छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपे ने दुर्ग एसपी को आखिर क्यों कहा ‘गुंडा’…? ऐसी कौन सी दबी नस की कराह उठे बघेल..? देखे वीडियो…

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रायपुर: छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपे बघेल का एक वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है। इस वीडियो में बघेल दुर्ग पुलिस अधीक्षक पर खूब बरस रहे है। मंच पर भौंए ताने बघेल यह कहने से भी नहीं चूक रहे है कि दुर्ग में सबसे बड़ा गुंडा एसपी है। इसके साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री के बिगड़े बोल भी सुनाई दे रहे है, जिसमे वे पुलिस अधीक्षक को चेतावनी भरे लब्जो में खरी-खोटी भी सुना रहे है। एक पूर्व मुख्यमंत्री की इस तरह की भाषा शैली सुर्ख़ियों में है, इसके साथ ही चर्चा शुरू हो गई है कि आखिर क्यों पुलिस अधीक्षक जितेंद्र शुक्ला पूर्व मुख्यमंत्री की आँखों की किर-किरी बन गए है। राजनीति के जानकार तस्दीक करते है कि पूर्व मुख्यमंत्री कही पर निगाहे, कही पर निशाना साधने की अद्भुत क्षमता रखते है, इस बार डीपीएस कांड का सहारा लेकर अपना उल्लू साधने में जुटे है। 

छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री का वायरल वीडियो बताते है कि उनके ही ट्वीटर हेंडल से मोबाइल में हिलोरे मार रहा है। इस वीडियो के अब मायने निकाले जा रहे है। बताया जा रहा है कि खुद पर लटकती गिरफ्तारी की तलवार कभी भी इलाके के एसपी के हाथों से ही गुजरने वाली है। लिहाजा बघेल ने डीपीएस मामले में सरकार और पुलिस से पत्राचार करने के बजाय सीधे तौर पर पुलिस अधीक्षक को निशाने पर लिया है। मकसद, साफ़ है कि अभी से पुलिस पर दबाव बनाया जा सके।

राजनीति के जानकारों के मुताबिक महादेव ऐप घोटाले में नामजद FIR दर्ज होने के बाद भूपे की राह कठिन हो गई है। बताते है कि कांग्रेस के भीतर राष्ट्रीय महासचिव की ताजपोशी में यही गिरफ्तारी की लटकती तलवार अब बघेल के लिए बाधा बन गई है। पार्टी आलाकमान पसोपेश में है, कि पूर्व मुख्यमंत्री को महत्वपूर्ण जवाबदारी सौंपते ही कही ‘सिर मुंडाते ही पड़े ओले’ जैसी नौबत का सामना ना करना पड़े ? लिहाजा दिल्ली दरबार मे भी बघेल की ताजपोशी को लेकर गहमा-गहमी जारी बताई जाती है।

बघेल पर राजनैतिक नजर रखने वाले इस वायरल वीडियो को महादेव ऐप, शराब और कोल घोटाले से भी जोड़ कर देख रहे है। उनके मुताबिक भिलाई में साडा जमीन घोटाले में दर्ज EOW की 420 की जांच का खात्मा प्रकरण की फाइल दोबारा खुलने की आशंका से भी इंकार नहीं किया जा रहा है। इस मामले में बघेल मुख्य आरोपी थे, लेकिन मुख्यमंत्री की कुर्सी में बैठने के बाद सबसे पहले उन्होंने अपने खिलाफ दर्ज इस आपराधिक प्रकरण का ही खात्मा करवा दिया था। लेकिन अब राज्य की बीजेपी सरकार इस खात्मे के विधिक कारणों का पता लगाने के साथ ही प्रकरण को पुनर्जीवित करने पर विचार कर रही है। बताते है कि यह मामला बघेल की गले की फ़ांस साबित हो सकता है, जबकि अन्य मामलों में भी अंदर-बाहर होने का खतरा पूर्व मुख्यमंत्री पर मंडराने लगा है।

प्रशासनिक मामलों के जानकारों के मुताबिक घोटालों के सभी मामलों की विवेचना और विधि संगत गिरफ्तारी में दुर्ग एसपी की भूमिका महत्वपूर्ण है। बघेल का यह राजनैतिक स्टंट उन लोगों पर भी भारी पड़ रहा है, जो डीपीएस प्रकरण की FIR दर्ज कर निष्पक्ष जांच की मांग कर रहे है, ऐसे लोग बघेल के राजनैतिक हथकंडे को सिर्फ घड़ियाली आंसू करार दे रहे है। उनके मुताबिक मामला संज्ञान में होने के बावजूद महीनों तक बघेल चुप्पी साधे रहे, सुविधा की राजनीति का अवसर मिलते ही वे जांच की मांग के बजाय एसपी की घेराबंदी में व्यस्त नजर आये।

नई रणनीति के तहत पुलिस पर दबाव बनाने की जुगत में बघेल ने डीपीएस यौन शोषण, मामले में पुलिस जांच के पहलुओं पर जोर देने के बजाय सिर्फ पुलिस अधीक्षक पर निशाना साध कर इतिश्री कर ली है। बघेल का यह हथकंडा राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक बलौदाबाजार अग्निकांड मामले में भी बघेल से पूछताछ हो सकती है। उनके खिलाफ पुलिस को कई तथ्य प्राप्त हुए है, जो राजनीतिक हित के चलते सतनामी समुदाय को आक्रोशित किये जाने से जुड़े बताये जाते है।

बताया जाता है कि इस मामले में गिरफ्तार आरोपी विधायक देवेंद्र यादव से हुई पूछताछ काफी महत्वपूर्ण है। अग्निकांड में पूर्व मुख्यमंत्री की भूमिका भी विवेचना के दायरे में बताई जा रही है। वैसे 2013 बैच के आईपीएस जितेंद्र शुक्ला कांग्रेस शासन काल में कई महत्वपूर्ण जिलों की जिम्मेदारियां संभाल चुके है, लगभग आधा दर्जन जिलों में तैनाती के बाद पिछले लगभग 6 माह से बतौर SP दुर्ग में तैनात है। उनका नाता उस समय विवादों से जुड़ गया, जब भिलाई डीपीएस कांड में मामला संज्ञान में होने के बावजूद बगैर FIR दर्ज कर प्रकरण की विवेचना और उसे रफा-दफा करने के आरोप उन पर लगने लगे थे।

इस मामले में एसपी की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने के बाद इलाके में धरना और विरोध प्रदर्शन का दौर जारी है। राजनैतिक और प्रशासनिक गलियारों में इस मामले को लेकर सरकार की मंशा पर बाल अपराधों की रोकथाम को लेकर भी सवाल खड़े किये जा रहे है। दुर्ग डीपीएस मामले में बगैर पास्को एक्ट में अपराध और FIR दर्ज कर आरोपियों को क्लीन चिट देने का मामला विवादों में घिर गया है। फ़िलहाल डीपीएस विवाद में पूर्व मुख्यमंत्री के चेतावनी भरे लब्जों का वायरल वीडियो राज्य की प्रशासनिक व्यवस्था और बीजेपी सरकार पर कितना असर डालेगा, यह तो वक़्त ही बताएगा।