छत्तीसगढ़ के सीमेंट कार्टेल पर केंद्रीय जांच एजेंसियों की तिरछी नजर, 50 रुपए दाम बढ़ाने के विरोध के बाद 45 कम, अब मात्र 5 रुपये का इजाफा, आखिर रोजाना उत्पन्न होने वाली प्रति बैग 45 रुपये की कमाई किसकी तिजोरी में…..?  

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दिल्ली/रायपुर: छत्तीसगढ़ में सीमेंट कार्टेल सुर्ख़ियों में है। एक राय होकर सीमेंट कंपनियों ने प्रति बैग सीमेंट के दाम 50 रूपए बढ़ा दिए थे। लेकिन जिस तेजी से दाम बढ़ाये गए, उसके तौर-तरीके एक बड़े भ्रष्टाचार की ओर इशारा कर रहे है। हालांकि केंद्र और राज्य सरकार ने सीमेंट कार्टेल कंपनियों के अरमानों पर पानी फेर दिया है। अब इस मामले की उच्च स्तरीय जांच के आसार बताये जा रहे है। रायपुर सांसद बृजमोहन अग्रवाल के पीएमओ को लिखे पत्र को भारत सरकार ने गंभीरता से लिया है। सीमेंट के बढ़े  हुए दाम कार्टेल ने वापस तो ले लिए है, लेकिन उसके इस कदम से घोटाले की ‘बू’ अब भी आ रही है। उधर सांसद बृजमोहन अग्रवाल को मामले की जांच के लिए सरकार ने अश्वस्थ किया है। दिल्ली में राज्य का सीमेंट कार्टेल राजनैतिक गलियारों में छाया हुआ है। 

छत्तीसगढ़ में बीजेपी सरकार के कार्यकाल के पहले ही साल में सीमेंट कार्टेल की मनमानी सामने आई है। उसने बाजार को दरकिनार कर सीमेंट के दाम अचानक आसमान पंहुचा दिए थे। खुले बाजार में 260 रुपये प्रति बैग मुहैया होने वाले सीमेंट की कीमत सीधे 310 रुपये पहुंच गई थी। एक मुश्त इतनी वृद्धि के विरोध में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस को बीजेपी पर हमला करने के लिए एक बड़ा मुद्दा हाथ लग गया था। हालांकि बीजेपी के कई नेताओं ने भी सीमेंट के दामों में की गई वृद्धि की आलोचना की थी।

इस मुद्दे के तूल पकड़ते ही सीमेंट कार्टल कंपनियों ने अचानक बढ़े हुए दाम वापस ले लिए है। बताया जा रहा है कि सीमेंट कंपनी कार्टेल के हौसले इतने बुलंद है कि वे जनता और सरकार की मंशा कों दरकिनार कर बाजार में सीमेंट के दामों में गैर-जरुरी वृद्धि को हवा दे रहे है। प्रदेश के सीमेंट उत्पादकों ने प्रति बैग एक मुश्त 50 रुपये तक दाम बढ़ा दिए थे। जबकि बाजार में निर्माण कार्यों से जुड़ी अन्य सामग्रियों, लोहा-छड़ और हार्डवेयर आइटम में कोई उठाव की गुंजाईश नजर नहीं आ रही है। ऐसे समय मंदी के दौर से गुजर रहे निर्माता, सीमेंट उद्योग की मूल्य वृद्धि से हैरत में बताये जाते है। 

सूत्रों द्वारा बताया जाता है कि सीमेंट कार्टेल के इशारों पर मूल्य वृद्धि मामले में नौकरशाही ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी। किसी आका से मंजूरी प्राप्त कर सीमेंट कंपनियों ने अचानक दाम बढ़ाने का ऐलान कर दिया था। जानकारी के मुताबिक नई दरों पर बिलिंग भी शुरू कर दी गई थी। इस बीच सत्ताधारी एवं विरोधी राजनैतिक दलों के कई नेताओं ने मूल्य वृद्धि का विरोध कर केंद्र का ध्यान इस ओर दिलाया था।

अब सीमेंट कंपनियों ने 50 रुपये में 45 रुपये की बड़ी कटौती कर मात्र 5 रुपए की बढ़ोतरी कर एक नए विवाद को जन्म दे दिया है। अब सवाल उठ रहा है कि वाजिब तौर पर घटाई गई यह 45 रुपये प्रति बैग की रकम आखिर किसकी तिजोरी में जाने वाली थी ? आखिर वे कौन लोग है, जो आम जनता पर प्रति बैग इतना भारी भरकम भ्रष्टाचार का बोझ डालने में जुटे थे ? हालांकि घटाई गई दरों को लेकर सीमेंट कंपनियों की ओर से अभी कोई आधिकारिक जानकारी सामने नहीं आई है।

