बिलासपुर। राज्य में 100 से ज्यादा बिना पंजीकरण के चल रहे आर्य समाज मंदिरों में फीस लेकर घंटेभर में की जाने वाली शादियों को अनुचित बताते हुए हाईकोर्ट में जनहित याचिका लगाई गई है । एक युवती के पिता ने याचिका में कहा है कि युवक-युवती और उनके प्रमाण पत्रों का वेरीफिकेशन किए बगैर ही शादी कर दी जाती है । ऐसी शादियों से मानव तस्करी की भी आशंका रहती है । हाईकोर्ट के नोटिस का जवाब देते हुए राज्य सरकार ने कहा है कि आर्य समाज मंदिरों में शादियों के लिए जल्द नियम बनाए जाएंगे । नियम बनाने के लिए चार सप्ताह का समय मांगा गया है ।
दादूराम सोनकर ने एडवोकेट बीपी सिंह व अनुराग झा के जरिए हाईकोर्ट में जनहित याचिका प्रस्तुत कर कहा है कि प्रदेश में 104 आर्य समाज मंदिर हैं । इन मंदिरों में 10 हजार रुपए शुल्क लेकर सिर्फ घंटेभर में शादी करने के बाद प्रमाण पत्र दे दिए जाते हैं । वर्तमान में शादी को पंजीकृत करवाना अनिवार्य कर दिया है । इसी तरह शादी से पहले युवक- युवती का वेरीफिकेशन कराना चाहिए, लेकिन ऐसा भी नहीं किया जाता । सिर्फ प्रमाण पत्रों की जांच करने के बाद युवक- युवती की मर्जी से शादी कर दी जाती है । याचिका में कहा गया है कि वो आर्य समाज मंदिर या फिर वहां होने वाली शादियों के खिलाफ नहीं है, लेकिन शादी के पहले जो शासकीय समिति गठित कर वेरीफिकेशन और प्रमाण पत्रों की सख्ती से जांच होनी चाहिए ताकि गलत तरीके से लड़कियों को फंसाकर शादी करने वालों पर लगाम लग सके, क्योंकि ऐसे लोग शादी के बाद लड़कियों को गलत कामों में धकेल देते हैं और बाहर ले जाकर कहीं छोड़ देते | जाहिर है ऐसी शादियों से मानव तस्करी की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता । हाईकोर्ट ने प्रारंभिक सुनवाई के बाद राज्य शासन सहित अन्य पक्षकारों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था । राज्य सरकार की तरफ से जवाब प्रस्तुत कर दिया गया है ।
