IMPACT NEWS TODAY CHHATTISGARH: छत्तीसगढ़ में पूर्व मुख्यमंत्री बघेल समेत आधा दर्जन आईपीएस अधिकारी कठघरे में, सबूतों से छेड़छाड़ जोरो पर, महादेव ऐप सट्टा घोटाले की जांच आखिरकार सीबीआई के हवाले……

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रायपुर/दिल्ली: छत्तीसगढ़ में अंजाम दिए गए लगभग 6 हज़ार करोड़ के महादेव ऐप घोटाले की सीबीआई जांच होगी। इस बाबद सीबीआई का नोटिफिकेशन भी जारी हो गया है। इसके साथ ही छत्तीसगढ़ कांग्रेस के भीतर गहमा-गहमी भी देखी जा रही है। दरअसल पूर्व मुख्यमंत्री भूपे बघेल का नाम इसके मुख्य संचालनकर्ता और संरक्षक के रूप में सामने आया था।

इस मामले में राज्य के EOW ने पूर्व मुख्यमंत्री बघेल के खिलाफ नामजद FIR दर्ज की थी। जबकि घोटाले के कारोबार को संरक्षक देने के मामले में हर-माह लाखों की प्रोटेक्शन मनी वसूलने वाले आईपीएस अधिकारियों का नाम FIR में साफ़-साफ़ दर्ज करने के बजाय उनका नाम अज्ञात आरोपियों में शामिल कर दिया गया था। यही नहीं मामले की जांच के दौरान बड़े पैमाने पर करोड़ो की मनी लॉन्ड्रिंग भी सामने आई थी।

आखिरकार राज्य सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति का फॉर्मूला अपनाते हुए घोटाले की जांच सीबीआई को सौंप दी है। गौरतलब है कि न्यूज़ टुडे छत्तीसगढ़ ने इस मामले को सीबीआई की दहलीज तक ले जाने के लिए कई ऐसी तथ्यात्मक रिपोटिंग की थी, जिसके चलते जांच एजेंसियां सक्रिय हुई और उन्हें कामयाबी भी हासिल हुई थी। अब सीबीआई ने इस अन्तर्राज्यीय मामले की जांच को लेकर नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। छत्तीसगढ़ में महादेव ऐप का मुख्यालय भिलाई स्थित पूर्व मुख्यमंत्री बघेल के गृहनगर में उनके प्रभावशील ठिकाने बताये जाते है।

अरबों के घोटाले की सुगबुगुहात तेज होते ही तत्कालीन मुख्यमंत्री बघेल ने रायपुर और दुर्ग के दर्जनों थानों में मामूली जुआ-सट्टा एक्ट में अपराध दर्ज कर कई बड़े सटोरियों को व्यावसायिक संरक्षण प्रदान किया था। इस कारोबार में कई जिम्मेदार आईपीएस अधिकारी शामिल होकर बतौर प्रोटेक्शन मनी हर माह 40 से 50 लाख तक वसूल रहे थे। इनमे रायपुर के तत्कालीन IG आनंद छाबड़ा एवं एसपी प्रशांत अग्रवाल, IG अजय यादव, IG शेख आरिफ का नाम सुर्ख़ियों में है।

ईडी को प्रारंभिक विवेचना के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री बघेल के करीबी लोगों और पुलिस के आलाधिकारियों को प्रतिमाह प्राप्त हो रही लाखों की प्रोटेक्शन मनी से जुड़े कई सबूत प्राप्त हुए थे। इसे EOW के साथ भी साझा किया गया था। यह भी बताया जाता है कि इन प्रभावशील अधिकारीयों ने पुलिस सिस्टम में मौजूद रहते घोटाले से जुड़े कई सबूत नष्ट कर दिए है। यहाँ तक कि तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपे बघेल के सरकारी मुख्यमंत्री आवास का डिजिटल रिकॉर्ड भी नष्ट कर दिया है।

