रायपुर: पूर्व मुख्यमंत्री भूपे बघेल के बयानों के बाद स्टील उद्योग और ‘सेठ जी’ चर्चा में है। छत्तीसगढ़ में स्टील उद्योगपति को सालाना लगभग 300 करोड़ की सब्सिडी पिछले 5 सालों से मिल रही है। इस मोटी रकम का वित्तीय भार आम जनता पर पड़ रहा है। स्टील उद्योग को यह सब्सिडी पूर्व मुख्यमंत्री भूपे बघेल ने जारी की थी। कांग्रेस शासनकाल में लगातार बीते 5 वर्षों तक स्टील उद्योग को सरकारी तिजोरी से अब तक 1500 करोड़ से ज्यादा की वित्तीय सहायता प्राप्त हो चुकी है। जबकि राज्य की जनता को इसका कोई फायदा नहीं मिला। बताया जाता है कि उद्योगपति साल दर साल आमिर होते चले गए। जबकि ग्राहकों को ऊंचे दाम पर लोहा – सरिया खरीदना पड़ता है। उन्हें बाजार भाव के अनुसार ही लोहे का दाम चुकाना होता है। इसके साथ प्रदूषण की मार भी आम जनता को ही सहनी पड़ती है। बावजूद इसके स्टील उद्योग को मुफ्त के भाव मिल रही बिजली कई नेताओं और राजनैतिक दलों के लिए फायदा का सौंदा साबित हो रही है।
छत्तीसगढ़ में इन दिनों लोहा – स्टील उद्योग उत्पादन से जुड़े उद्योगपतियों ने अपने कारखाने में ताला लगा दिया है। उनका आरोप कि महँगी बिजली मुहैया होने से उद्योग – धंधा चलाना मुश्किल हो गया है। बताया जाता है कि हाल ही में राज्य सरकार ने बिजली के दाम में बढ़ोत्तरी का ऐलान किया था। बिजली दरों में वृद्धि लागू हुए महज 2 महीना भी पूरा नहीं हो पाया है कि, स्टील उद्योग में तालाबंदी का दौर शुरू हो गया है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपे बघेल की अगुवाई में स्टील उद्योगपतियों की हड़ताल ने प्रदेश में अब राजनैतिक रंग ले लिया है। बताते है कि एसोसिएशन के जरिये कांग्रेसी नेताओं और उनकी पार्टी को सब्सिडी के एवज में मोटा नजराना प्राप्त होता था। सूत्रों के मुताबिक एसोसिएशन के माध्यम से 300 करोड़ की सब्सिडी का आधा हिस्सा मतलब 150 करोड़ रुपये सालाना नेता जी और उनकी पार्टी के हिस्से में चला जाता था। स्टील कारोबार से जुड़े कुछ उद्योगपति इसकी तस्दीक भी करते है।
उनके मुताबिक नेताओं ने उन्हें कोई सब्सिडी मुफ्त में नहीं दी, उसका आधा हिस्सा पूरी तरह से वसूला था। फ़िलहाल पूर्व मुख्यमंत्री बघेल ने विष्णुदेव साय सरकार पर उद्योगपतियों को महँगी बिजली उपलब्ध कराने का आरोप मढ़ कर बीजेपी सरकार को आड़े हाथों लिया है। छत्तीसगढ़ में बीजेपी सरकार ने उत्पादन लागत को ध्यान में रखते हुए बिजली की दरों में महज 25 पैसे प्रति यूनिट की मामूली वृद्धि की है। बताते है कि अभी तक स्टील उद्योग को लगभग 6 रुपये 10 पैसे प्रति यूनिट की दर से बिजली बिलों का भुगतान करना पड़ता था। लेकिन अब इसमें मात्र 25 पैसे का इजाफा हो गया है। यही नहीं औद्योगिक प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए भी सरकार सक्रीय हो गई है। राज्य में अब आम जनता के साथ – साथ उद्योगपतिओं को भी बढ़े हुए बिजली बिलों का भुगतान करना पड़ रहा है।
