रायपुर: छत्तीसगढ़ में ED एक बार फिर सक्रिय हो गई है। अब मामला DMF घोटाले से जुड़ा है। केंद्र सरकार की प्राथमिकता वाले DMF फंड के बेजा इस्तेमाल को लेकर अब बारी उन तत्कालीन कलेक्टरों की बताई जाती है, जिन्होंने पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में इस रकम की अफरा-तफरी की थी। सूत्रों के मुताबिक आधा दर्जन से ज्यादा तत्कालीन कलेक्टरों पर गाज गिरने की संभावना जताई जा रही है। दरअसल ED ने DMF फंड घोटाले की गहन जांच शुरू कर दी है। ताजा मामले में ED ने रायगढ़ की तत्कालीन कलेक्टर रानू साहू के करीबी ठेकेदार मनोज कुमार द्विवेदी को गिरफ्तार किया है। बताया जाता है कि DMF घोटाले की रकम की वसूली और उसे इधर से उधर करने के मामले में द्विवेदी की महत्वपूर्ण भूमिका थी।
छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित जिला खनिज फंड के बेजा इस्तेमाल को लेकर केंद्रीय प्रवर्तन निदेशालय ने महीनों से बंद पड़ी फाइलों पर अपनी नज़रे इनायत की है। सूत्रों के मुताबिक आने वाले दिनों एजेंसियां एक अभियान के तहत बड़ा एक्शन ले सकती है। बताया जाता है कि भारत सरकार ने DMF फंड का दुरुपयोग करने वाले अधिकारियों के खिलाफ सख्ती बरतने के निर्देश दिए है। इसके तहत उन अधिकारियों और ठेकेदारों के खिलाफ जांच शुरू कर दी गई है, जिन्होंने इस फंड का बड़ा हिस्सा ठिकानों में लगा दिया था। यह भी बताया जाता है कि आधा दर्जन से ज्यादा जिलों के कलेक्टर ने इस फंड का उपयोग सिर्फ कागजों में दर्शित होना दिखाया है, जबकि मौके पर कई प्रकरणों में भौतिक सत्यापन के दौरान सिर्फ खानापूर्ति पाई गई है। सूत्र तस्दीक करते है कि ज्यादातर जिलों में इस फंड का सुनियोजित दुरूपयोग किया गया था।
DMF फंड के इस्तेमाल को लेकर केंद्र सरकार की स्पष्ट गाइडलाइन है। इसका परिपालन सुनिश्चित करने की जवाबदारी कलेक्टरों के कंधों पर डाली गई है। बताते है कि गाइडलाइन के विपरीत इस रकम का इस्तेमाल किया गया था। ताकि विभिन्न जिलों में घोटालों को अंजाम दिया जा सके। जानकारी के मुताबिक पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में कोरबा, रायगढ़, अंबिकापुर, जांजगीर-चांपा, दंतेवाड़ा समेत अन्य जिलों में तय गाइडलाइन के खिलाफ DMF फंड की स्वीकृति के मामले सुर्ख़ियों में है। यह भी बताया जाता है कि कोल खनन परिवहन घोटाले में जेल की हवा खा रही निलंबित IAS रानू साहू के करीबी ठेकदार के रूप में मनोज कुमार द्विवेदी की शिनाख्ती की गई थी। बताया जा रहा है कि, ठेकेदार मनोज द्विवेदी ने डीएमएफ के कामों के एवज में स्वयं के अलावा कई कंपनियों को ठेका दिलाने के लिए रानू साहू के एजेंट की भूमिका निभाई थी। अवैध वसूली से इकठ्ठा की गई रकम से आरोपी रानू साहू ने करोड़ो की चल-अचल संपत्ति खरीदी थी।
जानकारी के मुताबिक, माया वारियर नामक एक महिला अधिकारी से हुई पूछताछ के बाद ठेकेदार मनोज द्विवेदी ED के हत्थे चढ़े बताये जाते है। जानकारी के मुताबिक मनोज ने दूसरे ठेकेदारों को DMF फंड से जुड़े कार्यों के लिए लगभग 12 करोड़ रुपये वसूले और माया वारियर के जरिये IAS रानू साहू तक पहुंचाया था। उसका अपना खुद का एक एनजीओ ‘उद्गम सेवा समिति’ के नाम से भी संचालित बताया जाता है। निलंबित कलेक्टर के एजेंट के रूप में DMF फंड का काम दिलाने के एवज में 8 करोड़ से अधिक की संपत्ति मनोज द्विवेदी के हाथ लगी थी। सूत्रों के मुताबिक निलंबित आईएएस की करीबी माया वारियर भी करोड़ो की असामी बताई जाती है। हालांकि इन दिनों वो भी जेल की हवा खा रही हैं। फ़िलहाल ED की सक्रियता से एक बार फिर राजनैतिक गलियारा गरमाया हुआ है।
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