छत्तीसगढ़ में बलौदाबाजार एसपी की लापरवाही सरकार पर भारी, SOP का पालन नहीं ? आक्रोशित समुदाय की सुध भी नहीं ली, ज्ञापन रद्दी की टोकरी में, अब सरकार की मुसीबत…

0
61

रायपुर। छत्तीसगढ़ में बलौदाबाजार जिले में अब शांति स्थापित हो गई है। कलेक्टर दफ्तर से लेकर गिरौदपुरी के ग्राम महकोनी में संत अमरदास की तपोभूमि तक सामान्य दिनों की तरह दिनचर्या शुरू हो गई है। एक ओर जहाँ कलेक्टर दफ्तर के इर्द – गिर्द भारी पुलिस बल तैनात है, इसी तरह महाकोनी में भी पुलिस की पेट्रोलिंग हो रही है। इलाके में धारा 144 का असर भी देखा जा रहा है। सड़कों पर पहले की तर्ज पर लोगों का हुजूम नजर नहीं आ रहा है, अपितु आसपास के इलाकों में घरों से लेकर नुक्कड़ों तक पुलिस की कार्यप्रणाली की चर्चा हो रही है। जाने – अनजाने ही सही सामाजिक विरोध प्रदर्शन ने अचानक उग्र रूप ले लिया था। नतीजतन धार्मिक स्थल में जैतखाम को नुकसान पहुचाए जाने के वाकये ने बड़ी घटना का रूप ले लिया था।

न्यूज़ टुडे छत्तीसगढ़ संवाददाता ने मौका ए वारदात का मुआयना किया। स्थानीय लोगो के अलावा उन चश्मदीदों से भी चर्चा की जो कलेक्टर परिसर में विरोध प्रदर्शन में जुटे थे। चश्मदीदों के मुताबिक पुलिस ने पहले तो मामले की विवेचना में लापरवाही बरती, इसके बाद विरोध प्रदर्शन की चेतावनी के बावजूद आरोपियों की धर पकड़ को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाये गए। जबकि मात्र 3 आरोपियों को हिरासत में लेकर पुलिस ने मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया था। बताते है कि समाज की ओर से पुलिस को बाकायदा विरोध प्रदर्शन की पूर्व सूचना भी दी गई थी। लेकिन पुलिस अधीक्षक ने घटना की ओर ना तो रुख किया और ना ही मौके का जायजा लिया था।

सोमवार को बलौदाबाजार कलेक्टर परिसर में उपद्रवियों ने जमकर बवाल किया था। कलेक्टर और एसपी कार्यालय के आसपास कई वाहनों में आग लगा दी गई थी। कलेक्टर परिसर में जले वाहनों के कलपुर्जे और राख देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि घटना और बड़ा रूप भी ले सकती थी। इस परिसर के आसपास धारा 144 लागू का काफी प्रभाव देखा जा रहा है। यहाँ चहल कदमी कर रहे लोग तस्दीक करते है कि कलेक्टर कार्यालय की सुरक्षा में मात्र 90 पुलिसकर्मी तैनात थे। जो गिनती में हाथों में गिने जा सकते है, जबकि दूसरी ओर हज़ारों की तादात में आक्रोशित जनसमुदाय था। यही नहीं प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए सिर्फ औपचारिकता निभाई गई थी।

चश्मदीदों के मुताबिक ‘एक – मात्र’ बैरिकेट लगाया गया था। जबकि प्रदर्शनकारियों की संख्या 7 हज़ार से ज्यादा आंकी जा रही थी। एक – मात्र बैरिकेट को आसानी से तोड़ देने से प्रदर्शनकारियों के हौसले इतने बुलंद हुए कि आंदोलन बेलगाम हो गया। बलौदाबाजार SP की अयोग्यता और लापरवाही यही नहीं थमी। बताते है कि सुबह से भारी भरकम प्रदर्शनकारियों की आवाजाही की सूचनाओं के बावजूद SP ने वरिष्ठ अधिकारीयों को ना तो बिगड़ते हालात से वाकिफ कराया और ना ही अतिरिक्त बल तैनाती के लिए समय रहते कोई प्रयास किये। प्रदर्शनकारी यह भी तस्दीक करते है कि कई घंटों पहले से पुलिस की सुरक्षा व्यवस्था से जुड़े कई तथ्य स्थानीय नेताओं की जानकारी में थे।

