Chandipura Virus: देश में चांदीपुरा वायरस बच्चों पर कहर बनकर टूट रहा है। इसका सबसे ज्यादा असर गुजरात में दखने को मिल रहा है। इस वायरस से गुजरात में अबतक 14 बच्चों की मौत हो चुकी है। आज गोधरा में 1, गांधीनगर में 2 और मेहसाणा में 1 बच्चे की मौत हुई है। इससे पहले 16 जुलाई तक चांदीपुरा वायरस से 8 मरीजों की मौत हो गई थी। साथ ही अब तक कुल 29 संदिग्ध मामले सामने आ चुके हैं।
चांदीपुरा वायरस की खबर आने के बाद से पूरे देश में हड़कंप मचा हुआ है। देश की हेल्थ एजेंसियां अलर्ट हो गई हैं। वहीं, राजस्थान में दो मामले हैं और 1 बच्चे की मौत हो गई है। मध्य प्रदेश के बच्चे की हालत स्थिर है। इस तरह 17 जुलाई की दोपहर 12 बजे से शाम 6 बजे तक राज्य में 4 बच्चों की मौत हुई। साथ ही यह वायरस अपना दायरा बढ़ा रहा है। एक महीने पहले तक सिर्फ गुजरात में इसके केस सामने आए थे। इसके चार राज्यों में फैलने की पुष्टि हो चुकी है।
गोधरा की एक 4 साल की बच्ची ने वडोदरा एसएसजी अस्पताल में आखिरी सांस ली। सूत्रों के मुताबिक, वडोदरा के सर सयाजी राव जनरल (एसएसजी) अस्पताल के बाल चिकित्सा विभाग में पिछले 15 दिनों में कई मामले सामने आए हैं, जिनमें से अब तक 7 नमूने पुणे लैब में भेजे गए हैं. ये सब संदिग्ध हैं। फिलहाल चार मरीजों का इलाज चल रहा है, जिनमें से दो को वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया है, जबकि 2 बच्चों का आईसीयू में इलाज चल रहा है। इन मामलों में डायरिया, उल्टी, ऐंठन और बुखार, बेहोशी के मरीजों के सैंपल भेजे गए हैं।
इन मामलों में चांदीपुरा वायरस मौजूद है या नहीं, यह सैंपल रिपोर्ट के बाद पता चलेगा। इस इलाज के दौरान दो मरीजों की मौत हो चुकी है, लेकिन यह नहीं कहा जा सकता कि ये मौतें चांदीपुरा वायरस के कारण हुईं और जो सैंपल भेजे गए थे उनकी रिपोर्ट नहीं आई है। रिपोर्ट के आने के बाद पक्का पता चल जाएगा कि इस वायरस से मौतें हुई हैं या नहीं। चांदीपुरा वायरस होने से रोगी को बुखार की शिकायत होती है। इसमें फ्लू जैसे ही लक्षण होते हैं और तेज एन्सेफलाइटिस होती है। एन्सेफलाइटिस एक ऐसी बीमारी है, जिससे दिमाग में सूजन की शिकायत होती है।
चांदीपुरा वायरस एक RNA वायरस है, जो सबसे ज्यादा मादा फ्लेबोटोमाइन मक्खी से फैलता है। इसके फैलने के पीछे मच्छर में पाए जाने वाले एडीज जिम्मेदार हैं। साल 1966 में पहली बार महाराष्ट्र में इससे जुड़ा केस मिला था। नागपुर के चांदीपुर में इस वायरस की पहचान हुई थी, इसलिए इसका नाम चांदीपुरा वायरस पड़ गया। इसके बाद इस वायरस को साल 2004 से 2006 और 2019 में आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात में रिपोर्ट किया गया।
चांदीपुरा वायरस से 15 साल से कम उम्र के बच्चे सबसे ज्यादा शिकार होते हैं। इस उम्र के बच्चों में ही सबसे ज्यादा मृत्यु दर देखी गई है। चांदीपुरा के इलाज के लिए अभी तक कोई भी एंटी वायरल दवा नहीं बनाई जा सकी है।