आजकल लेट मैरिज, अनहेल्दी लाइफस्टाइल और लेट उम्र में बच्चे प्लान करने जैसे कुछ कारणों ने समाज में इनफर्टिलिटी रेट को काफी ज्यादा बढ़ा दिया है. आज 6 में से 1 कपल इनफर्टिलिटी यानी की बांझपन की समस्या से परेशान है. यही कारण है कि आज ज्यादा से ज्यादा लोग बच्चे पैदा करने के लिए आईवीएफ यानी कि इनविटरो फर्टिलाइजेशन का सहारा ले रहे हैं. आम बोलचाल की भाषा में इसे टेस्ट ट्यूब बेबी के नाम से जाना जाता है.
आजकल लोगों में आईवीएफ तकनीक काफी ज्यादा पॉपुलर हो गई है. पहले करियर के चक्कर में शादी लेट उम्र में करना, बाद में बच्चे देरी से प्लान करना और अन्य हेल्थ इश्यूज की वजह से लोग अब बच्चे पैदा करने के लिए इस तकनीक का सहारा ले रहे हैं लेकिन हाल ही में आईवीएफ से जुड़ी एक रिसर्च ने मां-बाप की चिंता को बढ़ा दिया है जिसमें आईवीएफ से जन्मे बच्चों को हार्ट संबंधी बीमारियों का खतरा ज्यादा बताया गया है. जब महिला किसी कारणवश एग को फर्टिलाइज करने में असमर्थ होती है तो उसे लैब में फर्टिलाइज कराया जाता है, इसमें महिला के एग्स को पुरुष के स्पर्म से मिलाया जाता है एक बार जब इसके संयोजन से भ्रूण का निर्माण हो जाता है तब उसे महिला के गर्भाशय में ट्रांसफर कर दिया जाता है.
इस शोध से ये पाया गया है कि आईवीएफ के जरिए पैदा हुए बच्चों में नैचुरल तरीके से जन्मे बच्चों के मुकाबले हार्ट संबंधी बीमारियों होने का खतरा 36 फीसदी ज्यादा होता है. इस रिसर्च में तीन दशकों में चार से अधिक देशों जिनमें डेनमार्क, फिनलैंड, नॉर्वे और स्वीडन के 7.7 मिलियन से अधिक लोगों का डेटा शामिल है. इस रिसर्च के मुताबिक आईवीएफ से जन्मे बच्चे को गर्भ या पैदा होने के पहले ही साल में गंभीर हार्ट की बीमारी पाई गई. जबकि ऐसा खतरा नैचुरल तरीके से जन्मे बच्चों में कम ही देखा गया है.
इस शोध के शोधकर्ता स्वीडन के गोथेनबर्ग विश्वविद्यालय के प्रोफेसर उल्ला-ब्रिट वेनरहोम कहते हैं कि इस शोध से पता चला है कि किसी भी प्रजनन तकनीक से जन्मे बच्चों में नैचुरल तरीके से जन्मे बच्चों के मुकाबले हार्ट हेल्थ इश्यूज का खतरा ज्यादा रहता है. इसके साथ ही इन बच्चों में समय से पहले जन्म होने का खतरा और जन्म के समय कम वजन होना भी शामिल है.
आईवीएफ सिर्फ उन लोगों के लिए एक विकल्प है जो नैचुरल तरीके से बच्चा कंसीव नहीं कर पाते लेकिन स्वस्थ बच्चे को जन्म देने और नैचुरल तरीके से कंसीव करने के लिए अपने खान-पान को ठीक रखें, शादी को एक निश्चित उम्र में करें, शादी करने में बहुत देरी न करें. साथ ही लेट उम्र में बच्चा प्लान करने से बचें. लेट उम्र में भी बच्चा प्लान करने से मां और बच्चे में कई कॉम्पलीकेशन्स देखी जाती है.