यूपी के अलीगढ़ में 14 साल का बच्चा और 8 साल की बच्ची की हार्ट अटैक से मौत हो गई. इसको लेकर वहां के लोग हैरान और सकते में हैं कि आखिर इतने कम उम्र में ऐसी दर्दनाक वाक्या कैसे पेश आ सकता है. क्लास 6 में पढ़ने वाला मोहित चौधरी, जो सिरौली गांव का निवासी था, वो एनुअल स्पोर्ट्स डे की तैयारी कर रहा था, बीते शुक्रवार प्रैक्टिस के दौरान उसे हार्ट अटैक आया फिर बाद में उसकी मौत हो गई. वहीं बीते रविवार को लोधी नगर में रहने वाली दीक्षा अपने दोस्तों के साथ खेल रही थी फिर अचानक दिल का दौरा पड़ने से उसका निधन हो गया.
पहले के जमाने में हार्ट अटैक को मिडिल और ओल्ड एज प्रॉब्लम समझा जाता था, लेकिन मौजूदा दौर में ये बीमारी उम्र नहीं देख रही है. छोटे बच्चों से लेकर युवाओं में को भी काफी ज्यादा दिल का दौरा पड़ रहा है.
आजकल बच्चों को क्यों आ रहा है हार्ट अटैक?
- अनहेल्दी लाइफस्टाइल
आजकल बच्चे कम फिजिकल एक्टिविटीज करते हैं. पहले टीवी के अलावा मनोरंजन का कोई साधन नहीं था तब बच्चे शाम के वक्त क्रिकेट, बॉलीबॉल और फुटबॉल वगैरह खेलते थे, लेकिन आजकल वो घंटों मोबाइल, टीवी, लैपटॉप और वीडियो गेम्स से चिपके रहते है. इससे मोटापा, हाई ब्लड प्रेशर और दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. - अनहेल्दी डाइट
जंक फूड, तला-भुना खाना, और शुगर रिच सॉफ्ट ड्रिंक्स का अधिक सेवन बच्चों के शरीर में कोलेस्ट्रॉल और फैट को बढ़ाता है. इससे धमनियों में रुकावट हो सकती है, जो हार्ट अटैक का कारण बनती है. - मेंटल स्ट्रेस
पढ़ाई का दबाव, कॉम्पिटीशन, पैरेंट के एक्सपेक्टेशंस और सोशल मीडिया की लत बच्चों में मानसिक तनाव और चिंता को बढ़ा रहे हैं. ये कार्डियोवेस्कुलर डिजीज के रिस्क को बढ़ाने वाला अहम फैक्टर है. - जेनेटिक और मेडिकल फैक्टर्स
कुछ बच्चों में दिल की बीमारियां जन्म से ही हो सकती हैं या ये फैमिली हिस्ट्री से भीजुड़े हो सकते हैं. इसके अलावा कोविड-19 के बाद दिल से जुड़ी समस्याएं भी बच्चों में देखी गई हैं.