छत्तीसगढ़ में सीमेंट कंपनियों से  प्रति माह करोड़ो के अवैध लेन-देन की बुनियाद रखे जाने का ये कोई नया मामला नहीं बताया जा रहा है। सूत्र तस्दीक करते है कि साल दर साल नेताओं की जुगलबंदी के बाद सीमेंट कार्टेल इसी तर्ज पर एकतरफा दामों में वृद्धि करता है। इस बार प्रदेश में राजनीति तेज होने के चलते सीमेंट कार्टेल कंपनियों की दाल नहीं गल पाई। उन्हें अपने कदम वापस खींचने पड़े।

सूत्रों के मुताबिक देश की दो बड़ी जांच एजेंसियों के गलियारे में छत्तीसगढ़ की सीमेंट कार्टेल कंपनियों की गतिविधियां चर्चा का विषय बनी हुई है। चर्चा जारी है कि आखिर कौन वो शख्स है, जिसने सीमेंट के दाम में एक मुश्त 50 रुपये की बढ़ोतरी को हरी झंडी दिलवाई थी। यह भी बताया जाता है कि सीमेंट के दाम में वृद्धि पर नजर रखने के लिए भारत सरकार ने विभिन्न फोरम भी गठित किये है। ये महकमे सीमेंट कीमतें नियंत्रित रखने की मंशा पर जोर देते है। ताकि आम नागरिकों को घर निर्माण सामग्री रियायती दरों पर मुहैया होती रहे।

सूत्रों के मुताबिक प्रदेश के सीमेंट कार्टेल ने दाम में बढ़ोतरी जैसे महत्वपूर्ण फैसले पर केंद्र को भी विश्वास में नहीं लिया था। ऐसे में रायपुर के सांसद बृजमोहन अग्रवाल का भारत सरकार को लिखा पत्र मील का पत्थर साबित हुआ है। बताते है कि एका-एक सीमेंट के दाम में प्रति बैग 50 रुपये की बढ़ोतरी केंद्रीय नेताओं के भी गले नहीं उतर रही थी। इसके दूरगामी परिणाम तेजी से नजर आने लगे थे।

वही दूसरी ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गांव-कस्बों में पक्के घर और हर आदमी को बिजली, पानी, सड़क और घर जैसी मूलभूत सुविधाओं से जुड़ी कई महत्वपूर्ण योजनाओं की कामयाबी पर यह महँगी सीमेंट भारी पड़ती नजर आ रही थी। जाहिर है, सीमेंट के दाम बढ़ने से निर्माण कार्यों का महंगा होना लाजिमी है। लिहाजा हरकत में आई सरकार ने सीमेंट कार्टेल के अरमानों पर पानी फेर दिया है। उधर महंगे सीमेंट ने रियल एस्टेट कारोबार पर भी अपना विपरीत असर डालना शुरू कर दिया था। 

सूत्रों के मुताबिक केंद्र की फटकार के बाद सीमेंट कंपनियों ने दाम में मात्र 5 रुपये की बढ़ोतरी पर संतोष जता कर मामले को रफा-दफा कर दिया है। लेकिन कार्टेल का यह फैसला सुर्ख़ियों में है। राज्य में सीमेंट कारोबार से जुड़े बड़े उद्योगपतियों और व्यापारियों के बीच कार्टेल के लेन-देन और बिगड़ते समीकरणों की चर्चा जोरो पर है। कॉर्पोरेट हाउस में उस शख्स की जमकर चर्चा हो रही है, जिसने प्रति बैग सीमेंट के दाम में बढ़ोतरी की बिसात बिछाई थी। इसके लिए रायपुर से लेकर दिल्ली तक फिट किये गए कई समीकरण भी उद्योगपतियों की जुबान पर है। बताते है कि गैर-वाजिब आपसी लेनदेन के ये समीकरण अब सीमेंट कार्टेल कंपनियों की गले की फ़ांस बनते नजर आ रहे है। सूत्रों के मुताबिक केंद्रीय जांच एजेंसियों ने पहले सीमेंट के दाम वाजिब दावे के साथ बढ़ाने फिर वापस लेने के फैसले को जांच के घेरे में लिया है।