छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार कांड को अंजाम देने के पीछे कांग्रेस समर्थित नौकरशाही ? वन विभाग के इस DFO की भूमिका संदिग्ध, घटना के बाद इसी ने लगवाया था नया जैतखंभ, कांग्रेस नेता सुरजेवाला तक जुड़े तार….

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रायपुर / दिल्ली: छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार जिले में अब शांति स्थापित हो गई है। जन जीवन पूरी तरह से सामान्य हो चूका है। इस बीच हैरान करने वाली एक सचित्र खबर सामने आई है। यह तस्वीरें उस समय की है, जब घटना स्थल अमरनाथ गुफा परिसर में नया जैतखंभ लगाया जा रहा था। दरअसल पुराने जैतखंभ को असामाजिक तत्वों ने क्षति पहुंचाई थी। इसके बाद DFO के निर्देश पर रातों – रात नया जैतखंभ स्थापित किया गया। लेकिन शासन – प्रशासन को इसकी भनक तक नहीं लगने दी गई। बताते है कि DFO के संज्ञान में असामाजिक तत्वों ने जैतखंभ को निशाना बनाया था। न्यूज़ टुडे छत्तीसगढ़ को मिली एक विश्वसनीय जानकारी में उस दिन – रात की तस्वीरें भी मिली है, जब पुराने की जगह नया जैतखंभ स्थापित किया जा रहा था। घटना स्थल रिजर्व फॉरेस्ट में स्थित है, जबकि DFO की कार्यप्रणाली संदिग्ध बताई जा रही है। हालांकि जांच के बाद ही हकीकत सामने आने के आसार है।      

छत्तीसगढ़ के इतिहास में पहली बार एक ऐसी घटना दर्ज हुई है, जिसके चलते शासन – प्रशासन दोनों हैरान है। दरअसल बमुश्किल पखवाड़े भर पहले बलौदाबाजार जिला मुख्यालय में कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक के दफ्तर के अलावा आक्रोशित जन समुदाय ने जिला पंचायत और कुटुंब न्यायलय दफ्तर को आग के हवाले कर दिया था। घटना में किसी की जान तो नहीं गई, लेकिन माल का बड़ा नुकसान हुआ। कलेक्टर दफ्तर के आसपास खड़े सैकड़ों वाहन फूंक दिए गए। सरकारी दफ्तरों के भीतर फैली आग से कई महत्वपूर्ण दस्तावेजों के नष्ट होने का अंदेशा जाहिर किया जा रहा है।

सूत्र बताते है कि मामला इतना गंभीर नहीं था कि परिस्थितियों को संभाला नहीं जा सकता था। लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों ने गंभीर लापरवाही बरती। दोराय नहीं कि नौकरशाही में प्रभावशील अधिकारियों का एक तबका कांग्रेस समर्थित विचारधारा का है। बीजेपी के बीते 15 सालों के कार्यकाल में कई अफसरों को मुँह की खानी पड़ी थी। उनके भाग्य उस समय खुले बताये जाते है, जब वर्ष 2018 में कांग्रेस की सरकार ने सत्ता हासिल कर ली थी। पूर्व मुख्यमंत्री भूपे बघेल के विश्वासपात्र अफसरों ने मौका मिलते ही बीजेपी को ऐसी पटखनी दी है कि प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति को लेकर नौकरशाही के दूसरे धड़ो को जमकर पापड़ बेलने पड़ रहे है।

वही दूसरी ओर कांग्रेस ने भी बलौदाबाजार कांड को लेकर विष्णुदेव साय सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उसे एक बड़ा मुद्दा हाथ लग गया है। हालांकि घटना की ज्यूडिशियल जांच शुरू कर दी गई है। इस बीच एक बड़ी जानकारी न्यूज़ टुडे छत्तीसगढ़ के हाथ लगी है। जानकारी के मुताबिक बलौदाबाजार के जिस इलाके अमरनाथ गुफा में आपत्तिजनक घटना को अंजाम देकर सामाजिक ताना – बाना बिगाड़ने का कुचक्र रचा गया था, वह इलाका रिजर्व फॉरेस्ट के अंतर्गत आता है। बताया जाता है कि सतनामी समुदाय के जिस धार्मिक स्थल में घटना को अंजाम दिया गया है, वह रिजर्व फॉरेस्ट RF/382 महकोनी बीट, लवण रेंज के अंतर्गत आता है।

सूत्रों के मुताबिक असामाजिक तत्वों के मंसूबों से वाकिफ होते हुए, घटना के एक दिन पहले तनाव के हालात से फॉरेस्ट गार्ड ने बलौदाबाजार DFO को अवगत कराया था। इस फॉरेस्ट गार्ड का नाम तृप्ति जायसवाल बताया जाता है। यह भी बताया जा रहा है कि वन विभाग के अफसरों के साथ उन असामाजिक तत्वों का करीब का नाता था, जिन्होंने ‘जैतखंभ’ को अपना निशाना बनाया था। सतनामी समाज के कुछ लोगों के साथ आरोपियों का कई महीनों से वाद – विवाद जारी था। मामला वन विभाग में होने वाली सरकारी सप्लाई से भी जुड़ा बताया जाता है। जंगल की जमीन को कब्जे में लेने की शिकायतों को लेकर भी दोनों पक्षों के बीच कई बार टू टू मैं मैं होने की खबर है। 