सूत्रों के मुताबिक आवास के सभी CCTV कैमरे, कम्प्यूटर एवं रजिस्टर में दर्ज डाटा नष्ट कर दिया गया है। बताया जाता है कि आरोपियों में से एक पुलिस अधिकारी चंद्रभूषण वर्मा के प्रारंभिक बयान सामने आते ही तत्कालीन ख़ुफ़िया प्रमुख छाबड़ा मुख्यमंत्री आवास के कई सरकारी रिकॉर्ड पर हाथ साफ कर दिया है। छत्तीसगढ़ कैडर के तत्कालीन IG इंटेलिजेन्स 2001 बैच के आईपीएस अधिकारी आनंद छाबड़ा ने अपने कार्यकाल के दौरान 250 से ज्यादा फर्जी सिम कार्ड इस्तेमाल किये जाने की जानकारी भी सामने आई है।

बताते है कि कई आपराधिक मामलों में संरक्षण और घोटाले की रकम को इधर-उधर करने में छाबड़ा की महत्वपूर्ण भूमिका होती थी। सूत्रों के मुताबिक फर्जी नम्बरों में ज्यादातर नंबर उन पुलिस कर्मियों द्वारा उपलब्ध कराये गए थे, जिनका नाम छाबड़ा की गुड बुक में शामिल था। प्रशासनिक मामलों के जानकारों के मुताबिक पूर्व मुख्यमंत्री बघेल के तत्कालीन ख़ुफ़िया प्रमुख आनंद छाबड़ा की कार्यप्रणाली चम्बल के डकैतों से कम नहीं आंकी जा सकती। छाबड़ा दंपत्ति ने महादेव ऐप घोटाले की काली कमाई ठिकाने लगाने के लिए सुनियोजित तरीका अपनाया था।

बताते है कि इस दागी अफसर की आईएफएस पत्नी समेत कई नाते-रिश्तेदारों के नाम मात्र 4 वर्ष के भीतर बड़े पैमाने पर नामी-बेनामी संपत्ति अर्जित की गई थी। इसमें जम्मू-कश्मीर और दिल्ली के आसपास के इलाकों में निवेश संबंधी जानकारियां भी सामने आई है। महादेव ऐप सट्टा घोटाले में रायपुर के एक डॉक्टर ‘दल्ला’ के मेटरनिटी होम और ठिकानों में ईडी की छापेमारी के दौरान छाबड़ा से जुड़े कई तथ्य एजेंसियों के हाथ लगे थे। सूत्र तस्दीक करते है कि छापेमारी के दौरान बरामद लगभग ढाई करोड़ की रकम छाबड़ा दंपत्ति ने इस ठिकाने पर सुरक्षित रखवाई थी। हालांकि विवेचना के दौरान राजनैतिक दबाव के चलते इसकी जांच ठप्प पड़ गई थी। बताते है कि डॉक्टर के ठिकाने में सामने आई करोड़ों की रकम महादेव ऐप सट्टा संचालन की प्रोटेक्शन मनी ही थी।

यही हाल अन्य लगभग आधा दर्जन उन आईपीएस अधिकारीयों का बताया जाता है, जो छाबड़ा की तर्ज पर देश विदेश तक इस ऐप के संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे थे। इसमें 2005 बैच के आईपीएस शेख आरिफ का नाम सबसे ऊपर बताया जाता है। बताते है कि इस दागी अफसर ने भी अपनी आईएएस पत्नी के नाते-रिश्तेदारों के नाम लखनऊ उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र के पुणे और मुंबई से लेकर छत्तीसगढ़ के कई जिलों में नामी-बेनामी निवेश किया था। यह भी बताया जाता है कि रायपुर के कुछ चार्टर्ड अकाउंटेंट के जरिये ब्लैक एंड वाइट का बड़ा खेल कर शेख आरिफ पूर्व मुख्यमंत्री बघेल सरकार के प्रमुख रणनीतिकार और कर्ता-धर्ता बन गए थे।

