नौकरशाही का नया नमूना, ऑडी कार पर लाल-नीली बत्ती, ‘मुझे अलग केबिन दो, कार और फ्लैट भी दो, ‘नखरेबाज ट्रेनी IAS सुर्ख़ियों में, पूजा की पूजा सरकारी तिजोरी से…..

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सुनील नामदेव

नई दिल्ली। देश की महापंचायत संसद में गहमा – गहमी ख़त्म होते ही MHA में महाराष्ट्र की एक ट्रेनी आईएएस अधिकारी की कार्यप्रणाली को लेकर सवाल जवाब का दौर शुरू हो गया है। कई अफसरों की जुबान पर आजकल आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर काफी चर्चा में है। ये ट्रेनी अधिकारी इन दिनों पुणे में तैनात हैं। हालांकि, बवाल मचने के बाद रातों – रात राज्य सरकार ने अब पूजा (Trainee IAS Pooja Khedkar) को महाराष्ट्र के वाशिम में स्थानांतरित कर दिया है। पूजा की कार्यप्रणाली को लेकर छिड़े विवाद के बाद हरकत में आई प्रशासनिक मशीनरी ने उनके ट्रांसफर को लेकर फरमान जारी करने में कतई देर नहीं की।

बताते है कि पूजा खेडकर का चंद महीनों का कार्यकाल वरिष्ठ अधिकारियों के लिए मुसीबत का सबब बन गया है। इसलिए विवादों से बचने के लिए मुख्यमंत्री ने फ़ौरन ट्रांसफर के निर्देश दिए है। इसमें भारतीय सिविल सेवा संवर्ग के अधिकारी के रूप में सरकारी अधिकारों के कथित दुरुपयोग को लेकर उन पर आरोप भी लग रहे है। ताजा विवाद के बाद सरकार ने फौरी कदम उठाया है। सरकारी आदेश के अनुसार, पूजा खेडकर अब 30 जुलाई 2025 तक अपना शेष कार्यकाल वाशिम में पूरा करेंगी। न्यूज़ टुडे नेटवर्क को मिली जानकारी के मुताबिक पूजा खेडकर महाराष्ट्र कैडर की 2022 बैच की आईएएस अधिकारी हैं।

उन्होंने यूपीएससी परीक्षा में ऑल इंडिया रैंक (AIR) 841 हासिल की थी। आईएएस पूजा खेडकर उस समय चर्चा में आई जब उन्होंने लाल-नीली बत्ती और वीआईपी नंबर प्लेट वाली अपनी निजी ऑडी कार का इस्तेमाल किया था। इससे भी ज्यादा विवाद तब हुआ जब उन्होंने प्रशासन से ऐसी सुविधाओं की मांग की जो आईएएस में आमतौर पर प्रोबेशनरी अधिकारियों को नहीं मिलतीं है। ट्रेनी आईएएस की कार्यप्रणाली को लेकर पुणे कलेक्टर सुहास दिवसे ने हाल ही में एक जांच रिपोर्ट भी सामान्य प्रशासन विभाग को सौंपी थी।

सूत्रों के मुताबिक इस रिपोर्ट के अनुसार, ट्रेनी के रूप में ड्यूटी जॉइन करने से पहले ही पूजा ने अलग केबिन, कार, आवासीय क्वार्टर और एक चपरासी मुहैया कराने की मांग की थी। हालांकि, बतौर कलेक्टर उन्हें ये सुविधाएं देने से शासन ने मना कर दिया था। बताते है कि खेडकर के पिता भी सेवानिवृत्त प्रशासनिक अधिकारी हैं। उन्होंने ही कथित तौर पर जिला कलेक्टर कार्यालय पर दबाव डालकर अपनी ट्रेनी आईएएस बेटी की इस मांग को पूरी करने के लिए काफी दबाव बनाया था। सूत्रों के मुताबिक आईएएस पूजा पर चयन के दौरान ही कई गंभीर आरोप लगे थे। इसकी जांच भी लंबित बताई जाती है।

जानकारी के मुताबिक खेडकर ने सिविल सेवा परीक्षा पास करने के लिए भी कथित तौर पर फर्जी विकलांगता और ओबीसी प्रमाण पत्र पेश किया था। इसी के साथ उसने मानसिक बीमारी का प्रमाण पत्र भी दिया था।अप्रैल 2022 में पूजा खेडकर को अपने विकलांगता प्रमाण पत्र के सत्यापन के लिए दिल्ली के एम्स में रिपोर्ट करने के लिए कहा गया था, लेकिन उसने कोरोना होने का दावा करते हुए ऐसा नहीं किया। फ़िलहाल ट्रेनी आईएएस के जलवे बिखेरने की कोशिशों के बीच नौकरशाही की मनमानी भी प्रशासनिक हलकों में चर्चा का विषय बनी हुई है। पूजा की तर्ज पर महाराष्ट्र कैडर के ही कई वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों की तीमारदारी के चर्चे गृह मंत्रालय में सुर्ख़ियों में है। प्रशासन के जानकार इसे ‘पूत के पांव पालने में’ बता रहे है।