सूत्रों के मुताबिक जैतखंभ में संभावित तोड़फोड़ की घटना से DFO, रेंजर, फॉरेस्ट गार्ड समेत कई लोग वाकिफ थे। असामाजिक तत्वों द्वारा घटना को अंजाम देने के बाद आरोपियों ने इलाके के रेंजर से भी संपर्क किया था। यही नहीं घटना के तत्काल बाद DFO ने सूचनादाता फॉरेस्ट गार्ड तृप्ति जायसवाल का अन्यत्र रेंज में ट्रांसफर कर दिया था। लेकिन अचानक तनाव फ़ैलने और मामले के सांप्रदायिक रंग लेते ही मात्र 3 दिनों के भीतर फॉरेस्ट गार्ड तृप्ति जायसवाल को पुनः नई जबावदारी के साथ महकोनी रेंज में पदस्थ किया गया। इसे सौंपी गई नई जबावदारी सुनकर आप हैरान हो जायेंगे।

इस फॉरेस्ट गार्ड को अमरनाथ गुफा में नया जैतखंभ स्थापित करने की जबावदारी DFO द्वारा सौंपी गई थी। जानकारी के मुताबिक घटना से पूर्व DFO बलौदाबाजार वन विभाग के मुखिया ‘श्रीनिवास राव’ के संपर्क में भी बताये जाते है। श्रीनिवास राव को पूर्व वन मंत्री मोहम्मद अकबर का करीबी माना जाता है। यही नहीं पूर्व मुख्यमंत्री भूपे बघेल के विश्वासपात्र अफसरों में श्रीनिवास राव की गिनती होती है। उन्हें वन विभाग का प्रमुख बनाए जाने के लिए पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में आधा दर्जन से ज्यादा योग्य आईएफएस अधिकारियों की वरिष्ठता को नजरअंदाज किया गया था। इस घटना के बाद वन विभाग के मुखिया की कार्यप्रणाली भी संदिग्ध बताई जाती है। 

सूत्रों के मुताबिक घटना स्थल पर DFO के निर्देश पर नया जैतखंभ रातों – रात लगाया गया था। जबकि वन विभाग द्वारा पुराने जैतखंभ को विवेचना के लिए जब्त नहीं किया गया। बताया जाता है कि पुराना जैतखंभ साल की लकड़ी का था, जो संरक्षित प्रजाति में आता है। यही नहीं किस नियम के तहत वन विभाग ने नया जैतखंभ स्थापित किया था, यह भी सवालों में है। यही नहीं वन विभाग द्वारा जो साल की लकड़ी जैतखंभ के लिए काट कर लाई गई थी, वो जंगल के किस हिस्से से लाई गई ? यही नहीं राष्ट्रीयकृत प्रजाति साल की लकड़ी की कटाई के निर्देश किसने दिए ? किस वाहन और टीपी नंबर जारी कर इसका परिवहन किया गया था ? गौरतलब है कि किसी भी राष्ट्रीयकृत प्रजाति के पेड़ों की कटाई के लिए विधिवत टीपी जारी की जाती है। यह मामला वन विभाग द्वारा ही वनों की अवैध कटाई से जुड़ा बताया जाता है।

जानकारी के मुताबिक बलौदाबाजार DFO कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रणदीप सुरजेवाला के करीबी बताये जाते है। सरकारी दफ्तरों में तोड़फ़ोड़ और आगजनी की घटना सुनियोजित साजिश की ओर इशारा कर रही है। राज्य सरकार ने प्रभावित जिले के SP और कलेक्टर पर प्राथमिक जबावदारी तय करते हुए उन्हें निलंबित कर दिया है। लेकिन DFO की कार्यप्रणाली को लेकर भी सवालिया निशान लग रहे है। यह भी जांच का विषय है कि रिजर्व फॉरेस्ट इलाके में चल रही अवैधानिक गतिविधियों में वन विभाग का अमला आखिर किस स्तर तक शामिल है ? यह भी बताया जा रहा है कि पूर्ववर्ती कांग्रेस शासन काल में DFO मयंक अग्रवाल को सरकारी कार्यों में लापरवाही और भ्रष्टाचार बरतने के लिए खास लाइसेंस प्राप्त था। उन्हें भूपे से सीधे निर्देश प्राप्त होते थे। बदले में भूपे को रणदीप सुरजेवाला का संरक्षण प्राप्त होता था।

जानकारी के मुताबिक वर्ष 2023 में भ्रष्टाचार के गंभीर मामलों में घिरने के बाद तत्कालीन CCF JR नायक रायपुर द्वारा आरोप पत्र भी जारी किया गया था। लेकिन वन विभाग के मुखिया ने राजनैतिक गठजोड़ के चलते मामले को ठंडे बास्ते में डाल दिया था। सूत्र दावा कर रहे है कि बलौदाबाजार घटना की नीव बे – लगाम नौकरशाही ने रखी थी। उसकी मंशा बीजेपी की विष्णुदेव साय सरकार के सामने नई चुनौतियां पेश करने की बताई जाती है।

न्यूज़ टुडे छत्तीसगढ़ ने घटना के कारणों को जानने के लिए DFO और PCCF से भी संपर्क किया। लेकिन कोई प्रतिउत्तर नहीं प्राप्त हुआ। फ़िलहाल बलौदाबाजार कांड की विवेचना जारी है। इसके पीछे भूपे समर्थकों का हाथ बताया जा रहा है। हालांकि विस्तृत जांच के बाद ही दूध का दूध और पानी का पानी साफ हो पायेगा।