छत्तीसगढ़ में 3600 करोड़ के नान घोटाले की CBI जांच का फरमान, अधिसूचना जारी, मुख्यमंत्री साय का घोटालेबाजों के खिलाफ सांय-सांय अभियान…   

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रायपुर: छत्तीसगढ़ में 3600 करोड़ के कथित नान घोटाले की जांच अब सीबीआई के हवाले कर दी गई है। राज्य की विष्णुदेव साय सरकार ने नान घोटाले (नागरिक आपूर्ति निगम) में अंजाम दिए गए अरबों के भ्रष्टाचार की जांच सीबीआई को सौंप कर एक बड़ी पहल की है। इसकी अधिसूचना भी जारी कर दी गई है। भ्रष्टाचार के खिलाफ उनका अभियान सांय-सांय अपने कदम आगे बढ़ा रहा है। माना जा रहा है कि राज्य की बीजेपी सरकार इसी तर्ज पर 700 करोड़ के कोल खनन परिवहन घोटाले की जांच भी सीबीआई को सौंप सकती है। ये तमाम बड़े घोटाले कांग्रेस की देन बताई जा रही है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपे बघेल के खासम-खास प्रमोटी आईएएस अनिल टुटेजा ने अपने कार्यकाल के दौरान अरबों के नान घोटाले को अंजाम दिया था।

बीजेपी शासन काल में कांग्रेस ने इस मुद्दे को लेकर तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की जमकर घेराबंदी की थी। यहाँ तक की कांग्रेस शासन काल में पूर्व मुख्यमंत्री भूपे बघेल ने बेगुनाहों को फंसाकर, मुख्य आरोपी टुटेजा को बचाने के लिए EOW के तत्कालीन ADG जीपी सिंह पर दबाव भी डाला था। हालांकि तत्कालीन ADG ने गैर-क़ानूनी कार्यों का पालन सुनिश्चित करने के मामले में पूर्व मुख्यमंत्री को फटकारा भी था। इसके बाद भ्रष्टाचार में लिप्त टुटेजा को भूपे सरकार ने ‘सुपर सीएम’ का दर्जा देकर घोटालों को जारी रखा था। अब सीबीआई को मामला सौपे जाने के बाद नए सिरे से घोटालों की जांच होगी।   

छत्तीसगढ़ का नान घोटाला उस समय सुर्ख़ियों में आया था, जब डॉ. रमन सिंह सरकार के कार्यकाल में नागरिक आपूर्ति निगम के तत्कालीन प्रबंधक टुटेजा को EOW ने लाखों की नगद रकम के साथ धर-दबोचा था। इस मामले में सीबीआई नई FIR जल्द दर्ज कर सकती है। इसकी अधिसूचना जारी कर राज्य की बीजेपी सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति का परिचय दिया है। जानकारी के मुताबिक नान घोटाले में खाद्य विभाग के तत्कालीन सचिव आईएएस आलोक शुक्ला और अनिल टुटेजा को मुख्य आरोपी बनाया जा सकता है। 

बीजेपी का आरोप है कि राज्य में 13 हजार 301 दुकानों में राशन बांटने में गड़बड़ी की गई है. अकेले चावल में ही 600 करोड़ रुपए का घोटाला हुआ है. कुल घोटाला एक हजार करोड़ से ज्यादा का बताया जा रहा है. बीजेपी का आरोप है कि स्टॉक वैरिफिकेशन नहीं करने के बदले में एक-एक राशन दुकान वाले से 10-10 लाख रुपए लिया गया था. अनिल टुटेजा और आलोक शुक्ला पर आरोप है कि उन्होंने गवाहों पर दबाव डाला और उनके बयान बदलवाए थे। इस मामले में राज्य के EOW ने 4 नवंबर को एक नई FIR दर्ज की थी, इसमें रिटायर्ड IAS अधिकारी अनिल टुटेजा, रिटायर्ड IAS आलोक शुक्ला और छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के पूर्व महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था।