रायपुर: देश में सबसे ज्यादा डॉग बाइट का नया ख़िताब छत्तीसगढ़ को मिला है। दरअसल यहाँ पिछले एक साल में 1 लाख 19 हजार 928 लोगों को कुत्तों ने काट खाया है। इनमें से 3 लोगों की जान जाने की सूचना पुलिस रिकॉर्ड में दर्ज है। हालांकि कई लोगों ने जानकारी ना होने के चलते कुत्ते के काटने से होने वाली मौत का कारण सरकारी रजिस्टर में दर्ज नहीं कराया है। प्रदेश में डॉग बाइट का बढ़ता ग्राफ आम जनजीवन के लिए खतरनाक बताया जाता है। बताते है कि छत्तीसगढ़ में डॉग बाइट की घटनाओं ने देश में अव्वल स्थान अर्जित कर मानव अधिकार आयोग की भी नींद उड़ा दी है।
राजधानी रायपुर में प्रदेश में सर्वाधिक डॉग बाइट की घटनाएं हुई है। यहाँ 15 हजार 953 लोगों को आवारा कुत्तों ने काट खाया है। बताते है कि तमाम नगर पालिका और निगम इन कुत्तों के आगे नतमस्तक है। नगरीय निकायों में आवारा कुत्तों के नियंत्रण को लेकर कोई ठोस प्रयास होते ना देख पीड़ित कभी कोर्ट – कचहरी का तो कभी मानव अधिकार आयोग का दरवाजा खटखटा रहे है।
मानव आयोग के मुताबिक, प्रदेश में सबसे अधिक डॉग बाइट की घटनाएं रायपुर में हुई है। यहाँ 15 हजार 953 लोगों को कुत्ते ने अपना शिकार बनाया है। जबकि अन्य जिलों में दर्ज हुए मामलों में डॉग बाइट से होने वाली मौतों में कोरबा में 1, बलौदाबाजार में 1 और राजनांदगांव में 1 व्यक्ति का नाम दर्ज किया गया है।
बताया जाता है कि प्रदेश में आवारा कुत्ते मासूम बच्चों से लेकर बड़े बुजुर्गों पर कई बार हमला कर चुके है। इलाके सुनसान हो या फिर आबादी से हरे – भरे, कुत्तों का गैंग गाहे -बगाहे इंसानों पर टूट पड़ता है। रायपुर में तो घर से निकलते के साथ ही एक बड़ी आबादी को आवारा कुत्तों से सतर्क रहना होता है।
छत्तीसगढ़ मानवाधिकार आयोग के कार्यवाहक अध्यक्ष और पूर्व डीजी गिरधारी नायक के मुताबिक, पूरे देश में कुत्तों के काटने से इस वर्ष 286 मौतें हुई हैं। उन्होंने कहा कि, इतनी बड़ी संख्या में कुत्तों के काटने की घटना मानव जीवन के लिए संकट और भयावह स्थिति को बताता है। यह एक महामारी के रूप में है। उनके मुताबिक यह बेहद घातक है। कई जगह तड़के सुबह या देर रात में लोग घर से बाहर नहीं निकल पा रहे। कुत्तों के काटने से मानव अधिकार भी प्रभावित हो रहे हैं। गिरधारी नायक ने कहा कि, लोगों को जागरूक करना भी जरूरी है।
इसके रोकथाम के लिए नगर निगम को एक्शन लेने की जरूरत है। आयोग ने प्रदेश के सभी नगर निगमों से जानकारी मांगी है कि कितने आवारा कुत्तों को पकड़ा, कितनों की नसबंदी की, कितने कुत्तों को एंटी रेबीज टीका लगवाया और आवारा कुत्तों के व्यवस्थापन के लिए क्या काम किए गए हैं? सभी जिलों के नगरीय निकाय को आवारा कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण की 15 दिनों में जानकारी मांगी गई है। फ़िलहाल मानवाधिकार आयोग की नजर में किरकिरी बने कुत्ते कितने दिनों तक सुरक्षित शिकार कर पाएंगे, यह देखना गौरतलब होगा।