जम्मू-कश्मीर में होने वाले विधानसभा चुनाव के बीच पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला की मुश्किलें बढ़ती दिख रही है, क्योंकि जेकेसीए धनशोधन मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) कोर्ट पहुंच गई है. ईडी ने जेकेसीए धनशोधन मामले में श्रीनगर की एक अदालत में एक याचिका दायर कर फारूक अब्दुल्ला और अन्य के खिलाफ दो नए आपराधिक आरोप जोड़ने का अनुरोध किया है. इस मामले को पिछले महीने जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया था.
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि एजेंसी ने हाल में प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत में याचिका दायर कर जम्मू-कश्मीर क्रिकेट एसोसिएशन (जेकेसीए) में कथित वित्तीय अनियमितताओं से संबंधित मामले में भारतीय दंड संहिता की धाराएं 411 (बेईमानी से चोरी की संपत्ति प्राप्त करना) और 424 (बेईमानी या धोखाधड़ी से संपत्ति हटाना या छिपाना) जोड़ने का अनुरोध किया. संघीय एजेंसी ने यह कदम ऐसे समय में उठाया है जब जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट ने फारूक अब्दुल्ला और कुछ अन्य के खिलाफ मामला और आरोपपत्र 14 अगस्त को खारिज कर दिया था.
चुनाव आयोग ने जम्मू कश्मीर में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए तारीखों का ऐलान कर दिया है, जहां तीन चरणों में वोट डाले जाएंगे. जम्मू-कश्मीर में धारा 370 हटने के बाद पहली बार विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं. जम्मू-कश्मीर में पहले चरण में 18 सितंबर को 24 सीटों पर, दूसरे चरण में 25 सितंबर को 26 सीटों पर और तीसरे चरण में एक अक्टूबर को 40 सीटों पर वोट डाले जाएंगे. वहीं,सभी 90 सीटों पर मतगणना 8 अक्टूबर को होगी, जो पहले 4 अक्टूबर को होने वाली थी. चुनाव आयोग ने हरियाणा में एक बिश्नोई आसोज अमावस्या को देखते हुए मतदान की तारीख एक अक्टूबर से बदलकर पांच अक्टूबर करने के बाद यह कदम उठाया है.
इंजीनियर राशिद की जमानत पर प्रतिक्रिया देते हुए उमर अब्दुल्ला ने कहा कि यह राजनीति से प्रेरित कदम है, वह लोगों के प्रतिनिधित्व के लिए नहीं बल्कि वोट लेने के लिए बाहर निकले गये हैं. नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने हाल ही में दिल्ली की एक अदालत द्वारा अवामी इत्तेहाद पार्टी (एआईपी) के नेता इंजीनियर राशिद को दी गई जमानत पर प्रतिक्रिया जताई है. अब्दुल्ला का तर्क है कि रसीद उत्तरी कश्मीर से सांसद है, लेकिन यह निर्णय संसदीय क्षेत्र के लोगों के हितों की सेवा करने के उद्देश्य से नहीं है, बल्कि आगामी चुनावों से पहले वोट हासिल करने के लिए एक रणनीतिक कदम है.
उमर अब्दुल्ला ने कहा, ‘मुझे बारामुला के लोगों के लिए दुख है. यह जमानत सार्वजनिक सेवा के लिए नहीं है. यह चुनावी लाभ के लिए है. चुनावों के बाद इंजीनियर राशिद खुद को तिहाड़ जेल में पाएंगे.’ उन्होंने कहा कि उत्तरी कश्मीर के निवासियों पर इस फैसले के प्रभाव को देखा जाना बाकी है.