छत्तीसगढ़ PSC घोटाले में बैक-डोर से नौकरी पाने वालों में सर्वाधिक उम्मीदवार तत्कालीन सीएम हाउस से सम्बद्ध, उद्योगपति गोयल के नाते-रिश्तेदार भी उपकृत, सीबीआई रिमांड का पहला दिन आरोपियों पर गुजरा भारी….

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रायपुर: छत्तीसगढ़ PSC घोटाले के तार तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपे बघेल के इर्द-गिर्द आकर सिमट गए है। पूर्व चेयरमैन टामन सिंह सोनवानी और उद्योगपति श्रवण गोयल से जारी पूछताछ के बीच यह खबर भी सामने आ रही है कि तत्कालीन मुख्यमंत्री बघेल के आवास पर लगे सरकारी CCTV और कई महत्वपूर्ण रजिस्टर गायब कर दिए गए है। इसमें तत्कालीन ख़ुफ़िया प्रमुख 2001 बैच के आईपीएस अधिकारी आनंद छाबड़ा और रायपुर के तत्कालीन आईजी 2005 बैच के शेख आरिफ की मुख्य भूमिका बताई जा रही है। यह भी बताया जा रहा है कि PSC परीक्षाओं में चयनित कई उम्मीदवारों ने पूर्व मुख्यमंत्री बघेल से उनके आधिकारिक निवास ‘सीएम हाउस’ में कई बार मेल-मुलाकात की थी। इस दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री के आवास पर आवाजाही करने वाले लोगों का पूरा ब्यौरा सरकारी रजिस्टर में दर्ज किया जाता था। यही नहीं सीएम हाउस में लगे CCTV में भी मुख्यमंत्री से मुलाकात करने वालों का रिकॉर्ड दर्ज किया जाता था। लेकिन यह सरकारी रिकॉर्ड अब गायब बताया जाता है।

पुलिस मुख्यालय में भी इसका कोई ब्यौरा एवं रिकॉर्ड जमा नहीं कराया गया है। सूत्रों के मुताबिक एक से बढ़ कर एक घोटालों से जुड़े कई साक्ष्य तत्कालीन मुख्यमंत्री के आवास एवं कार्यालय से नदारत बताये जाते है। ऐसे महत्वपूर्ण साक्ष्य नष्ट करने को लेकर उक्त दोनों ही आईपीएस अधिकारियों की कार्यप्रणाली सुर्ख़ियों में है। बताया तो यह भी जा रहा है कि छत्तीसगढ़-मध्यप्रदेश के रिजनल चैनल के मुख्य कर्ता-धर्ता उद्योगपति सुरेश गोयल के राजनैतिक प्रभाव के चलते उनके करीबी नाते-रिश्तेदार भी नौकरी पाने में कामयाब रहे है। इसमें बजरंग पावर लिमिटेड के डायरेक्टर श्रवण गोयल के पुत्र और बहु का नाम भी शामिल बताया जाता है। पूर्व मुख्यमंत्री के विशेष निर्देश पर ‘लक्ष्मी पुत्रों’ को राजपत्रित अधिकारी बनाने के फरमान जारी किये गए थे। बताते है कि गोयल परिवार के स्वामित्व वाले अन्य प्रतिष्ठानों में कार्यरत कई लोग पिछले दरवाजे से अधिकारी बनने के लिए सुरेश गोयल के संपर्क में थे। बताया जाता है कि  तत्कालीन मुख्यमंत्री बघेल से सांठ-गांठ कर उद्योगपति गोयल विश्वसनीय हिस्सेदार के रूप में PSC में लेन-देन के मामलों का निपटारा भी किया करते थे। 

उधर आपराधिक मामलों के जानकार तस्दीक कर रहे है कि प्रेस-मीडिया में औद्योगिक घरानों का बढ़ता प्रभाव राजनीति और प्रशासनिक व्यवस्था के लिए बड़ी चुनौती बन गया है। इसकी आढ़ में कई उद्योगपति अपनी स्वार्थ-सिद्धि में जुटे है। प्रेस-मीडिया को हथियार के रूप में इस्तेमाल कर उनकी घुसपैठ संवैधानिक संस्थानों में भी कई घोटालों को अंजाम दे रही है। इस कड़ी में उद्योगपति श्रवण गोयल का नाम भी शुमार बताया जाता है।

जानकार तस्दीक करते है कि प्रदेश के पूर्व PWD मंत्री की फर्जी सेक्स सीडी कांड के अलावा इस मामले के मुख्य आरोपी रिंकू खनूजा की आत्महत्या मामले में भी उद्योगपति सुरेश गोयल की महत्वपूर्ण भूमिका थी। लेकिन राजनैतिक जोड़-तोड़ के चलते उनके अपराधों से जुड़ी फाइले अलमारियों में कैद कर दी गई। रिंकू खनूजा की मौत को लेकर सुरेश गोयल को छत्तीसगढ़ पुलिस ने तलब भी किया था। लेकिन वे नोटिस जारी होने की खबर लगते ही रायपुर से नदारद हो गए थे। जानकारों के मुताबिक मध्यप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ के हस्तक्षेप के बाद छत्तीसगढ़ पुलिस ने सुरेश गोयल के खिलाफ वैधानिक कार्यवाही को लेकर अपने हाथ पीछे खींच लिए थे।