इस बीच स्टील कारोबार से जुड़े उद्योगपतियों ने अचानक अपने कारखानों में तालाबंदी का ऐलान कर बीजेपी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपे बघेल की अगुवाई में स्टील कारोबारियों ने राज्य की बीजेपी सरकार पर तीखा हमला बोला है। इधर पूर्व मुख्यमंत्री भूपे बघेल ने छत्तीसगढ़ में लोहा उद्योग में तालाबंदी के फैसले को दुर्भाग्यजनक बताते हुए बीजेपी सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं। बघेल ने आलोचना करते हुए कहा कि बिजली महंगी करना विष्णुदेव सरकार का मूर्खतापूर्ण निर्णय है। उन्होंने कहा कि यदि मुख्यमंत्री कह रहे हैं कि उद्योगपतियों को ग़लतफ़हमी हो गई है तो वे बिजली का बिल देख लें वे समझ जाएंगे कि दरअसल ग़लतफ़हमी सरकार को हुई है. छत्तीसगढ़ मिनी स्टील प्लांट एसोसिएशन और छत्तीसगढ़ स्पंज आयरन मैन्यूफैक्चरिंग एसोसिएशन के प्रतिनिधि मंडलों से मिलने के बाद बघेल ने साय सरकार पर झूठ बोलने का भी आरोप लगाया है।
बघेल ने कहा कि सरकार झूठ बोल रही है कि बिजली की दरों में सिर्फ 25 पैसे की बढ़ोतरी हुई है. उन्होंने कहा कि ‘लोड फैक्टर इंसेन्टिव’ सहित कुछ और छूट बंद करने से उद्योगों को प्रति यूनिट 6.10 रुपए प्रति यूनिट की बिजली 7.62 पैसे प्रति यूनिट की पड़ रही है। उनके मुताबिक राज्य निर्माण के बाद से पहली बार उद्योगपति तालाबंदी जैसा बड़ा निर्णय लेने को बाध्य हुए हैं, तो इसकी वजह तो होगी ही, ग़लतफ़हमी में इतना बड़ा निर्णय नहीं लिया जाता। उधर विष्णुदेव साय सरकार को मुर्ख कहना पूर्व मुख्यमंत्री के लिए बिन बुलाई आफत करार दिया जा रहा है। बताते है कि स्टील कारोबारियों के लाभ में हिस्सेदार बने बघेल के खिलाफ सरकारी तिजोरी में चोट मारने को लेकर क़ानूनी कार्यवाही भी हो सकती है।
सूत्र तस्दीक कर रहे है कि स्टील उद्योग को बढ़ावा देने के नाम पर पूर्व मुख्यमंत्री ने बड़ा भ्रष्टाचार किया है। इस रकम से ही कांग्रेस की राजनैतिक गतिविधियां संचालित की जाती थी। रायपुर से लेकर दिल्ली तक कई नेताओं को स्टील एसोसिएशन द्वारा उपकृत किये जाने की जानकारी भी सामने आई है। स्टील उद्योग को मजबूती देने की शुरुआत पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के कार्यकाल में हुई थी। बताया जाता है कि तत्कालीन बीजेपी सरकार ने स्टील उद्योग को विकसित करने के लिए वर्ष 2016 में ‘विशेष पैकेज’ का ऐलान किया था। इस पैकेज के जरिये स्टील उद्योग ने अच्छी खासी प्रगति दर्ज की थी। लेकिन वर्ष 2018 में बीजेपी सरकार की रवानगी के बाद स्टील उद्योग को अचानक 300 करोड़ के फायदे का पैकेज साल दर साल दिया जाने लगा।
भूपे के मुख्यमंत्री की कुर्सी में बैठने के बाद स्टील उद्योग, नेताओं और उनकी पार्टी की कमाई का जरिया बन गया था। पूर्व मुख्यमंत्री भूपे बघेल का साय सरकार को मूर्ख कहने के कई मायने निकाले जा रहे है। जानकारों के मुताबिक बघेल राज्य की बीजेपी सरकार को संदेशा दे रहे है कि मेरी तरह स्टील उद्योगपतियों से रकम लो, बिजली महँगी करना सरकार का मूर्खतापूर्ण निर्णय है। राजनैतिक गलियारों में बघेल का यह बयान चर्चा में है। अब देखना गौरतलब होगा कि आम उपभोक्ताओं की तर्ज पर स्टील कारोबारी भी बिजली के बिलों का भुगतान करेंगे या फिर सरकार, पूर्व मुख्यमंत्री बघेल के इरादों पर खरा उतरेगी।