छत्तीसगढ़ का नान घोटाला, पूर्व महाधिवक्ता वर्मा की दलील- मैं निर्दोष हूँ, अदालत में रखूँगा अपना पक्ष, पूर्व सुपर सीएम टुटेजा और शिक्षा विभाग के पूर्व प्रमुख सचिव शुक्ला के खिलाफ एफआईआर…. 

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रायपुर: छत्तीसगढ़ के कथित 36 हज़ार करोड़ के नान घोटाले (नागरिक आपूर्ति निगम) में तीन प्रमुख तत्कालीन पदाधिकारियों के खिलाफ ईओडब्ल्यू में नई एफआईआर दर्ज होने के बाद प्रशासनिक और राजनैतिक गलियारों में सरगर्मिया जोरो पर है। ED की विवेचना के दौरान सामने आई चैट में साफ हुआ है कि इस घोटाले में शामिल रिटायर्ड आईएएस अफसर और पूर्व मुख्यमंत्री भूपे के खास समर्थक अनिल टुटेजा और एक अन्य रिटायर्ड आईएएस आलोक शुक्ला ने कानून की आँखों में धूल झोंक कर अग्रिम जमानत प्राप्त की थी। इस मामले में दर्ज FIR के बाद छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के पूर्व महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा की प्रतिक्रिया सामने आई है। दरअसल, इस FIR में श्री वर्मा के खिलाफ भी केस दर्ज किया गया है।

EOW में दर्ज FIR में पूर्व महाधिवक्ता सहित दोनों पूर्व आईएएस अधिकारियों पर पद का दुरुपयोग करते हुए गंभीर गड़बड़ी करने का आरोप लगाया गया है। एफआईआर में बताया गया है कि 2019-20 में हाईकोर्ट में शुक्ला और टुटेजा ने दूषित तरीके से अग्रिम जमानत हासिल की थी। जिसके सबूत, जिसमें वाट्सएप चैट भी शामिल हैं। ईओडब्ल्यू के पास उपलब्ध हैं। ईओडब्ल्यू का आरोप है कि घोटाले से जुड़े प्रभावशील आरोपियों ने गवाह पर बयान बदलवाने का दबाव भी बनाया था।

उधर मामले को लेकर पूर्व महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा की पहली प्रतिक्रिया सामने आई है। न्यूज़ टुडे छत्तीसगढ़ से चर्चा करते हुए पूर्व महाधिवक्ता ने कहा कि वे निर्दोष है, उन्हें जानबूझकर निशाना बनाया गया है, मैं अपना पक्ष अदालत के समक्ष रखूँगा। वर्मा ने चैट और उसमे लिखी इबारत को लेकर अनभिज्ञता जाहिर करते हुए कहा कि अभी FIR की प्रतिलिपि नहीं प्राप्त हुई है, मिलने पर क़ानूनी पक्ष का अवलोकन भी किया जायेगा।

इधर राज्य के पूर्व प्रमुख सचिव अलोक शुक्ला का मोबाइल बंद पाया गया। जबकि कुख्यात आरोपी अनिल टुटेजा के जेल में बंद होने के चलते कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल पाई है। हालांकि, सूत्र तस्दीक कर रहे है कि इस नई FIR को लेकर ‘टुटेजा एंड कंपनी’ में खलबली मची है। इससे निजात पाने के लिए एक बार फिर यह ‘डी कंपनी’ देश के सबसे महंगे और नामचीन वकीलों के ठिकानों पर डट गई है। फ़िलहाल, इस FIR के आधार बिंदु ‘ED की चैट’ बतौर मुख्य सबूत के तौर पर सामने आई है।

बताया जाता है कि तत्कालीन भूपे सरकार में ऐसी ही चैट कई अन्य षड्यंत्रों को लेकर सामने आई थी। ED की क़ानूनी कार्यवाही में शामिल यह चैट क बार फिर सुर्ख़ियों में है। आरोपी टुटेजा और शुक्ला के अलावा 2005 बैच के आईपीएस शेख आरिफ की भी चैट से कई अपराधों का खुलासा हुआ है। माना जा रहा है कि बीजेपी सरकार ऐसे षड्यंत्रकारी आईएएस-आईपीएस और आईएफएस अधिकारियों के खिलाफ भी वैधानिक कार्यवाही कर सकती है।            

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