उन्होंने संदेह व्यक्त किया कि यह घटना सुनियोजित भी हो सकती है, क्योंकि WHATSAPP मेसेज में साफतौर पर बताया गया था कि कलेक्टर परिसर में महज 90 – 100 जवान ही तैनात किये जा रहे है। प्रदर्शन को लेकर पुलिस कतई गंभीर नहीं है। सतनामी समुदाय के स्थानीय नेताओं ने इलाके के थानेदार से लेकर SP तक आरोपियों की धर पकड़ को लेकर कई बार गुहार भी लगाई गई थी। आंदोलन की चेतावनी तक को दरकिनार कर दिया गया था। ऐसे में बढ़ते धार्मिक उन्माद से भी पुलिस अनभिज्ञ रही।

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने डीजीपी और सीएस को राहत और बचाव के निर्देश दिए है। पीड़ितों से बातचीत की जा रही है। रायपुर रेंज के कई वरिष्ठ अधिकारी मौके का जायजा ले रहे है। उन्होंने शांति व्यवस्था बनाये रखने के लिए समुदाय विशेष के सामाजिक प्रतिनिधियों और गुरुओं से चर्चा की है। मुख्यमंत्री साय ने जशपुर जिले का दौरा कार्यक्रम रद्द कर बलौदाबाजार में शांति बहाली हेतु सीएम हाउस में एक हाईलेवल बैठक की है। डिप्टी सीएम विजय शर्मा और अरुण साव समेत सतनामी समाज के कई प्रमुख पदाधिकारी भी इस बैठक में मौजूद रहे। गृहमंत्री ने आरोपियों की धर पकड़ के फ़ौरन निर्देश दिए।

उपमुख्यमंत्री और गृहमंत्री विजय शर्मा, राजस्व मंत्री टंकराराम वर्मा, खाद्य मंत्री दयालदास बघेल समेत जनप्रतिनिधियों ने कलेक्टर ऑफिस पहुंचकर पूरे घटनाक्रम का अवलोकन किया। फ़िलहाल प्रभावित इलाके में दिनचर्या पूरी तरह से सामान्य होती जा रही है। इस बीच कलेक्टर परिसर में मौजूद चश्मदीदों के अलावा ग्राम महकोनी के कई ग्रामीण न्यायिक जाँच शुरू होने से पहले SP के तुरंत स्थानांतरण की मांग की है। पीड़ितों के मुताबिक SP की अदूरदर्शिता पूर्ण कार्यप्रणाली के चलते लोगो में नाराजगी है। चश्मदीद उन्हें SP पद के अयोग्य ठहरा रहे है, उनके मुताबिक पुलिस अधीक्षक ने गंभीरता दिखाई होती तो, ऐसी घटना नहीं होती।

बता दें, 15 और 16 मई की दरमियानी रात अज्ञात तत्वों ने गिरौधपुरी धाम में जैतखाम में तोड़फोड़ की थी। मामले को लेकर इलाके में तनाव फ़ैल गया था। पुलिस अधीक्षक की गैर जबावदारी पूर्ण रवैये से समाज के कई लोग असंतुष्ट थे। बताया जाता है कि आगजनी की घटना को रोकने और प्रदर्शनकारियों को काबू में करने के लिए पुलिस को भी कड़ी मशक्कत करनी पड़ी थी। इस घटना में दो दर्जन से ज्यादा पुलिसकर्मी घायल बताये जाते हैं, गंभीर रूप से घायल पुलिस कर्मियों को रायपुर रेफर किया गया है। फिलहाल, इस घटना के कारणों का पता लगाया जा रहा है। राज्य सरकार की ओर से मामले की न्यायिक जांच के आदेश भी दिए गए है। लिहाजा माना जा रहा है कि जल्द ही जिले में नए SP की नियुक्ति हो सकती है।