Friday, September 20, 2024
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SpaceX के Starlink सैटेलाइट फैला रहे रेडियो प्रदूषण, अंतरिक्ष में हो सकता है खतरा! वैज्ञानिकों ने चेताया

Science News: एलन मस्क की कंपनी SpaceX अपने स्टारलिंक सैटेलाइट्स की फ्लीट के जरिए हाई-स्पीड इंटरनेट सर्विस देती है. जैसे-जैसे Starlink की कवरेज बढ़ रही है, अंतरिक्ष में उसके सैटेलाइट्स की संख्‍या भी. एक नई स्टडी में, वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि स्टारलिंक के नए सैटैलाइट्स भारी मात्रा में रेडियो प्रदूषण फैला रहे हैं. ये पिछले सैटेलाइट्स की तुलना में 32 गुना ज्यादा रेडियो शोर पैदा करते हैं. बढ़ते प्रदूषण की वजह से एस्ट्रोनॉमर्स के लिए रेडियो ऑब्जर्वेशंस बेहद मुश्किल हो गए हैं.

रेडियो एस्ट्रोनॉमी में तारों, ब्लैक होल और ब्रह्मांड में अन्य वस्तुओं से निकलने वाले मंद रेडियो संकेतों का पता लगाने के लिए अति संवेदनशील एंटेना का इस्तेमाल किया जाता है. नीदरलैंड्स में स्थित लो फ्रीक्वेंसी एरे (LOFAR) दुनिया के सबसे संवेदनशील रेडियो ऑब्जर्वेटरीज में से एक है. LOFAR के रिसर्चर्स ने पाया है कि SpaceX के सैटैलाइट्स की बढ़ती संख्‍या उनके उपकरणों के लिए रुकावट बन रही है. जुलाई में, रिसर्चर्स ने पाया कि LODAR के ऊपर आकाश में घूम रहे स्टारलिंक सैटेलाइट रेडियो एस्ट्रोनॉमी के कुछ सबसे कीमती लक्ष्यों की तुलना में 10 मिलियन गुना अधिक चमकीले दिखाई देते हैं.

LOFAR को मैनेज करने वाली एजेंसी की निदेशक, जेसिका डेम्पसी ने कहा कि सैटेलाइट रेडियो प्रदूषण से दूर मौजूद एक्सोप्लैनेट्स और नवजात ब्लैक होल्स को मापने में बाधा बनते हैं. उनके मुताबिक, यह प्रदूषण पुनर्आयनीकरण युग से आने वाले हल्के रेडिएशन को भी ब्लर कर सकता है, जो ब्रह्मांड के इतिहास में सबसे कम समझे जाने वाले काल में से एक है. सिग्नल इतना कमजोर होता है कि इसे केवल सबसे संवेदनशील रेडियो दूरबीनों द्वारा ही देखा जा सकता है.

स्टारलिंक फ्लीट में अभी 6,300 से अधिक सक्रिय सैटेलाइट हैं. हालांकि, स्पेसएक्स की योजना 40,000 से ज्यादा स्पेसक्राफ्ट लॉन्च करने की है. इसके अलावा, ऐमजॉन के प्रोजेक्ट कुइपर और चीन की कंपनियां भी आने वाले सालों में हजारों सैटेलाइट्स भेजने वाली हैं. ये सैटेलाइट्स कम से कम पांच साल तक ऊपर रहते हैं. इस प्रदूषण से स्क्वेयर किलोमीटर ऐरे ऑब्जर्वेटरी (SKAO) भी प्रभावित होगी. यह विश्व की सबसे बड़ी और सर्वाधिक संवेदनशील रेडियो दूरबीन है, जिसका निर्माण ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका में किया जा रहा है.

Bureau Report
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