महादेव ऐप घोटाले में रायपुर के तत्कालीन एसएसपी 2007 बैच के प्रशांत अग्रवाल और IG 2004 बैच के अजय यादव ने भी दिन-दुगुनी रात चौगुनी कमाई की थी। सूत्रों के मुताबिक छत्तीसगढ़ के बस्तर, बिलासपुर और कांकेर समेत अन्य जिलों में अजय यादव का नामी-बेनामी बड़ा निवेश बताया जाता है। यह भी बताया जाता है कि सीधे तौर पर अपनी पत्नी और परिजनों के बजाय यादव ज्यादातर निवेश कई महिला-पुरुष पुलिसकर्मियों के नाम किया है। इसमें एक महिला पुलिस अधिकारी का नाम सुर्ख़ियों में है। पुलिस सूत्र बताते है कि यादव की कार्यप्रणाली भी सवालों के घेरे में है। वे जिस इलाके में तैनात होते है, वहां उनकी खासम-खास पुलिस कर्मियों की नियुक्ति भी देर सबेर करवा ही लेते है। यही हाल रायपुर के तत्कालीन एसएसपी प्रशांत अग्रवाल का बताया जाता है।

उनकी लूट मार वाली कार्यशैली के चलते महादेव ऐप घोटाले का कारोबार आसमान छू रहा था। प्रशांत अग्रवाल को विभिन्न अपराधों में बतौर प्रोटेक्शन मनी प्रतिमाह करोड़ो प्राप्त होते थे। सूत्रों के मुताबिक इस दागी आईपीएस ने भी अपने कारोबारी परिजनों के नाम अरबों रुपये चल-अचल संपत्ति की खरीदी और विभिन्न कंपनियों में निवेश किया है। इस आईपीएस अधिकारी का नाम 700 करोड़ के कोल खनन परिवहन घोटाले में भी शामिल है। ईडी ने चार्जशीट में गंभीर आरोपों के तहत प्रशांत अग्रवाल की कार्यप्रणाली से अदालत को अवगत कराया है। बावजूद इसके राज्य सरकार द्वारा ऐसे दागी अफसरों को निलंबित नहीं करने से महादेव ऐप समेत तमाम घोटालों की जांच प्रभावित हो रही है।

ईडी की विवेचना के दौरान लगभग आधा दर्जन आईपीएस अधिकारियों के अलावा दर्जनभर ASP, DSP और थानेदारों की संलिप्ता भी महादेव ऐप घोटाले में सामने आई है। इस मामले में प्रदेश के विभिन्न थानों में कुल 70 केस दर्ज हैं। बताते है कि महादेव ऐप घोटाले की सीबीआई जांच से कई सफेदपोश बड़े आरोपियों, कारोबारियों और दागी अफसरों की मुसीबत बढ़ गई है। उधर सीबीआई के नोटिफिकेशन के बाद पत्रकारों से चर्चा करते हुए डिप्टी सीएम और गृहमंत्री विजय शर्मा ने कहा कि एक से बढ़कर अनेक प्रदेशों का ये मामला है, कुछ मुख्य आरोपी विदेश में भी है, ऐसी जानकारी है. सारे विषयों को देखते हुए सारे प्रकरण CBI को सौंप दिया गया था, अब CBI इस पर गंभीरता से जांच करेगी और कठोरता के साथ इस पर कार्रवाई होगी। उन्होंने कहा कि विदेशों में भी जो लोग है उनको भी भारत लाया जाएगा. इस मामले में अब तक दो दर्जन से ज्यादा आरोपी गिरफ्तार हो चुके है। हालांकि ED के ज्यादातर आरोपी जमानत पर रिहा है, बा मुश्किल आधा दर्जन आरोपी ही इन दिनों जेल की हवा खा रहे है। सीबीआई की दस्तक के बाद माना जा रहा है कि कई राजनेताओं समेत दागी अफसरों को उनका उचित ठिकाना भी जल्द उपलब्ध होगा।