रायपुर के माना में पानी को लेकर हाहाकार, मारपीट और हिंसा के हालात, तालाब गहरीकरण धांधली के विवाद से गहराया जल – संकट, सड़कों पर जनता…. 

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रायपुर: राजधानी रायपुर से सटे माना इलाके में पानी को लेकर ख़राब हालात बन गए है। हज़ारों लोग 24 घंटे पानी के लिए ‘त्राहिमाम – त्राहिमाम’ कर रहे है। गंभीर जल – संकट को लेकर इलाके के लोगो ने CMO को ज्ञापन सौंपा है, समय पर उचित कार्यवाही नहीं होने पर उग्र आंदोलन की चेतावनी भी दी गई है। यहाँ रात भर स्थानीय लोग पानी के इंतजाम में जाग रहे है। इलाके में सरकारी पाइप लाइन भी है, लेकिन उसमे कई लोग टुल्लू पम्प लगा कर पानी की चोरी भी कर रहे है, इसके चलते पीने का पानी तक लोगो को मुहैया नहीं हो पा रहा है।

कई लोगो ने पेयजल और निस्तार के लिए भी पानी की समस्या को देखते हुए अपने नाते – रिश्तेदारों के घरों का तक रुख कर लिया है। यहाँ तालाब गहरीकरण विवाद के चलते भी पेयजल उपलब्ध कराने में अधिकारियों को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। बताते है कि ठेकेदार ने नियमों के विपरीत गहरीकरण कर तालाब की मिट्टी और मुरुम बेच डाली है। यही नहीं घटिया कार्यों से सरकारी रकम का बड़ा हिस्सा भ्रष्टाचार की भेट चढ़ गया है। 

माना कैंप निवासी पूजा विश्वास, अदौरी विश्वास, आशा माली, नमिता मंडल, पारुल दास, सविता गाइन, कामना सिकदर मीणा मंडल, बबिता दास, कनिका मंडल ने न्यूज़ टुडे छत्तीसगढ़ संवाददाता को मौके पर ले जाकर हालात से रूबरू करवाया है। यहाँ पानी की समस्या ने अचानक लोगों को तनाव में डाल दिया है। सार्वजनिक नलों पर भारी भीड़ जुट रही है, कई इलाकों में मारपीट हो चुकी है, 18 ब्लॉक में तो लाठी – डंडों से प्रहार हो रहा है। घर – घर में पानी को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। लोगों के मुताबिक पिछले 5 सालों में ना तो नए नलकूप खुदे ना ही सार्वजनिक नलों की स्थापना हुई।

वही दूसरी ओर इलाके की आबादी साल दर साल हज़ारों का आंकड़ा छूते रही। एयरपोर्ट का करीबी इलाका होने के चलते बाहरी इलाकों से आने वाली बड़ी आबादी की बसाहट में ‘माना’ सुर्ख़ियों में रहा है। इस इलाके में आजादी के बाद से लेकर अभी तक ना तो सरकारी और गैर सरकारी जमीनों का परीक्षण हुआ और ना ही भूमि का रकबा, खसरा और बटांकन सीमांकन हुआ है। अवैध कॉलोनी और सरकारी जमीनों की बंदरबाट के चलते कई नामी गिरामी नेताओं और भू – माफियाओं ने यहाँ अपनी जड़े जमा ली है। 

मौके पर मौजूद पार्षद मनोरंजन मंडल लोगो से शांति बनाये रखने की अपील करते नजर आये। उन्होंने बताया कि पूर्व विधायक सत्यनारायण शर्मा के प्रयास से माना कैंप में 42 करोड़ रुपयों के लागत से नल जल योजना स्वीकृत की गई थी। इसका काम धीमा हो गया है। उनके मुताबिक माना कैंप तालाब गहरीकरण में धांधली के चलते भूमिगत जल स्रोत सुख गया है, इससे सारे बोर, हैंड पम्प में पानी आना बंद हो गया है। ठेकेदार ने नियमों के विपरीत तालाब ऐसा खोदा है कि वो जल भराव के लायक भी नहीं रह गया है। यहाँ की मुरुम और मिट्टी खुले बाजार में बेच दी गई है, तालाब के चारो तरफ कोई बड़े हादसे की आशंका बनी हुई है। 

बासु कुंडू ने बताया कि कई लोगों ने खुद की रकम खर्च कर बोर खुदवाये थे, लेकिन तालाब की गलत तरीके से खुदाई के चलते जल स्रोत सुख गया। नतीजतन वॉटर लेबल काफी नीचे चले जाने से अचानक पानी की समस्या उत्पन्न हो गई। उनके मुताबिक आर्थिक रूप से संपन्न लोग इन दिनों खुद के पैसे खर्च कर प्राइवेट पानी टैंकर खरीद कर अपना जीवन यापन कर रहे है, लेकिन यहाँ की बड़ी आबादी इतना पैसा नहीं खर्च कर सकती। इसलिए वे पानी को लेकर दो चार हो रहे है।उनके मुताबिक जल्द ही ध्यान नहीं दिया गया तो यहाँ कोई भी घटना हो सकती है। पार्षद सुजीत दास ने कहा कि वर्तमान विधायक को माना कैंप के हालात पर ध्यान देना चाहिए। पार्षद पति अमित घोष ने जल संकट को लेकर चिंता जाहिर की है।  

माना कैंप में 42 करोड़ रुपयों की लागत से नल जल योजना का कार्य शुरू तो हो गया है, लेकिन रफ्तार नहीं पकड़ पाया है। यही नहीं तालाब गहरीकरण कार्य में बरती गई अनियमिता जनता पर भारी पड़ी है। माना निवासी समीर पाल, गोपाल पाल, संतोष डी, दिनेश मंडल, सोमेन दास, कृष्णा, सोमेश यादव, प्रियंका उपाध्याय, सद्यानंद राणा, निमाई, अवनी मंडल, पार्थो विश्वास, राजेश हालदार, गौरव दास, सुमीत दास, उत्पल शाह ने रायपुर जिला प्रशासन से जल संकट से निजात दिलाने की मांग की है।