरू कर दी है। जानकारी के मुताबिक वृद्ध बाबा, पिता और चाचा रिश्तों को तार-तार करते हुए नाबालिग से एक साल तक हैवानियत करते रहे। जब पीड़ित गर्भवती हुई तो चाची और दादी ने चुप्पी साध ली। पीड़ित नाबालिग की मौसी ने आरोप लगाया है कि गर्भवती होने पर चाची ने दवा देकर गर्भपात की सलाह दी थी। यहां तक तीनों आरोपी पीड़ित नाबालिग की हत्या की साजिश रच रहे थे।
बताया जाता है कि गुरुवार को 14 साल की नाबालिग ने बिधूना थाने में बाबा, पिता और चाचा पर दुष्कर्म करने की रिपोर्ट लिखाई है। इसमें पीड़िता के दो माह के गर्भ से हो जाने की बात ने पुलिस को झकझोर दिया है। नाबालिग के साथ दूसरी मां के तौर पर साथ मौसी खड़ी नजर आईं। बाबा, पिता और चाचा की हैवानियत महज बेटी तक ही सीमित नहीं थी। नाबालिग की मां को भी यातनाएं देने की बात सामने आ रही है। नाबालिग की मौसी ने बताया कि नाबालिग की मां को ससुराल पक्ष ने बहुत परेशान किया था। दस साल पहले बेटे और बेटी को लेकर वह दिल्ली चली गई थी। लेकिन रिश्तेदारों से लेकर किसी सगे संबंधी ने भी हस्तक्षेप नहीं किया।
यह लोग नाबालिग व उसके बड़े भाई को चार साल पहले दिल्ली से ले आए। क्रूरता की हद के बारे में बताया जा रहा है कि बुजुर्ग बाबा खेत में पौत्री को दबोचता था। पिता हाथ-पैर बांधकर हैवानियत करता और चाचा कमरे में बंद करके दुष्कर्म करता था। जबकि घर में नाबालिग की दादी और चाची भी हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि पिछले एक साल से नाबालिग हैवानियत की शिकार थी। नाबालिग ने व्यथा दादी व चाची को बताई लेकिन वह भी कुछ भी नहीं बोलीं।
नाबालिग के गर्भवती होने पर चाची दवा देकर गर्भपात कराने की सलाह दे रही थी। बाबा, पिता और चाचा ने नाबालिग के गर्भ से हो जाने की जानकारी पर जान से मारने की साजिश भी रची लेकिन, वह समय रहते मौसी के पास जा पहुंची। मौसी के मुताबिक 22 दिसंबर को वह उसके पास आई। पीड़िता ने उन्हें आप बीती सुनाई। मौसी ने बताया कि नाबालिग का बड़ा भाई चंडीगढ़ में पत्थर फैक्टरी में काम करने गया था। जानकारी होने पर अब वह लौट आया है। वह दादी-चाची के पास है।
पीड़िता की मौसी ने बताया कि ग्राम पंचायत में परिषदीय स्कूल है। ससुराल पक्ष के इन लोगों ने नाबालिग का दाखिला तो कक्षा चार में करा दिया, पर कभी स्कूल जाने नहीं दिया। पीड़िता किसी बाहरी शख्स से बात करती या बाहर जाती तो हैवानियत का राज खुल जाता। इसके चलते उसे लोगों से दूर रखा जाता था। यहां तक शिक्षक घर-घर पहुंचकर स्कूल चलो अभियान का सर्वे करते हैं, लेकिन वे भी इस पीड़िता तक नहीं पहुंच पाए। दरअसल इस दौरान नाबालिग को घर से दूर कर दिया गया था।
यह भी बताया जाता है कि डेढ़ माह पहले नाबालिग की मां का निधन हुआ था। उसका शव लेने तक के लिए परिजन नहीं गए। नाबालिग की मौसी ने बताया कि दिल्ली में उसकी बहन 10 साल से रह रही थी। डेढ़ माह पहले उसका दिल्ली में देहांत हो गया था। पुलिस की ओर से परिजनों को सूचना दी गई थी, लेकिन कोई भी शव लेने नहीं गया। ऐसे में पुलिस ने लावारिश में उसका अंतिम संस्कार कर दिया था। फ़िलहाल पुलिस तफ्तीश में जुटी है।