Kolkata Doctor Rape Murder Case: हंगामा, शोर-शराबा, बंद और बवाल के 32 दिन, जानें मरीजों की बेहाली का डरावना सच….

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Kolkata Doctor Rape Murder Case: कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में जूनियर डॉक्टर की रेप और हत्या के बाद मचा बवाल अभी तक नहीं थमा है. जूनियर डॉक्टर अपने काम पर वापस नहीं लौटे हैं. एक महीने से भी ज्यादा समय बीतने के बाद भी प्रशासन के कई जतन और सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के कड़े निर्देशों के बावजूद जूनियर डॉक्टर अपनी हड़ताल खत्म करने को तैयार नजर नहीं आ रहे हैं.

हड़ताल ना खत्म होने की वजह से सबसे ज्यादा परेशानी मरीजों को उठानी पड़ रही है. मरीज इलाज के लिए दर-दर भटक रहे हैं. मरीजों का कहना है कि वो रोज अस्पताल के चक्कर लगा रहे हैं. इलाज ना होने की वजह से उनकी परेशानी बढ़ रही है.

आरजी कर अस्पताल में इलाज कराने आईं 55 साल की आरती को सांस की बीमारी है. लेकिन उनका इलाज नहीं हो पा रहा है. उन्होंने बताया, ‘मुझे सांस लेने में दिक्कत है. डॉक्टर भी अच्छा व्यवहार नहीं कर रहे हैं. कुछ पूछने जाते हैं तो वो हमें ही डांट देते हैं. हम यहां पर ठीक होने के लिए आते हैं, लेकिन छह घंटे इंतज़ार करके हमारी तबियत और ज्यादा बिगड़ रही है. हमें डॉक्टरों के आंदोलन से कोई दिक्कत नहीं है. वो आंदोलन करें लेकिन यह ना भूलें कि मरीजों को भी उनकी जरूरत है.

मोहम्मद असरफ हुसैन हार्ट पेशेंट हैं. उन्होंने बताया कि उन्हें अपने इलाज के लिए एक महीने पहले आना था, लेकिन हड़ताल की वजह से वो एक महीने बाद आएं हैं. यहां पर भी अभी तक उनका इलाज नहीं हुआ है. उन्हें बहुत ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

सरकारी अस्पतालों में जूनियर डॉक्टर के विरोध प्रदर्शन की वजह से डॉक्टरों की संख्या सामान्य से कम है. इसका असर मरीजों पर पड़ रहा है. राज्य में 300 सरकारी अस्पताल हैं, 26 मेडिकल कॉलेज हैं. इसमें 95,000 डॉक्टर फुल टाइम जुड़े हैं. जहां पर करीब 5 लाख मरीज हर दिन इलाज के लिए आते हैं. पश्चिम बंगाल सरकार ने सोमवार को SC में बताया था कि अब तक 23 लोगों की जान जूनियर डॉक्टरों के हड़ताल के कारण इलाज न मिल पाने की वजह से हुई है.

11 सितंबर को स्वास्थ्य विभाग ने ईमेल के जरिए डॉक्‍टरों को मिलने के लिए राज्य मुख्यालय नबान्नो बुलाया था. लेकिन जूनियर डॉक्टरों ने मिलने से इंकार कर दिया था. डॉक्टरों ने फिर से डिमांड रख दी है. इसमें कहा गया है कि इस बैठक में 10-15 नहीं बल्कि 30 लोग जायेंगे, बैठक का सीधा प्रसारण करना होगा और बैठक में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को मौजूद रहना होगा. इस सपर द मुख्य सचिव मनोज पंत ने इसे ‘दुखद’ कहा था.