रायपुर/दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के 3 दिवसीय दौरे के ठीक पहले छत्तीसगढ़ सरकार ने 6 हज़ार करोड़ के महादेव सट्टा ऐप घोटाले की जांच सीबीआई के हवाले कर दी थी। बताते है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह छत्तीसगढ़ में बीते 5 सालों तक अंजाम दिए गए घोटालों और भ्रष्टाचार की जांच और कार्यवाही को लेकर काफी सख्त तेवर दिखा रहे है। उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति अपनाने के साथ-साथ शासन-प्रशासन में पारदर्शिता बरतने के निर्देश दिए है। शाह, उन मामलों को लेकर बेहद गंभीर है, जिन्हे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विधानसभा चुनाव के दौरान जनता से मोदी गारंटी के रूप में वादा किया था।
बताया जाता है कि बीजेपी सरकार की सबसे बड़ी घोषणाओं किसानो और महिलाओं के लिए वादों के अनुरूप सौगातों की झड़ी लगा दी गई थी। मुख्यमंत्री साय ने मंत्री परिषद की पहली बैठक में ही पार्टी घोषणा पत्र के बड़े वादों पर मुहर लगा कर किसानों को बोनस और फसलों का उचित दाम अदा कर दिया था। ठीक इसी तर्ज पर महतारी वंदन योजना के जरिये महिला सशक्तिकरण की दिशा में आर्थिक सहायता करने का ठोस कदम उठाया था। राजनीति के जानकारों के मुताबिक केंद्रीय गृह मंत्री ने एक साथ दो मोर्चों पर प्रदेश की डबल इंजन सरकार को पटरी पर दौड़ा दिया है। अब नक्सल प्रभावित इलाकों में बड़ी आबादी को साक्षर बनाने के साथ-साथ वर्ष 2026 तक नक्सलवाद का समूल नाश करने का बीड़ा उठाया गया है।
वही दूसरी ओर पूर्ववर्ती भूपे सरकार के भ्रष्टाचार के मामलों में निष्पक्ष जांच और आरोपियों को उनके असल ठिकाने भेजने का संकल्प लिया गया है। महादेव ऐप घोटाले की सीबीआई जांच की सिफारिश के बाद 2200 करोड़ के शराब घोटाले की भी सीबीआई जांच को लेकर विचार-मंथन जारी, बताया जाता है। सूत्र तस्दीक करते है कि दिल्ली से बड़े छत्तीसगढ़ के शराब घोटाले के उजागर होने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री बघेल के कार्यकाल में ही दागी अफसरों और राज नेताओं ने ना केवल जांच भटका दी थी, बल्कि भारी भरकम भ्रष्टाचार के कई सरकारी और गैर-सरकारी सबूतों तक को नष्ट कर दिया था। केंद्रीय जांच एजेंसी ED महादेव ऐप घोटाले की तर्ज पर शराब घोटाले में भी मौजूदा आरोपियों के क़ानूनी दांवपेचों से दो-चार हो रही है। इस अन्तर्राजीय घोटाले के तार भी देश-विदेश तक जुड़े पाए बताये जाते है।
सूत्र तस्दीक करते है कि शराब घोटाले के कई आरोपियों ने छत्तीसगढ़ के अलावा दुबई में बड़े पैमाने पर निवेश किया है। मनी लॉन्ड्रिंग एजेंटों और कई हवाला कारोबारियों ने शराब घोटाले की सरकारी रकम को दुबई तक सुरक्षित पहुंचाया था। सूत्रों के मुताबिक ED की जांच में भी मनी लॉन्ड्रिंग के कई ऐसे प्रामाणिक तथ्य सामने आये है कि आरोपियों ने मोटी रकम भारत पार भेजी थी। यही नहीं छत्तीसगढ़, दिल्ली, मुंबई, बंगलुरु, हैदराबाद, पुणे, लखनऊ समेत कई महानगरों में घोटाले की रकम रियल एस्टेट कारोबार और चल-अचल संपत्ति की खरीद-फरोख्त में खपाना, पाया गया है। जानकारी के मुताबिक छत्तीसगढ़ शासन के आबकारी अमले के अलावा तत्कालीन मुख्यमंत्री का कार्यालय पूरी तरह से शराब घोटाले में मदहोश रहा।