बता दे कि आत्महत्या से पूर्व रिंकू खनूजा और सुरेश गोयल के बीच लेनदेन को लेकर तीखी बहस भी हुई थी। इसका एक ऑडियो भी वायरल हुआ था। सिर्फ यही मामला नहीं बल्कि हाल ही में प्रदेश की जनता को ‘हलाल’ पैकेट फ़ूड खिलाने के मामले में भी गोयल एंड कंपनी सुर्ख़ियों में रही है। रायपुर के MMI अस्पताल में मरीजों के साथ जारी लूटपाट मामले में भी उद्योगपति सुरेश गोयल की कार्यप्रणाली चर्चा में है। MMI ट्रस्ट को धर्मार्थ के बजाय पेशेवर व्यावसायिक संस्थान बनाने के मामले में गोयल की भूमिका महत्वपूर्ण बताई जाती है। इधर सीजीपीएससी घोटाला मामले में गिरफ्तार CGPSC के पूर्व चेयरमैन टामन सोनवानी और बजरंग पॉवर इस्पात के डायरेक्टर एसके गोयल पर पूछताछ का पहला दिन ही भारी गुजरा है। सूत्रों के मुताबिक सीबीआई हिरासत में दोनों ही आरोपियों की नींद गुल बताई जाती है।

बताया जाता है कि बीती रात आरोपी बैचेन रहे। उन्हें रुचिकर भोजन के अलावा हल्का नाश्ता प्रदान किया गया था। दोनों ही आरोपियों के पारिवारिक सदस्य एवं सहयोगियों को भी देर रात तक सीबीआई दफ्तर के बाहर देखा गया। गौरतलब है कि विशेष कोर्ट ने दोनों आरोपियों को 7 दिनों की रिमांड में 25 नवंबर तक सीबीआई को सौंपा गया है। सूत्र यह भी तस्दीक कर रहे है कि एक महत्वपूर्ण आरोपी ने पूर्व मुख्यमंत्री बघेल की भूमिका को लेकर अपना बयान आज ही रिकॉर्ड कराने की मंशा भी जाहिर की है। हालांकि अभी तक यह साफ नहीं हो पाया है कि सीबीआई आरोपियों से किन-किन बिंदुओं पर सवाल करेगी ? बता दें कि सीबीआई ने दोनों आरोपियों की 12 दिनों की रिमांड मांगी थी, लेकिन कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनते हुए 7 दिनों की रिमांड स्वीकार की। 

जानकारी के मुताबिक टामन सोनवानी के बयानों पर जानकारों की निगाहे टिकी हुई है। कहा जा रहा है कि पूर्व मुख्यमंत्री बघेल के निर्देश पर ही सोनवानी उम्मीदवारों की बैक-डोर एंट्री कराया करते थे। जबकि उनके पुत्र और पुत्रवधु, कई मौकों पर तत्कालीन मुख्यमंत्री के आवास पर अपनी मौजूदगी दर्ज कराते थे। रायपुर की विशेष कोर्ट में अपने पक्षकार सोनवानी की ओर से दलीले देने के बाद अधिवक्ता गणेश गिरी गोस्वामी ने दावा किया कि सीबीआई के आरोप पूर्णतः गलत है। उन्होंने बताया कि टामन सोनवानी की पूछताछ की प्रक्रिया में वकील की मौजूदगी को मंजूरी दी गई है। 

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छत्तीसगढ़ PSC घोटाले ने प्रदेश की राजनीति भी गरमा दी है। साल दर साल, पिछले दरवाजे से नौकरी पाने में कामयाब रहे ‘मुन्ना भाईयों’ के सामने आने के बावजूद पूरे 5 वर्ष तक पूर्व मुख्यमंत्री बघेल की चुप्पी गौरतलब बताई जाती है, तस्दीक की जा रही है कि चयन प्रक्रिया में बघेल का सीधा हस्तक्षेप था। रिटायर प्रमोटी आईएएस टामन सिंह सोनवानी को चेयरमैन के पद पर उपकृत करते वक़्त ही साफ कर दिया गया था कि वे मुख्यमंत्री के मौखिक निर्देशों का पालन सुनिश्चित करेंगे। इसी शर्त के साथ ही उनकी चेयरमैन के पद पर नियुक्ति की गई थी। बहरहाल, सीबीआई की सक्रियता से प्रदेश के हज़ारों होनहार उम्मीदवारों को न्याय की उम्मीद जगी है। यह देखना गौरतलब होगा कि आरोपियों से जारी पूछताछ आने वाले दिनों क्या रुख इख्तियार करती है ?