लद्दाख से पैदल दिल्ली आ रहे थे सोनम वांगचुक, पुलिस ने सिंघु बॉर्डर से हिरासत में लिया, जानें क्या है मामला

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लद्दाख की समस्याओं को लेकर आवाज उठाने वाले क्लाइमेट एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक पैदल लद्दाख से दिल्ली आ रहे थे. 900 किलोमीटर से ज्यादा की यात्रा के बाद उन्हें दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर रोक दिया गया है और दिल्ली पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया है. दिल्ली में गांधी समाधि पर प्रदर्शन के लिए आ रहे सोनम वांगचुक सहित लद्दाख के करीब 120 लोगों को दिल्ली पुलिस ने शहर में प्रवेश से पहले ही हिरासत में ले लिया है.

क्लाइमेट एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक लगातार लद्दाख की समस्याओं को उठाते रहते हैं. वो लद्दाख को छठी अनुसूची का दर्जा देने की मांग को लेकर लद्दाख से राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली तक पैदल मार्च कर पहुंचे हैं. सोनम वांगचुंक लद्दाख के 120 लोगों के साथ दिल्ली में गांधी समाधि पर 2 अक्टूबर को प्रदर्शन करना चाहते थे. उन्होंने 1 सितंबर को लद्दाख से पैदल मार्च की शुरुआत की थी.

दिल्ली पुलिस सूत्रों के अनुसार, सोनम वांगचुक समेत हिरासत में लिए गए लोगों को अलीपुर और शहर की सीमा से लगे अन्य पुलिस थानों में ले जाया गया है. पुलिस अधिकारी ने बताया कि वांगचुक और अन्य लोग सीमा पर रात बिताना चाहते थे. दिल्ली में निषेधाज्ञा यानी बीएनएस की धारा 163 लागू (आईपीसी की धारा 144) लागू होने के कारण उन्हें पहले वापस जाने के लिए कहा गया, लेकिन जब वे नहीं रुके तो सीमा पर पहले से तैनात पुलिसकर्मियों ने वांगचुक समेत लोगों को हिरासत में ले लिया.

हिरासत में लिए जाने से पहले सोनम वांगचुक ने एक्स पर एक वीडियो शेयर किया था और बताया था कि पुलिस उनको डिटेन कर रही है. उन्होंने वीडियो में कहा, ‘हम पंजाब से दिल्ली की ओर जा रहे हैं. हमें हरियाणा और दिल्ली पुलिस की गाड़ियां एस्कॉर्ट कर रही हैं. लेकिन, जैसे-जैसे हम दिल्ली की ओर बढ़ रहे हैं, हमें लग रहा है कि पुलिस हमें एस्कॉर्ट नहीं, बल्कि एक तरह से डिटेन कर रही है. मुझे और मेरे साथ 150 पदयात्रियों को दिल्ली बॉर्डर पर 1000 पुलिस बल द्वारा हिरासत में लिया जा रहा है. 80 साल से ज्यादा उम्र के कई बुजुर्ग पुरुष और महिलाएं और कुछ दर्जन सेना के दिग्गज. आगे क्या होगा, हमें नहीं पता है. हम बापू की समाधि की ओर शांतिपूर्ण मार्च कर रहे थे. दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में, लोकतंत्र की जननी…’

सोनम वांगचुक लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल कराना चाहते हैं. ताकि स्थानीय लोगों को अपनी भूमि और सांस्कृतिक पहचान की रक्षा करने के लिए कानून बनाने की शक्ति मिल सके. इसके अलावा वह लद्दाख को पूरण राज्य का दर्जा दिलाने की वकालत कर रहे हैं. वांगचुक लद्दाख के लिए मजबूत पारिस्थितिक सुरक्षा की भी मांग कर रहे हैं. पैदल मार्च से पहले वो अपनी मांगों को लेकर लेह में 9 दिनों का अनशन भी कर चुके हैं.