विधिक जानकार बताते है कि पूर्व मुख्यमंत्री के पूरे 5 वर्ष शराब की तस्करी और भ्रष्टाचार में बीत गए। उनके मुताबिक पूर्व मुख्यमंत्री के करीबी लोगों ने प्रदेश भर की शराब डिस्लरी और सरकारी दुकानों पर अपना कब्ज़ा जमा लिया था। इस दौरान आबकारी महकमा घोटालों बाजों के सामने नतमस्तक था। उसने शासकीय कर्तव्यों की अवहेलना करते हुए सरकारी तिजोरी में ही डाका डालने में सहयोग किया था। घोटाले से जुड़े तथ्य साबित करते है कि राजनेताओं के अलावा आईएएस-आईपीएस अधिकारियों की एक लॉबी शराब की बिक्री और घोटाले की रकम को इधर-उधर करने का मैनेजमेंट किया करती थी।
इस घोटाले में तत्कालीन मुख्यमंत्री के अधिकारों का उपयोग सुपर सीएम अनिल टुटेजा, निलंबित उपसचिव सौम्या चौरसिया और कारोबारी अनवर ढेबर द्वारा किया जा रहा था। सूत्रों के मुताबिक 2200 करोड़ के शराब घोटाले में आरोपियों से अब तक जब्त संपत्ति का आंकड़ा बा मुश्किल 200 करोड़ तक ही पहुँच पाया है। जबकि प्रभावशील आरोपियों के कब्जे में अभी भी 5 हज़ार करोड़ से ज्यादा की संपत्ति बाजार में घूमते सौदे के रूप में आंकी जा रही है। इसे अटैच करने में एजेंसियों के पसीने छूट रहे है।
बताते है कि बीते 5 सालों में भूपे गिरोह ने शराब घोटाले से अर्जित होने वाली रकम जमीनों की खरीद फरोख्त और कई बोगस कंपनियों में निवेश कर दी थी। सरकारी रजिस्ट्री और राजस्व कार्यालय में इसका लेखा-जोखा भी बेनामी संपत्ति के आधार पर दर्ज कराया गया है। रायपुर, दुर्ग, बेमेतरा, बालोद, बिलासपुर, कोरबा और रायगढ़ के रजिस्ट्री दफ्तरों में बेनामी संपत्ति को लेकर सरकारी रिकॉड में भी भारी हेरफेर किया गया था। यहाँ भी ऑनलाइन सिस्टम को ऑफलाइन कर घोटालेबाजों ने अपनी जमीनों की रजिस्ट्री करवाई थी।
बताते है कि भूपे राज में सरकारी संरक्षण में शराब की तस्करी कुटीर उद्योग का रूप ले चुकी थी। इस मामले में दर्जनों आरोपी अभी भी जेल की हवा खा रहे है। जबकि घोटाले का मुख्य सूत्रधार पूर्व मुख्यमंत्री भूपे, पूरी आजादी के साथ अपनी राजनैतिक रोटी सेक रहा है। विधानसभा चुनाव के दौरान शराब घोटाले ने कांग्रेस सरकार के अरमानों पर पानी फेर दिया था। प्रधानमंत्री मोदी ने भी शराब घोटाले को लेकर तत्कालीन कांग्रेस सरकार और मुख्यमंत्री को आड़े हाथों लिया था।
राजनीति के जानकारों के मुताबिक शाह के अगले रायपुर दौरे से पूर्व शराब घोटाले की सीबीआई जांच की सिफारिश भी प्रदेश की राजनीति में नया रंग ला सकती है। बहरहाल बीजेपी गलियारों में अमित शाह की छत्तीसगढ़ यात्रा कई मायनों में सकारात्मक बताई जा रही है, करीबी सूत्र तस्दीक करते है कि साहब, शराब घोटाले की निष्पक्ष जांच के लिए जल्द ही कोई ठोस फरमान जारी कर सकते है।