छत्तीसगढ़ PSC घोटाले के संदेही फिर रविवार को आयोजित इंटरव्यू में, पदाधिकारियों की ईमानदारी पर सवाल ? पीड़ित अभ्यर्थी पसोपेश में, सीबीआई से लगाए गुहार या फिर राज्य सरकार से…..

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रायपुर: छत्तीसगढ़ पब्लिक सर्विस कमीशन एक बार फिर सुर्ख़ियों में है। विगत वर्ष की परीक्षाओं में पिछले दरवाजे से डिप्टी कलेक्टर और डीएसपी समेत कई पदों पर नियुक्ति को लेकर सीबीआई जांच में जुटी है। यहाँ घोटालों की बाढ़ देखकर एजेंसियां हैरत में है। कई महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्ति में फर्जीवाड़े की जांच में सीबीआई जुटी हुई है। इस बीच रविवार को PSC में आयोजित साक्षात्कार को लेकर गतिरोध उत्पन्न हो गया है। साक्षात्कार बोर्ड में उन चयनकर्ताओं का नाम देखकर अभ्यर्थी हैरत में है, जिन पर पूर्व में हुए घोटाले की जिम्मेदारी को लेकर उंगलियां उठ रही है, ऐसे संदेहियों का नाम छत्तीसगढ़ PSC की वेबसाइट, देखकर अभ्यर्थियों के अलावा उनके परिजनों ने भी हैरानी जताई है। साक्षात्कार, सिर पर है, ऐसे में चयनकर्ताओं के रुख को लेकर अभ्यर्थियों में खौफ देखा जा रहा है। अंदेशा, उन्हें इस बात का है कि पूर्व के घोटाले में भी ऐसे ही चयनकर्ताओं की भूमिका के चलते पिछले दरवाजे से नियुक्ति घोटाला सामने आया था। कई अभ्यर्थियों के बीच चिंता इस तथ्य को लेकर भी की जा रही है कि एक बार घोटाला उजागर होने के बाद, दोबारा ऐसे तत्वों को साक्षात्कार बोर्ड में मौका देना, उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ साबित हो सकता है।

उधर राज्य सेवा परीक्षा 2023 में चयनित सैकड़ों अभ्यर्थियों को रविवार को आयोजित साक्षात्कार का ब्यौरा सौंप दिया गया है। टाइम टेबल जारी होने के बाद अभ्यर्थी अपनी तैयारी में जुटे है। लेकिन चयनकर्ताओं का नाम और कार्यप्रणाली देख-सुनकर उनकी नींद हराम है। गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ PSC अपने गठन के दौरान से ही विवादों में घिरी रही है। वर्ष 2018 से लेकर 2023 तक PSC से चयनित सैकड़ों उम्मीदवारों की नियुक्ति जांच के दायरे में बताई जाती है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपे बघेल के कार्यकाल में महत्वपूर्ण पदों पर पिछले दरवाजे से होने वाली नियुक्तियों को लेकर सीबीआई को कई ठोस सबूत भी हाथ लगे है। बताया जाता है कि सीबीआई घोटाले की जांच में जुटी है। इस बीच कई अभ्यर्थी मौजूदा हालात को देखकर, मामला उसके संज्ञान में लाने के लिए प्रयासरत नजर आ रहे है। साक्षात्कार का सामना कर रहे कई अभ्यर्थियों और उनके परिजनों ने राज्य सरकार का ध्यान भी इस ओर दिलाया है।

अभ्यर्थियों के मुताबिक CGPSC की वेबसाइट से यह जानकारी सामने आई है कि रविवार को आयोजित साक्षात्कार में डॉ. प्रवीण वर्मा, डॉ. सरिता उइके और इंजीनियर संतकुमार नेताम का नाम साक्षात्कार बोर्ड में शामिल किया गया है। जबकि इन तीनों ही पदाधिकारियों की कार्यप्रणाली संदेह के दायरे में है। वे पूर्व मुख्यमंत्री भूपे बघेल द्वारा उपकृत पदाधिकारियों के रूप में देखे जा रहे है। यही नहीं पूर्व के घोटालों में चयन सूची और साक्षात्कार में उनकी भूमिका जांच के दायरे में बताई जाती है। बता दें कि सीबीआई ने 2021 में हुई छत्तीसगढ़ लोकसेवा आयोग की परीक्षा में भाई-भतीजावाद का आरोप लगा था। जिसके सिलसिले में जांच करते हुए अगस्त 2024 में सीबीआई ने राज्य के 15 जगहों पर छापे मारे थे। इनमे लोकसेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष तमन सिंह सोनवानी, कांग्रेस नेता और लोगों के ठिकानों पर छापेमारी हुई थी।

छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष तामन सिंह सोनवानी, पूर्व सचिव जीवन किशोर ध्रुव और एक परीक्षा नियंत्रक के खिलाफ जुलाई में अपने बेटे, बेटियों, रिश्तेदारों और परिचितों को मेरिट सूची में उच्च अंक दिलाने में मदद करने के आरोप में मामला दर्ज किया गया था। सीबीआई सूत्रों के मुताबिक भर्ती प्रक्रिया में सोनवानी के परिवार के पांच सदस्य लाभान्वित हुए। इनमें उनके बेटे नितेश और बहू निशा कोसले (डिप्टी कलेक्टर), बड़े भाई का बेटा साहिल (डिप्टी एसपी), बहू दीपा आदिल (जिला आबकारी अधिकारी) और बहन की बेटी सुनीता जोशी (श्रम अधिकारी) शामिल हैं। पूर्व राज्यपाल के सेक्रेटरी अमृत खालको, कांग्रेस नेता राजेंद्र शुक्ला, CGPSC के पूर्व चेयरमैन टामन सोनवानी और श्रम पदाधिकारी सुनीता जोशी का मायका महासमुंद का हरदी गांव में भी एजेंसियों ने दबिश दी थी।

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में कांग्रेस नेता राजेंद्र शुक्ला के घर पर CB

यह भी सामने आया था कि छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग के तत्कालीन सचिव (ध्रुव) ने अपने बेटे सुमित को डिप्टी कलेक्टर के पद पर चयनित कराया था।’ सुनीता जोशी पूर्व चेयरमैन सोनवानी की भांजी बताई जाती हैं। 2023 में सुनीता जोशी का श्रम पदाधिकारी के पद पर चयन हुआ था। इसके पहले वे आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के पद पर थीं। इन सभी लोगों से घोटाले को लेकर पूछताछ की गई थी।

राज्य की बीजेपी सरकार ने मामले की जांच CBI को सौंपी है। फ़िलहाल, CBI की जांच के बीच पूर्व पदाधिकारियों को साक्षात्कार बोर्ड में शामिल करने से माना जा रहा है कि राज्य सरकार ने ऐसे संदेहियों को अपने स्तर पर क्लीन चिट दे दी है। न्यूज़ टुडे छत्तीसगढ़ ने CGPSC और राज्य सरकार के ‘चलनशील’ अफसरों से इस मामले को लेकर प्रतिक्रिया लेनी चाही, लेकिन कोई प्रतिउत्तर नहीं प्राप्त हो सका।