नई दिल्ली: सरकारी कर्मचारियों के लिए यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) की तैयारियों में लगी सरकार से प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों ने भी बड़ी मांग रख दी है. उनका कहना है कि हमें भी रिटायरमेंट के बाद एक निश्चित पेंशन मिलनी चाहिए. अभी प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारी एम्पलॉयीज प्रोविडेंट फंड ऑर्गेनाइजेशन (EPFO) के तहत आते हैं और उन्होंने अपनी मासिक पेंशन बढ़ाने के लिए सरकार से गुहार लगाई है. प्राइवेट कर्मचारियों के लिए एम्पलॉयीज पेंशन स्कीम (EPS) के तहत न्यूनतम पेंशन तय की जाती है.
चेन्नई ईपीएफ पेंशनर्स वेलफेयर एसोसिएशन ने हाल में ही केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री मनसुख मंडाविया को पत्र लिखकर मिनिमम पेंशन बढ़ाने की मांगी है. संगठन ने कहा है कि प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों को भी न्यूनतम 9,000 रुपये की पेंशन मिलनी चाहिए. ईपीएस के तहत देशभर में करीब 75 लाख कर्मचारी कवर होते हैं. संगठन का कहना है कि हाल में घोषित की गई यूपीएस पेंशन स्कीम का फायदा 23 लाख केंद्रीय कर्मचारियों को मिलेगा, लेकिन सरकार को ईपीएस 1995 के तहत कवर होने वाले प्राइवेट कर्मचारियों के लिए भी सोचना चाहिए.
चेन्नई ईपीएफ पेंशनर्स वेलफेयर एसोसिएशन ने मांग रखी है कि पेंशन मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी बातचीत की जाए. आपको बता दें कि इससे पहले जुलाई में ईपीएस-95 की नेशनल एगीटेशन कमेटी ने दिल्ली में विरोध प्रदर्शन कर मिनिमम पेंशन 7,500 रुपये करने की मांग की थी. महाराष्ट्र के इस संगठन के तहत करीब 78 लाख रिटायर्ड पेंशनर्स आते हैं, जबकि देश के इंडस्ट्रियल सेक्टर में काम करने वाले 7.5 करोड़ कर्मचारियों की भी अगुवाई यह संगठन करता है.
ईपीएस 1995 के तहत केंद्र सरकार ने साल 2014 में 1,000 रुपये की न्यूनतम पेंशन तय की थी. हालांकि, श्रम मंत्रालय ने पिछले साल वित्त मंत्रालय को एक प्रस्ताव भेजकर इस पेंशन को डबल करने यानी मिनिमम 2,000 रुपये करने की मांग की थी. फिलहाल वित्त मंत्रालय ने इस प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया.
ईपीएस के तहत पेंशन तय करने का मौजूदा फॉर्मूला है आपकी बेसिक सैलरी गुणे सर्विस पीरियड और जो भी रिजल्ट आए उसे 70 से भाग देना. मान लेते हैं किसी कर्मचारी की बेसिक सैलरी 50 हजार रुपये है और उसने 30 साल काम किया. इस तरह रिजल्ट आएगा 15 लाख और उसे 70 से भाग देने पर होगा 21,428 और यही उस कर्मचारी की पेंशन होगी.
जैसा कि आपको पता है प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों को हर महीने अपनी बेसिक सैलरी का 12 फीसदी ईपीएफ में डालना होता है. सेम अमाउंट यानी 12 फीसदी रकम आपका नियोक्ता भी अंशदान करता है. लेकिन, नियोक्ता की ओर से डाली गई 12 फीसदी रकम में से 8.33 फीसदी पैसा चला जाता है पेंशन फंड वाले ईपीएस में जबकि शेष 3.67 फीसदी रकम कर्मचारी के पीएफ खाते में जमा हो जाती है. 12 फीसदी पीएफ काटने का नियम अभी मिनिमम 15 हजार रुपये की सैलरी पर शुरू होता है, जबकि श्रम मंत्रालय ने इसे 21 हजार करने का भी प्रस्ताव दिया है. ऐसा होता है तो प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों को ज्यादा फायदा मिलेगा.