Digital Arrest: पिछले कुछ महीनों में डिजिटल अरेस्ट के मामले में तेजी आई है, जिसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी देश की जनता का सावधान करना पड़ा और मन की बात कार्यक्रम में उन्होंने लोगों को बचने के तरीके बताए. लेकिन, इसके बाद भी डिजिटल अरेस्ट का मामला थम नहीं रहा और स्कैमर्स लगातार नए-नए लोगों को फंसा रहे हैं. ताजा मामला मुंबई से आया है, जहां जालसाजों ने 77 साल की महिला को सबसे लंबे समय तक ‘डिजिटल अरेस्ट’ करके रखा.
पुलिस ने बताया कि दक्षिण मुंबई की एक 77 वर्षीय महिला को एक महीने से अधिक समय तक ‘डिजिटल हिरासत’ में रखा गया. फर्जी मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तारी की धमकी देकर आरोपी ने महिला से 3.8 करोड़ रुपये ठग लिए. महिला ने अपनी शिकायत में बताया कि वह एक हाउस वाइफ है और अपने रिटायर्ड पति के साथ मुंबई में रहती हैं, जबकि उनके दो बच्चे विदेश में रहते हैं.
एक रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस ने बताया कि उसे सबसे पहले एक व्हाट्सएप कॉल आया. कॉल करने वाले ने बताया कि उसने जो पार्सल ताइवान भेजा था, उसे रोक दिया गया है. उसमें पांच पासपोर्ट, एक बैंक कार्ड, 4 किलो कपड़े और एमडीएमए ड्रग वगैरह थे. महिला ने कॉल करने वाले को बताया कि उसने किसी को कोई पार्सल नहीं भेजा है. फिर कॉल करने वाले ने कहा कि अपराध में उसके आधार कार्ड की जानकारी का इस्तेमाल किया गया है और उसे मुंबई के एक पुलिस अधिकारी से बात करने के लिए कहा. कॉल को एक नकली पुलिस अधिकारी को ट्रांसफर किया गया, जिसने कहा कि उसका आधार कार्ड मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले से जुड़ा हुआ है जिसकी जांच चल रही है. हालांकि, उसने इसमें किसी भी तरह की संलिप्तता से इनकार किया.
एक पुलिस अधिकारी ने बताया, ‘इसके बाद शिकायतकर्ता से स्काइप ऐप डाउनलोड करने को कहा गया और कहा गया कि पुलिस अधिकारी इसके जरिए उससे बात करेंगे. उसे फोन न काटने और मामले के बारे में किसी को न बताने का आदेश दिया गया. आईपीएस अधिकारी आनंद राणा के रूप में खुद को पेश करने वाले एक व्यक्ति ने उसके बैंक खातों का विवरण मांगा. बाद में, वित्त विभाग से जॉर्ज मैथ्यू (आईपीएस) होने का दावा करने वाला एक और व्यक्ति कॉल पर आया, जिसने उनके द्वारा दिए गए बैंक खातों में पैसे ट्रांसफर करने के लिए कहा ताकि वे इसकी जांच कर सकें. उन्होंने महिला से कहा कि अगर ‘साफ’ पाया गया तो पैसे उसे वापस कर दिए जाएंगे. आरोपी ने महिला को पुलिस के लोगो के साथ मुंबई क्राइम ब्रांच का एक फर्जी नोटिस भी भेजा.
आरोपी ने महिला से 24×7 अपना व्हाट्सएप वीडियो कॉल चालू रखने के लिए कहा, जिसके बाद उसने अपने कंप्यूटर पर वीडियो कॉल चालू कर दिया. एक पुलिस अधिकारी ने बताया, ‘अगर महिला ने कॉल काट दिया या फिर कॉल कट गई तो आरोपी उसे कॉल करके फिर से कनेक्ट करने और अपनी लोकेशन चेक करते रहने के लिए कहता.’ फिर उसे बैंक जाकर पैसे ट्रांसफर करने का निर्देश दिया गया और कहा गया कि अगर बैंक पूछे कि उसे पैसे की क्या जरूरत है तो वह उन्हें बता सकती है कि वह एक प्रॉपर्टी खरीदना चाहती है.
उसने पैसे ट्रांसफर किए और आरोपी ने उसके खाते में यह कहते हुए कि 15 लाख रुपये वापस कर दिए कि ये पैसे साफ हैं. पैसे वापस करके, आरोपियों ने महिला का विश्वास जीत लिया. फिर उन्होंने महिला से अपने और अपने पति के जॉइंट अकाउंट से सारा पैसा भेजने के लिए कहा. इसके बाद महिला ने छह बैंक खातों में 3.8 करोड़ रुपये ट्रांसफर कर दिए. जब पैसे वापस नहीं मिले तो महिला को संदेह हुआ कि कुछ गड़बड़ है. जबकि आरोपी टैक्स के लिए और अधिक पैसे की मांग करता रहा और ‘निगरानी’ में रखता रहा. इसके बाद महिला ने अपनी बेटी से फोन पर बात की, जिसने बताया कि उसके साथ धोखाधड़ी की जा रही है और पुलिस से संपर्क करने के लिए कहा. उसने 1930 साइबर हेल्पलाइन पर कॉल किया. पुलिस ने आरोपी के छह बैंक खाते फ्रीज कर दिए हैं.