देश में हर साल लाखों लोग की मौत सड़क हादसे के बाद समय से ट्रीटमेंट नहीं मिलने के कारण हो जाती हैं. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए सरकार को आदेश दिया था कि दुर्घटनाग्रस्त लोगों की मदद के लिए कदम उठाए जाएं. अब सरकार ने इस पर पॉलिसी बनाई है. इस बारे में लोकसभा में भी जानकारी दी गई. संसद में दी गई जानकारी में सरकार की तरफ से बताया गया कि वाहनों से होने वाले सड़क हादसों के पीड़ितों को ‘कैशलेस’ ट्रीटमेंट देने के लिए प्लान तैयार किया गया है. पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर चंडीगढ़ और असम में इसका ट्रायल शुरू कर दिया गया है.
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने लोकसभा में एक सवाल के लिखित उत्तर में इससे जुड़ी जानकारी दी. गडकरी ने बताया कि योजना के तहत पीड़ितों को आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री-जन आरोग्य योजना के तहत लिस्टेड अस्पतालों में दुर्घटना की तारीख से अधिकतम सात दिन के लिए 1.5 लाख रुपये तक के ट्रॉमा और पॉलीट्रॉमा केयर से जुड़े स्वास्थ्य लाभ पैकेज दिए जाते हैं. गडकरी ने बताया कि योजना को पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर चंडीगढ़ और असम में शुरू कर दिया गया है.
उन्होंने बताया कि मंत्रालय ने ऐसी योजना तैयार की है, जिसे मोटर व्हीकल एक्ट-1988 के सेक्शन 164 बी के तहत गठित मोटर व्हीकल दुर्घटना कोष के तत्वावधान में प्रशासित किया जा रहा है. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मंत्रालय ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (NHA) के सहयोग से किसी भी कैटेगरी की सड़क पर मोटर व्हीकल के उपयोग से होने वाले सड़क हादसों के पीड़ितों को कैशलेस ट्रीटमेंट देने के लिए योजना तैयार की है.
उन्होंने बताया कि आमदनी के स्रोत और उसके उपयोग को केंद्रीय मोटर वाहन नियम, 2022 के तहत प्रदान किया गया है. स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत एनएचए, स्थानीय पुलिस, लिस्टेड अस्पतालों, राज्य स्वास्थ्य एजेंसी, राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र और सामान्य बीमा परिषद के समन्वय में कार्यक्रम के कार्यान्वयन के लिए जिम्मेदार है.